किसान गेहूं या धान की खेती में अधिकतर किसान बुवाई के वक्त छिड़काव विधि का इस्तेमाल करते हैं. इस तरह बुवाई सही तरह से नहीं हो पाती है, क्योंकि इस विधि में दूरी का ध्यान नहीं रह पाता है और ना ही बीज की गहराई समान रह पाती है.
इसका सीधा प्रभाव फसल की पैदावार पर पड़ता है. ऐसे में किसानों के लिए एक बहुत अच्छी खबर है. दरअसल, राजेन्द्र प्रसाद कृषि केंद्रीय विश्वविद्यालय बिहार के वैज्ञानिकों ने एक मशीन तैयार की है. इस मशीन से खेत में गेंहू या धान की बुवाई कर सकते हैं. आइए इस मशीन से जुड़ी हर बात जानते हैं...
किस काम आती है मशीन
वैज्ञानिकों द्वारा एक खास मशीन तैयार की गई है. इसके जरिए धान और गेंहू के बीज बोए जा सकते हैं. इस मशीन से वैज्ञानिक दृष्टि से बीज बोए जाते हैं, जिससे दूरी आदि का खास ध्यान रहता है. इसके साथ ही बुवाई करने में लागत में कम लगती है, साथ ही फसल की पैदावार भी ज्यादा मिलती है.
किस तरह मशीन से बुवाई करें
धान की बुवाई में पौधे से पौधे की दूरी 8 सेंटीमीटर होनी चाहिए, तो वहीं कतार की दूरी 20 सेंटीमीटर होना चाहिए. खास बात यह है कि यह मशीन दूरी को बनाए रखने में सक्षम है और बीज को एक समान वांछित गहराई में बोती है. इसके अलावा कतार में बुवाई करने से सिंचाई आसानी से होती है. इतना ही नहीं, फसल की निराई-गुड़ाई भी आसानी से की जा सकती है.
कैसे काम करती है मशीन?
-
इस मशीन में दो ड्रम लगे होते हैं.
-
एक बार में 5 पांच किलो तक बीज भरा जा सकता है, लेकिन विशेषज्ञों की सलाह है कि सिर्फ 3 किलो की बीज भरें.
-
हर ड्रम में बीज बोने के लिए 2 छेद होते हैं.
-
एक बार मशीन चलाने में चार कतार में बुवाई रहती है.
-
बीज की गहराई को कम या ज्यादा कर सकते हैं.
लागत होती है कम
धान और गेहूं की हाथ से बुवाई करने में काफी ज्यादा समय लग जाता है. इसके लिए कई मजदूरों की आवश्यकता होती है, लेकिन इस मशीन को सिर्फ 2 लोग संचालित कर सकते हैं. इसके साथ ही 2 लोग ही खेत में आसानी से बुवाई कर सकते हैं. इस मशीन से एक दिन में आधा हेक्टेयर तक बुवाई कर सकते हैं. यानी इस मशीन से कुछ ही दिन में बड़े से बड़े खेत में आसानी से बुवाई की जा सकती है.
जानकारी के लिए बता दें कि इस मशीन का कई जमीनों पर प्रशिक्षण भी किया गया है. इसका प्रदर्शन बिहार, छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, झारखंड और उत्तर प्रदेश में किसानों के सामने किया गया है. इसका नतीजा काफी सकारात्मक रहा है. इससे पैदावार में 5 से 25 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है.
इतना ही नहीं, इस मशीन से बुवाई करने पर प्रति हेक्टेयर फसल लागत में लगभग 10 हजार रुपए की बचत हो जाती है. किसानों का मानना है कि धान और गेहूं की खेती में यह मशीन बहुत उपयोगी है.