याद आता नहीं है शहर आज़कल, घुल गया है हवा में ज़हर आज़कल! गांव की याद दिल को सताने लगी, मेरे ख्वाबों में मिट्टी का घर आज़कल!
आज भी कई ऐसे राज्य हैं, जहां बरसात का महीना बिना पानी बरसे निकला है. किसान बादल के इस कविता में बादल से यही सवाल पूछ रहा हैं, ओ बादल आखिर तुम कब बरसोग…
बच्चों के ऊपर पढ़ाई का बोझ दिन-प्रति दिन बढ़ता जा रहा हैं, जिसकी वजह से उनका बचपन उनसे छिनता जा रहा हैं, जिसकी वजह से उनका शारीरिक विकास तो हो रहा है…
Prakriti ka Chitrakar: रंग डाली है तुमने दुनियां तुम प्रकृति के चित्रकार हो। हरित धरती के हर पत्ते पर फैलें ओस कण का भंडार हो।
Poetry: मैं, सुंदर, सुहाना, जीवित आप का घायल भी, मृत, भी मैं आप का, मैं, एक कृषि वैज्ञानिक, बना पुष्प हूँ.