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नर्सरी विधि से उगाएं दूधी बेल, जानें बीमारी, कीट नियंत्रण समेत अन्य डिटेल

आज के समय में किसानों के द्वारा खेतों में कई तरह की फसलों की उगाई की जा रही है, जिससे वह कम समय में अच्छा लाभ प्राप्त कर सकें. दूधी बेल भी इन्हीं फसलों में से एक है. यहां जानें इसकी पूरी जानकारी...

KJ Staff
Grow milky vine through nursery method
Grow milky vine through nursery method

Milky Vine: दूधी बेल एक विशाल जंगली बेलीय पौधा है. इसमें दूधिया सफेद तरल पदार्थ मिलता है. जिसकी औषधीय गुणवत्ता है.

जलवायु और मिट्टी

  • यह पौधा आर्द्र जलवायु और आंशिक रूप से सूर्य की रोशनी पसंद करता है.

  • रेतीली चिकनी मिट्टी इसकी खेती के लिए सर्वोत्तम रहती है.

उगाने की सामग्री:

  • इसके बीजों से इसका रोपण किया जाता है.

  • परिपक्व बीज दिसंबर से फरवरी के पहले सप्ताह के दौरान एकत्रित किए जाते हैं.

  • इसके जड़ों और तनों की कटिंग के माध्यम से भी फसल उगाई जा सकती है.

नर्सरी की विधि

पौध तैयार करना:

  • उपयुक्त नमी हेतु हल्की सिंचाई करनी आवश्यक है.

  • बीजों को बोने से पहले चार से पांच घंटों तक पानी में भिगोया जाता है. बीज करीब 12-15 दिनों में अंकुरित होते हैं.

  • लगभग एक महीने के पौधे14 सेमी x 10 सेमी के पॉलीबैगों में रोपे जाते हैं, जिनमें मिट्टी, बालू और अच्छी तरह कंपोस्ट की गई खाद 1:1:1 के अनुपात में भरी जाती है. जो रोपित पौधा पॉलीबैग में है उसे छाया में रखे जाने और नियमित रूप से सींचे जाने की व्यवस्था करनी चाहिए.

  • एक हेक्टेयर भूमि में पौधे उगाने के लिए लगभग1-2 किलो बीजों की जरूरत होती है.

रोपण की दर:

  • 60सेमीX 60 सेमी की दूरी पर रोपण के लिए प्रति हेक्टेयर लगभग 30,000-35,000 पौधों की जरूरत होती है.

खेत में रोपाई:

  • खेत तैयार करने के बाद खेत मे दूधी बेल के पौधों की रोपाई मई-जून में करनी चाहिए.

जमीन की तैयारी:

  • जमीन को जुताई और निराई द्वारा तैयार किया जाता है.

  • 80सेमीx 80 सेमी की दूरी पर 40 सेमी x 40 सेमी गहराई के गड्ढे खोदे जाते हैं, और उन्हें प्रत्येक पौधे के लिए 3-6 किलो की दर से उर्वरक के साथ 1:1 के अनुपात में मिट्टी और बालू को अच्छी तरह मिलाकर भरा जाता है.

  • अन्य फसल के साथ उगाने की स्थिति में भूमि तैयार करते समय30 टन/ हेक्टेयर की दर से उर्वरक डाला जाता है.

पौधारोपण की दूरी:

  • पौधों को खेत में मानसून आरंभ होते ही जून-जुलाई में, पॉलीबैग में लगाए जाने के लगभग30-40 दिनों के बाद, रोपा जाता है.

  • एकल फसल के लिए80 सेमी x 80 सेमी की दूरी रखी जाती है.

  • इसमें प्रति हेक्टेयर लगभग 35,000 पौधों की जरूरत होती है.

  • अन्य फसलों के साथ खेती किए जाने पर पौधों की जरूरत लगभग15,000 होगी.

संवर्धन विधियां:

  • दूधी बेल का पौधा बेल वर्गीय होने के कारण जुलाई-अगस्त में सहारे की जरूरत होती है.

  • पहली निराई40-50 के बीच में की जानी चाहिए.

  • फसल को खरपतवार से मुक्त रखने के लिए पौधारोपण के दो और चार महीने में दो बार हाथ से निराई करना आवश्यक है.

सिंचाई:

  • दूधी बेल मानसून अवधि के दौरान वर्षा वाली फसल के तौर पर उगाई जाती है.

  • मानसून की समाप्ति के बाद वैकल्पिक दिनों में5 सेमी पानी के साथ इसकी सिंचाई की जाती है.

बीमारी और कीट नियंत्रणः

  • 0.05%किवनांल्फांस का छिड़काव वर्षा ऋतु के दौरान एफिड्स के हमलों को प्रभावी रूप से नियंत्रित करता है.

फसल प्रबंधन

फसल पकना और कटाई:

  • हालांकि, 18महीने के बाद ही फसल अपने चरम पर होती है, भले ही ताजी जड़ों की उपज घटकर 245 किलो/हेक्टेयर रह जाती है.

  • जड़ों को इकठ्ठा करने के लिए जमीन खोद कर कटाई की जाती है. फिर इन जड़ों को अच्छी तरह धोया जाता है.

फसल पश्चात् प्रबंधन:

  • जड़ों को10 सेमी लंबाई के टुकड़ों में काटा, छाया में सुखाया और जूट के बोरे में भंडारण किया जाता है.

उपज:

  • इसकी उपज सूखी जड़ों से15 से 20 टन प्रति हेक्टेयर तक होती है.

  • एक वर्ष के बाद400-450 किलो/हेक्टेयर (ताजा जड़ें) प्राप्त की जा सकती है.

बांदा कृषि एवं प्रौधोगिक विश्वविधालयए बांदा. 210001 उत्तर प्रदेश

लेखक

डॉ. योगेश यादवराव सुमठाणे
सहा. प्राध्यापक एवं वैज्ञानिक
सुनील कुमार
वानिकी सहयोगी

English Summary: Grow milky vine through nursery method, know the disease, pest control and other details Published on: 16 September 2023, 12:04 PM IST

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