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Moong New Variety: मूंग की ये नई किस्म होगी 55 दिन में पककर तैयार, मिलेगी उच्च गुणवत्ता वाली उपज

उत्तर प्रदेश के अधिकतर राज्यों में किसान मूंग की खेती करते हैं. यह दलहनी फसलों की एक प्रमुख फसल है. राज्य में किसान कई प्रकार की दालों की बुवाई करते हैं, लेकिन खासतौर पर यूपी के किसान मूंग की खेती की तरफ ज्यादा रुख करते हैं. इसकी खेती जलवायु, तापमान, बुवाई, सिंचाई के साथ-साथ उन्नत किस्मों पर निर्भर होती है. कई बार मूंग की फसल पीला मोजैक रोग की चपेट में आ जाती है, जिससे फसल को भारी नुकसान होता है. ऐसे में जरूरी है किसान मूंग की खेती में उन्नत किस्म की बुवाई करें इसलिए किसान कल्याणी किस्म की बुवाई कर मूंग की खेती कर सकता है.

कंचन मौर्य
Moong Cultivation
Moong Cultivation

उत्तर प्रदेश के अधिकतर राज्यों में किसान मूंग की खेती करते हैं. यह दलहनी फसलों की एक प्रमुख फसल है. राज्य में किसान कई प्रकार की दालों की बुवाई करते हैं, लेकिन खासतौर पर यूपी के किसान मूंग की खेती की तरफ ज्यादा रुख करते हैं. इसकी खेती जलवायु, तापमान, बुवाई, सिंचाई के साथ-साथ उन्नत किस्मों पर निर्भर होती है. कई बार मूंग की फसल पीला मोजैक रोग की चपेट में आ जाती है, जिससे फसल को भारी नुकसान होता है. ऐसे में जरूरी है किसान मूंग की खेती में उन्नत किस्म की बुवाई करें इसलिए किसान कल्याणी किस्म की बुवाई कर मूंग की खेती कर सकता है. इस किस्म को बोने से किसान नुकसान से बच सकता है. इसके साथ ही अधिक उत्पादन और गुणवत्ता वाली फसल प्राप्त कर सकता है.

कल्याणी किस्म की खासियत (Specialty of kalyani variety)

इस किस्म को वाराणसी के कुदरत कृषि शोध संस्था द्वारा विकसित किया गया है. बता दें कि आमतौर पर मूंग की फसल 65 से 70 दिन में पक कर तैयार होती है. मगर यह किस्म महज 50 से 55 दिन में पककर तैयार हो जाती है, इसलिए इसे उन्नत किस्म की श्रेणी में रखा गया है. इसकी खासियत है कि इसमें गुच्छे लंबे और फलियां हरे रंग की होंगी. यह किस्म फसल को कई कीट और रोगों से बचाती है. खास बात है कि इस किस्म की बुवाई करने से फसल में किसी रोग के लगने का खतरा नहीं होता है.  

कई राज्यों के किसान करते हैं इस किस्म की बुवाई (Farmers of many states do sowing of this variety)

आपको बता दें कि मूंग की कल्याणी किस्म को उत्तरप्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्यप्रदेश, गुजरात, कर्नाटक, हरियाणा, बंगाल, छत्तीसगढ़, पंजाब समेत कई राज्यों के लिए तैयार किया जाता है. जहां किसान इस किस्म की बुवाई करके मूंग की खेती कर रहे हैं. इस किस्म की बुवाई करके प्रति एकड़ खेत में 6 से 7 कुंतल उपज प्राप्त होती है. यह बीज प्रति एकड़ खेत में कम से कम 6 किलो ही लगता है. किस्म की बुवाई से खेती की उर्वराशक्ति बढ़ती है और फसल की काटई के बाद हरी खाद भी प्राप्त होती है.

ऐसे करें कल्याणी किस्म की बुवाई (How to sow Kalyani variety)

मूंग की खेती में इस किस्म की बुवाई करने के लिए सबसे पहले बीजशोधन करना होगा. इसके लिए बीज का राइजोबियम कल्चर से शोधन करें. इसके बाद बीज को छाया में सुखा लें और फिर खेत में बीज से बुवाई करें. बता दें कि जायद सीजन में प्रति हेक्टेयर 25 से 30 किलोग्राम बीज की बुवाई करनी चाहिए.

इस दौरान कतारों की दूरी लगभग 20 से 25 सेमी होनी चाहिए. अगर खरीफ़ सीजन की बात करें, तो प्रति हेक्टेयर 15 से 20 किलो बीज की बुवाई करनी चाहिए. जिसमें कतारों की दूरी लगभग 30 और पौधों की दूरी 4 सेमी की हो.

इस वक्त किसान रबी फसलों की कटाई करने के बाद दलहनी फसलों की ओर रुख कर रहे हैं. ऐसे में मूंग की इस किस्म की बुवाई करके अच्छा मुनाफ़ा कमा सकते हैं.

English Summary: Kalyani variety of moong Will be ready in 55 days Published on: 18 April 2020, 05:52 PM IST

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