देश के कुछ किसान तीन नए कृषि कानूनों (New Agriculture Bills) के खिलाफ लगातार प्रदर्शन कर वापस लिए जाने की मांग कर रहे हैं. इसी कड़ी में संयुक्त किसान मोर्च ने ऐलान किया है कि मानसून सत्र के दौरान प्रत्येक कार्य दिवस के दिन 200 किसानों का समूह शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन करेगा.
इस संबंध में तमामा लोगों की प्रतिक्रियाएं आती रहती है. इसके चलते ही देश के मुख्य आर्थिक सलाहकार (सीईए) के. सुब्रमण्यम (K. Subramanian) का बयान आया है. दरअसल, नाबार्ड के स्थापना समारोह कार्यक्रम में तीन नए कृषि कानून को लेकर के. सुब्रमण्यम (K. Subramanian) ने अपनी राय रखी, तो आइए आपको बताते हैं कि उन्होंने नए कृषि कानून (New Agriculture Bills) को लेकर क्या कुछ कहा-
किसानों को मिलेगी फसल की बेहतर कीमत
के. सुब्रमण्यम का कहना है कि केंद्र सरकार द्वारा लाए गए नए कृषि कानून (New Agriculture Bills) किसानों को बेहतर कीमत हासिल करने में मदद करेंगे. ऐसा इसलिए, ये फसल को अच्छी कीमत पर रिलायंस और आईटीसी जैसे कॉरपोरेट को बेचने की इजाजत देंगे. यह प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा देते हैं.
एपीएमसी कानून से मिलती थी कम कीमत
उनका कहना है कि किसानों को पुराने एपीएमसी कानून से असल कीमत का सिर्फ 15 प्रतिशत की हिस्सेदारी मिलती थी. इससे अधिक तो बिचौलिये कमा लेते थे. बता दें कि पिछले साल तीन नए कृषि कानून पारित किए गए, लेकिन जनवरी में किसानों के आंदोलन के बीच सुप्रीम कोर्ट ने इन्हें लागू करने की प्रक्रिया निलंबित कर दी थी.
छोटे और सीमांत किसानों की बढ़ेगी आय
सुब्रमण्यम का कहना है कि तीन नए कृषि कानून (New Agriculture Bills) से छोटे और सीमांत किसानों को अधिर लाभ मिलेगी. यह किसानों की आय बढ़ाने की दिशा में एक अहम कदम है. उनका कहना है कि सिर्फ कृषि उत्पादन विपणन समितियों (एपीएमसी) के जरिए उत्पाद बेचने की बाध्यता किसानों की आय को काफी प्रभावित करती है. ऐसा इसलिए, क्योंकि कृषि उत्पाद के खराब होने व दोबारा बाजार में आने पर लागत बढ़ जाती है. इस समस्या की वजह से मंडी समितियों में बैठे बिचौलिये अपनी मनमानी करते हैं.
कृषि कानून से प्रतिस्पर्धा
सीईए के. सुब्रमण्यम ने कहा कि बाजार में कृषि कानून (New Agriculture Bills) ऐसी प्रतिस्पर्धा पैदा करने के लिए बनाए गए हैं. जिनके जरिए छोटे और सीमांत किसान बिचौलिए को कह सकते हैं कि फसल की अच्छी कीमत चाहिए, नहीं तो किसी दूसरे को फसल बेच सकता हूं. नाबार्ड के स्थापना समारोह कार्यक्रम में सीईए ने आगे कहा कि जिन मंडी समिति कानूनों को नए कृषि कानून खत्म करना है, वे 13वीं सदी के शासक अलाउद्दीन खिलजी ने अपनी बड़ी सेना को खिलाने की व्यवस्था करने के लिए ईजाद किए थे.
प्रतिस्पर्धा ग्राहक व उत्पादक के लिए लाभदायक
के. सुब्रमण्यम का मानना है कि हमेशा प्रतिस्पर्धा ग्राहक और उत्पादकों के लिए बहुत लाभाकारी है. उन्होंने कहा कि छोटे और सीमांत किसानों को फसल बेचने के समय कई समस्याओं का सामना करना पड़ता है, जो अमीर किसानों को नहीं होती हैं.
(खेती से जुड़ी अन्य जानकारी के लिए कृषि जागरण की हिंदी वेबसाइट पर विजिट अवश्य करें.)