जब कई महीनों की कड़ी मेहनत से उगाई गई फसल पर बर्बाद होती है, तो किसान का दिल टूट जाता है. हर साल ऐसा ही होता है कि किसानों को प्राकृतिक आपदा जैसे बाढ़, बेमौसम बारिश और सूखा पड़ने की मार झेलनी पड़ती है.
किसान खेत की जुताई करने में अपनी पूरी जमा पूंजी लगा देते हैं, लेकिन वह एक झटके में बर्बाद हो जाती है. ऐसी परिस्थिति में किसान खुद को असहाय महसूस करने लगता है. किसानों का दर्द यहीं कम नहीं होती है. जब उनकी फसल बर्बाद होती है और कर्ज में भी कोई छूट नहीं मिलती है, तो इसका परिणाम यह होता है कि उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) का डिफाल्टर घोषित कर दिया जाता है.
दरअसल, साल 2021-22 में अब तक 25 हजार 712 केसीसी यानि किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) धारक किसान एनपीए घोषित हो चुके हैं. किसानों के खाते में 3 साल में एनपीए औसत बढ़ा है. उत्तर प्रदेश के लखनऊ में रहने वाले कई किसानों का नाम इस सूची में शामिल है. इस डिफॉल्टर सूची में नगराम निवासी किसान संतोष कुमारी भी शामिल हैं.
उनका कहना है कि किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) योजना के तहत बैंक ऑफ इंडिया से खाद और बीज के लिए कर्ज लिया था. इस बीच अतिवृष्टि के कारण फसल बर्बाद हो गई और वह डेढ़ लाख का कर्ज अदा नहीं कर पाईं.
इसी तरह समेसी के किसान राम आधार ने यूको बैंक की शाखा से खाद और बीज के लिए 1 लाख रुपए का कर्ज लिया था. मगर उनकी फसल भी ओले पड़ने से बर्बाद हो गई, तो वहीं दूसरी बार फसलों में बीमारी लग गई. अब उनके लिए 1 लाख रुपए का कर्ज सिरदर्द बन चुका है.
इतना ही नहीं, अब भी कई किसान ऐसे हैं, जिनके बेटे की नौकरी कोरोना काल में चली गई, जबकि उनके घर का खर्च खेती और बेटों की कमाई से ही चल रहा था.
कोरोना काल में बेटों की नौकरी तो चली गई, वहीं इस महंगाई के दौर में दो वक्त की रोटी का इंतजाम करना मुश्किल हो गया. ऐसे में खेती के लिए लिया गया कर्ज चुकाना काफी भारी पड़ गया है. इस कारण बैंक के बकाएदारों की सूची में किसानों का नाम आ गया है.
किसान क्रेडिट कार्ड बांटने में आगे रहे बैंक
इस बार लखनऊ के बैंक किसान क्रेडिट कार्ड (Kisan Credit Card) वितरित करने में आगे रहे हैं. बता दें कि बैंकों को 32 हजार 112 आवेदन मिले, जिनमें 31 हजार 447 कार्ड लाभार्थियों तक स्वीकृत हो कर पहुंच गए. इसके अलावा, बैंक ऑफ इंडिया की तरफ से 2997 में से 2922 लाभार्थियों को किसान क्रेडिट कार्ड वितरित किए गए हैं.
एक तरफ किसानों की फसल बर्बाद हो गई, तो वहीं दूसरी तरफ उन्हें किसान क्रेडिट कार्ड का डिफाल्टर घोषित कर दिया गया है. अब जब फसल ही नहीं रही, तो आय का कोई जरिया नहीं रहा. ऐसे में कर्ज चुकाना शायद मुश्किल ही नहीं ना मुमकिन हो जाता है. इससे किसानों का दर्द और बढ़ जाता है.