चित्रा मुद्गल, यह वह नाम है जिसे किसी पहचान की आवश्यकता नहीं है. साहित्य जगत ही नहीं अपितु साहित्य की दुनिया के इतर भी चित्रा मुद्गल का नाम बड़े सम्मान से लिया जाता है. चित्रा मुद्गल आधुनिक हिंदी साहित्यकारों में एक जाना-माना नाम है. उनके साहित्य में एक ओर समाज का सच दिखता है तो वहीं दूसरी ओर उसी समाज की कढ़वी हकीकत। आइए जानते हैं चित्रा मुद्गल और उनसे जुड़ी कुछ बातों के बारे में -
जन्म और साहित्यिक परिचय
चित्रा जी का जन्म 10 सितंबर 1944 को चेन्नई, तमिलनाडू में हुआ था. उनकी शुरुआती शिक्षा उत्तर प्रदेश के उन्नाव जिले में स्थित निहाली खेड़ा में हुई और उच्च शिक्षा मुंबई विश्वविघालय में हुई. चित्रा मुद्गल की पहली कहानी स्त्री-पुरुष संबंधों पर थी जो 1955 में प्रकाशित हुई. उन्होनें अभी तक अपने 13 कहानी संग्रह, तीन उपन्यास, तीन बाल उपन्यास, चार बाल कथा संग्रह और पांच संपादित पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं. उनके एक लोकप्रिय उपन्यास जिसका नाम 'आवां' है, उन्हें व्यास सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है। चित्रा जी ने उपन्यास, कहानी, नाटक, लघुकथा और लेख हर विधा में लिखा है.
उपन्यास - एक ज़मीन अपनी, आवां, गिलिगुडु
कहानी संग्रह - मामला आगे बढ़ेगा अभी, केंचुल, लपटें, जिनावर, जगदंबा बाबू गांव आ रहे हैं, लाक्षाग्रह, अपनी वापसी, ज़हर ठहरा हुआ और भूख
नाटक - पंच परमेश्वर तथा अन्य नाटक, सद्गति तथा अन्य नाटक और बूढ़ी काकी तथा अन्य नाटक
बाल उपन्यास - माधवी गन्नगी, जीवक, मणिमेख नक्शाक्षरों के लिए - जंगल
सम्मान
- वीर देव सिंह सम्मान
- व्यास सम्मान
- इंदु शर्मा कथा सम्मान
- साहित्य भूषण सम्मान और अब
- साहित्य अकादमी पुरस्कार 2018
चित्रा मुद्गल जैसी लेखिकाओं ने हिंदी साहित्य लेखन क्षेत्र को न सिर्फ संवारने का काम किया अपितु नईं ऊचाइयों तक पहुंचाया है और यह सम्मान एक महिला साहित्यकार को मिलना गौरव की बात है.