'आवश्यकता आविष्कार की जननी है..' हम बचपन से यह सुनते आए हैं. इस कहावत को चरितार्थ प्रोग्रेसिव फार्मर कुलदीप सिंह ने कर दिखाया है. दरअसल कुलदीप सिंह दिल्ली के जौन्ती नगर गांव से ताल्लुक रखते हैं. जब मार्च, 2020 में अचानक से देशभर में लॉकडाउन लगा दिया गया, तो मंडियां और बाज़ार पूरी तरह से बंद हो गए. ऐसे समय में बड़ी मात्रा में सब्जियां और फल खेतों में ही ख़राब हो गए. उस समय कुलदीप सिंह भी अपनी नींबू की पैदावार नहीं बेच पा रहे थे.
ऐसे मुश्किल हालात में नींबू की प्रोसेसिंग करके जैम और अचार बनाने का आईडिया उनके दिमाग में आया. आख़िरकार उनकी मेहनत रंग लाई और वे आज कठिन दौर में शुरू किए इस बिजनेस से लाखों रुपए कमा रहे हैं. आइए जानते हैं उनसे नींबू की प्रोसेसिंग के बिजनेस का पूरा गणित और इससे कैसे लाखों रुपए की कमाई की जा सकती है.
बागवानी खेती में ख़ास दिलचस्पी
कुलदीप सिंह ने कृषि जागरण से बात करते हुए बताया कि उनके पास तक़रीबन 14 एकड़ जमीन है. जिसमें वे नींबू, गेहूं, चना, मूंग, सरसों तथा अन्य बागवानी पौधे उगाते हैं. बागवानी में उनकी खासी दिलचस्पी है. पिछले 10 सालों से उन्होंने अपने खेत में किसी तरह के कीटनाशक या रासायनिक खाद का इस्तेमाल नहीं किया है. वे सिर्फ जैविक तरीके से ही खेती करते हैं, तथा अच्छी पैदावार के लिए जीवामृत, गौमूत्र, वर्मी कम्पोस्ट आदि का भरपूर प्रयोग करते हैं. नींबू की खेती भी वे ऑर्गनिक तरीके से ही करते हैं.
कैसे तैयार करते हैं अचार और जैम ?
उन्होंने बताया कि इस साल भी नींबू की फसल पकने वाली है, अभी धीरे-धीरे नींबू पकने लगे हैं. वे जल्दी ही इसकी प्रोसेसिंग करने वाले हैं. इसके लिए सबसे पहले नींबुओं की ग्रेडिंग की जाती है फिर अच्छी तरह से सफाई कर लेते हैं. फिर नींबुओं की चार फांक कर उन्हें सैंधा नमक या खांड (शक्कर) में दबाकर एक महीने के लिए रख जाता है. एक महीने बाद उसमें काली मिर्च, लौंग, इलायची आदि डाली जाती है. 20 से 30 दिनों में अचार बेचने लायक हो जाता है. वे आर्गेनिक तरीके से ही अचार तैयार करते हैं. आजकल अचार ज्यादा दिनों तक खराब न हो इसके लिए किसी तरह के केमिकल डाले जाते हैं. लेकिन ऑर्गनिक तरीके से ही अचार तैयार करके बेचते हैं, जो खाने में स्वादिष्ट और पौष्टिक होता है. इसलिए उनके ग्राहक इसे बेहद पसंद करते हैं. वहीं जैम तैयार के लिए बीज निकाल दिए जाते हैं. बीज बाहर निकालने के बाद उसे खांड की चाशनी में डाल दिया जाता है. जिससे कुछ दिनों में जैम तैयार हो जाता है, जिनकी पैकजिंग करके बेचा जाता है.
300-400 रुपए किलो बेचते हैं अचार
आगे कुलदीप सिंह बताते हैं कि वे अचार की 3 वैराइटीज तैयार करते हैं, जिनमें खट्टा-मीठा, मीठा और चटपटा शामिल है. तीनों प्रकार का अचार वह 300 रूपए प्रति किलो बेचते हैं. इसके अलावा नींबू का जैम तैयार करते हैं, जिसे 400 रूपए किलो तक बेचते हैं. उन्होंने बताया कि उनके ज्यादतर ग्राहक उनके जानने पहचानने वाले हैं. इसके अलावा, सोशल मीडिया के जरिए भी उनके पास ग्राहक आते हैं. यही वजह है कि दिल्ली, हरियाणा समेत देश के कई क्षेत्रों में उनके अचार और जैम की अच्छी डिमांड रहती है.
कितनी कमाई होती है
अपनी कमाई के बारे में उन्होंने बताया कि वे केवल अचार की प्रोसेसिंग से ही 1 से 1.5 लाख रूपए कमा लेते हैं. पिछले लॉकडाउन में उन्होंने 400 किलो अचार व जैम तैयार किया था और जिसमें से लगभग 300 किलो बेच चुके हैं. उनका कहना है कि यदि किसान नींबू की खेती के साथ उसकी प्रोसेसिंग भी करें तो अच्छी कमाई कर सकते हैं. कुलदीप सिंह ने बताया कि दिल्ली कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से उन्हें कुछ नया करने में काफी मदद मिली है.