आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) है. क्या आप जानते हैं कि पहली बार यह कब मनाया गया था. यह सबसे पहली बार 1909 में मनाया गया था और इसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1975 से मनाना शुरू किया. विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए इस दिन को महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उत्सव के तौर पर मनाया जाता है.
यह दिन यह भी याद दिलाता है कि कैसे महिलाओं ने कई सामाजिक व अन्य बाधाओं को पार करते हुए मुकाम हासिल किए और लगातार कर रही हैं. आज की तारीख में हर क्षेत्र में महिलाएं आगे हैं लेकिन अतीत में ऐसा नहीं था. जिस प्रकार की आजादी आज हम महिलाओं को प्राप्त हुए देखते हैं, वे पहले नहीं थीं. न वे पढ़ पाती हैं न नौकरी कर पाती थीं और न ही उन्हें वोट डालने की आजादी थी.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत कैसे हुई, और इससे जुड़ी कुछ खास बातें आइए एक नजर में जानें
1909: 28 फरवरी को पहली बार अमेरिका में यह दिन सेलिब्रेट किया गया. सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने न्यूयॉर्क में 1908 में गारमेंट वर्कर्स की हड़ताल को सम्मान देने के लिए इस दिन का चयन किया ताकि इस दिन महिलाएं काम के कम घंटे और बेहतर वेतनमान के लिए अपना विरोध और मांग दर्ज करवा सकें.
1913-14: महिला दिवस युद्ध का विरोध करने का प्रतीक बन कर उभरा. रुसी महिलाओं ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस फरवरी माह के आखिरी दिन पर मनाया और पहले विश्व युद्ध का विरोध दर्ज किया. यूरोप में महिलाओं ने 8 मार्च को पीस ऐक्टिविस्ट्स को सपोर्ट करने के लिए रैलियां कीं.
1975: यूनाइटेड नेशन्स ने 8 मार्च का दिन सेलिब्रेट करना शुरू किया. 1975 वह पहला साल था जब अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया.
2011: अमेरिका के पूर्व प्रेजिडेंट बराक ओबामा ने मार्च को महिलाओं का ऐतिहासिक मास कहकर पुकारा. उन्होंने यह महीना पूरी तरह से महिलाओं की मेहनत, उनके सम्मान और देश के इतिहास को महत्वपूर्ण आकार प्रकार देने के लिए उनके प्रति समर्पित किया.
वैसे बता दें कि इस बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की थीम है 'Be Bold for Change' यानी कि बदलाव के लिए सशक्त बनें. यह कैंपेन लोगों का आह्वान करता है कि वह बेहतर दुनिया के लिए कार्यरत हों जिसमें लिंगभेद से इतर सबको शामिल किया जाए
आज अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस (International Women's Day) है. क्या आप जानते हैं कि पहली बार यह कब मनाया गया था. यह सबसे पहली बार 1909 में मनाया गया था और इसे संयुक्त राष्ट्र संघ ने 1975 से मनाना शुरू किया.
विश्व के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं के प्रति सम्मान, प्रशंसा और प्यार प्रकट करते हुए इस दिन को महिलाओं के आर्थिक, राजनीतिक और सामाजिक उपलब्धियों के उत्सव के तौर पर मनाया जाता है. यह दिन यह भी याद दिलाता है कि कैसे महिलाओं ने कई सामाजिक व अन्य बाधाओं को पार करते हुए मुकाम हासिल किए और लगातार कर रही हैं. आज की तारीख में हर क्षेत्र में महिलाएं आगे हैं लेकिन अतीत में ऐसा नहीं था. जिस प्रकार की आजादी आज हम महिलाओं को प्राप्त हुए देखते हैं, वे पहले नहीं थीं. न वे पढ़ पाती हैं न नौकरी कर पाती थीं और न ही उन्हें वोट डालने की आजादी थी.
अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस की शुरुआत कैसे हुई, और इससे जुड़ी कुछ खास बातें आइए एक नजर में जानें
1909: 28 फरवरी को पहली बार अमेरिका में यह दिन सेलिब्रेट किया गया. सोशलिस्ट पार्टी ऑफ अमेरिका ने न्यूयॉर्क में 1908 में गारमेंट वर्कर्स की हड़ताल को सम्मान देने के लिए इस दिन का चयन किया ताकि इस दिन महिलाएं काम के कम घंटे और बेहतर वेतनमान के लिए अपना विरोध और मांग दर्ज करवा सकें.
1913-14: महिला दिवस युद्ध का विरोध करने का प्रतीक बन कर उभरा. रुसी महिलाओं ने पहली बार अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस फरवरी माह के आखिरी दिन पर मनाया और पहले विश्व युद्ध का विरोध दर्ज किया. यूरोप में महिलाओं ने 8 मार्च को पीस ऐक्टिविस्ट्स को सपोर्ट करने के लिए रैलियां कीं.
1975: यूनाइटेड नेशन्स ने 8 मार्च का दिन सेलिब्रेट करना शुरू किया. 1975 वह पहला साल था जब अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया.
2011: अमेरिका के पूर्व प्रेजिडेंट बराक ओबामा ने मार्च को महिलाओं का ऐतिहासिक मास कहकर पुकारा. उन्होंने यह महीना पूरी तरह से महिलाओं की मेहनत, उनके सम्मान और देश के इतिहास को महत्वपूर्ण आकार प्रकार देने के लिए उनके प्रति समर्पित किया.
हर साल अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस के मौके पर एक थीम निर्धारित की जाती है. पहली बार यह दिन साल 1996 में मनाया गया था. तब संयुक्त राष्ट्र ने 'अतीत का जश्न, भविष्य की योजना' की थीम रखी थी. वहीं, इस साल 20201 की थीम "Women in leadership: an equal future in a COVID-19 world" यानी "महिला नेतृत्व: COVID-19 की दुनिया में एक समान भविष्य को प्राप्त करना" रखी गई है.