1. Home
  2. बागवानी

सेब की नई विदेशी किस्मों पर भारी पड़ा 100 साल पुराना रॉयल डिलिशियस

हिमाचल प्रदेश में सेब की बागवानी को बहुत महत्व दिया जाता है. यहां के अधिकतर किसान अपने बागों में सेब के पेड़ लगाते हैं. इसी कड़ी में पालमपुर स्थित केंद्रीय कृषि अनुसंधान परिषद के हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) और विवेकानंद मेडिकल संस्थान पालमपुर के वैज्ञानिकों और चिकित्सा विशेषज्ञों ने एक शोध किया है. इस शोध के मुताबिक, अब नई विदेशी किस्मों पर 100 साल पुराना रॉयल डिलिशियस भारी पड़ने वाला है.

कंचन मौर्य
कंचन मौर्य
Apple Gardening
Apple Gardening

हिमाचल प्रदेश में सेब की बागवानी को बहुत महत्व दिया जाता है. यहां के अधिकतर किसान अपने बागों में सेब के पेड़ लगाते हैं. इसी कड़ी में पालमपुर स्थित केंद्रीय कृषि अनुसंधान परिषद के हिमालय जैव संपदा प्रौद्योगिकी संस्थान (आईएचबीटी) और विवेकानंद मेडिकल संस्थान पालमपुर के वैज्ञानिकों और चिकित्सा विशेषज्ञों ने एक शोध किया है. इस शोध के मुताबिक, अब नई विदेशी किस्मों पर 100 साल पुराना रॉयल डिलिशियस भारी पड़ने वाला है.

रॉयल डिलिशियस की खासियत

दरअसल, इस शोध में सामने आया है कि रॉयल डिलिशियस सेब गुणवत्ता के मामले में अन्य किस्मों का मुकाबला नहीं कर पाई हैं. इनमें रेड डिलिशियस, रेड चीफ जैसी किस्में भी पिछड़ गईं हैं. यह शोध हिमाचल समेत अन्य पश्चिमी हिमालयी क्षेत्रों में सेब की 5 किस्मों पर किया गया है. शोध में बताया गया है कि रॉयल डिलिशियस में फाइबर, फेनोलिक यौगिक और अन्य पोषक तत्व अन्य किस्मों से कहीं ज्यादा पाए जाते हैं. बता दें कि यह शोध एक अंतरराष्ट्रीय जर्नल में छपा है.

शोध का उद्देश्य

यह शोध इसलिए किया गया है, ताकि पश्चिमी हिमालय में रॉयल, रेड और गोल्डन डिलिशियस के अलावा रेड चीफ और रेड गोल्ड का व्यापक रूप से उपयोग किए जाने वाले पोषक मूल्य, फेनोलिक सामग्री, एंटीऑक्सीडेंट गतिविधि और बायो एक्टिव फेनोलिक घटकों को स्पष्ट किया जा सके. बता दें कि इस शोध में फल की गुणवत्ता का आकलन किया गया है, साथ ही सेब की विभिन्न किस्मों से प्राप्त पोमेस यानी भीतरी सामग्री का मूल्यांकन किया गया है. शोध से यह पता चला है कि रॉयल डिलिशियस पोमेस में अन्य सेब किस्मों की तुलना में घुलनशील 8.25 से 0.95 और अघुलनशील फाइबर 32.90 से 0.89 प3तिसत के साथ कुल आहार फाइबर सामग्री 42.63 से 1.26 प्रतिशत  अधिक थी.

शोध का परिणाम

शोध के परिणाम से पता चला कि रॉयल डिलिशियस में उच्च एंटीऑक्सीडेंट क्षमता पाई जाती है, साथ ही रॉयल डिलिशियस पोमेस के हाइड्रोक्लोरिक अर्क में अन्य किस्मों की तुलना में उच्च फेनोलिक सामग्री है. कहा जा रहा है कि जो विदेशों से सेब की नई किस्में मंगवाई जाती हैं, यह उनके लिए एक बड़ा झटका है. बता दें कि राज्य  सरकार और राज्य के बागवान अमेरिका, इटली आदि देशों से रेड डिलिशियस और अन्य किस्में मंगवा रहे हैं.

राज्य में 90 प्रतिशत से अधिक सेब उत्पादन परंपरागत रॉयल डिलिशियस किस्म का ही है. पहली बार हिमाचल प्रदेश में इसे अंग्रेजी शासन में बसे अमेरिकन सैम्युल इवांस स्टोक्स लेकर आए थे.

English Summary: 100 year old Royal Delicious variety is better than new exotic varieties of apple Published on: 13 February 2021, 04:37 IST

Like this article?

Hey! I am कंचन मौर्य. Did you liked this article and have suggestions to improve this article? Mail me your suggestions and feedback.

Share your comments

हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें. कृषि से संबंधित देशभर की सभी लेटेस्ट ख़बरें मेल पर पढ़ने के लिए हमारे न्यूज़लेटर की सदस्यता लें.

Subscribe Newsletters

Latest feeds

More News