Goat Farming Business: बकरी पालन की शुरुआत कैसे करें और सरकार इसमें क्या सहायता प्रदान करती है? बेर के पेड़ को बर्बाद कर सकता है पाउडरी मिल्डयू रोग, जानें लक्षण और प्रबंधन! बढ़ता तापमान और घटती आर्द्रता फसल को पहुंचा सकती है नुकसान, ऐसे करें प्रबंधन! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ महिलाओं के लिए तंदुरुस्ती और ऊर्जा का खजाना, सर्दियों में करें इन 5 सब्जियों का सेवन ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 13 January, 2025 12:00 AM IST
बेर के पेड़ को बर्बाद कर सकता है पाउडरी मिल्डयू रोग (प्रतीकात्मक तस्वीर)

पाउडरी मिल्डयू (Powdery Mildew) एक सामान्य कवकजनित रोग है, जो बेर (ज़िज़िफ़स मॉरिटियाना) सहित कई पौधों को प्रभावित करता है. यह रोग पोडोस्फेरा (Podosphaera) प्रजाति के एरीसिफेल्स समूह से संबंधित है. रोग के कारण पौधे की पत्तियां, तने और फलों पर सफेद चूर्ण जैसा आवरण दिखाई देता है. यह न केवल उपज घटाता है, बल्कि फल की गुणवत्ता और बाजार मूल्य को भी गंभीर रूप से प्रभावित करता है. यदि समय पर इसका प्रबंधन न किया जाए तो यह किसानों को भारी आर्थिक नुकसान पहुंचा सकता है.

पाउडरी मिल्डयू रोग के लक्षण

  • प्रारंभिक अवस्था में पत्तियों पर छोटे सफेद धब्बे बनते हैं, जो समय के साथ फैलकर पूरी पत्ती पर सफेद पाउडर जैसा आवरण बना लेते हैं.
  • रोगग्रस्त पत्तियां विकृत होकर पीली हो जाती हैं और सूख जाती हैं.
  • फलों पर सफेद पाउडरी लेप की उपस्थिति होती है, जो उनकी गुणवत्ता और सौंदर्य को बिगाड़ देती है.
  • रोग का प्रकोप मुख्य रूप से जाड़े के मौसम में (अक्टूबर-नवंबर) होता है.

पाउडरी मिल्डयू रोग के रोग चक्र

पाउडरी मिल्डयू फफूंदी का जीवनचक्र मुख्य रूप से पौधों के मलबे और मिट्टी में सर्दियों के दौरान निष्क्रिय अवस्था में बीतता है. वसंत ऋतु में गर्म और शुष्क मौसम में इसके बीजाणु सक्रिय हो जाते हैं. यह हवा, पानी और कीड़ों के माध्यम से फैलते हैं. रोगजनक फफूंदी कोनिडिया बनाती है, जो नए पौधों को संक्रमित करती है.

रोग प्रबंधन के उपाय

1. कृषि संबंधी प्रथाएं

  • छंटाई: प्रभावित शाखाओं और पत्तियों को नियमित रूप से छांटें. पौधों के बीच पर्याप्त दूरी रखें ताकि हवा और प्रकाश का उचित प्रवाह हो.
  • स्वच्छता: सर्दियों के बाद पौधों के मलबे को हटाकर जला दें. इससे रोगजनक फफूंदी के स्रोत को समाप्त किया जा सकता है.

2. प्रतिरोधी किस्मों का उपयोग

पाउडरी मिल्डयू प्रतिरोधी बेर की किस्मों का चयन करें. इससे रोग के फैलाव को नियंत्रित करने में सहायता मिलती है.

3. कवकनाशी का उपयोग

रासायनिक नियंत्रण:

  • क्विनॉक्सिफेन, डाइफ़ेनोकोनाज़ोल, या प्रोपिकोनाज़ोल जैसे प्रभावी कवकनाशकों का उपयोग करें.
  • केराथेन (1 मिली/लीटर पानी) या घुलनशील गंधक (2 ग्राम/लीटर पानी) का छिड़काव करें.
  • पहला छिड़काव फल लगने के बाद करें और 15 दिन के अंतराल पर दोहराएँ.
  • तुड़ाई से 20 दिन पहले अंतिम छिड़काव करें.
  • यह ध्यान रखें कि लगातार एक ही प्रकार के कवकनाशी का उपयोग न करें, क्योंकि इससे प्रतिरोध का विकास हो सकता है.

4. जैविक नियंत्रण

जैव कवकनाशक जैसे बैसिलस सबटिलिस और ट्राइकोडर्मा हारजियानम का उपयोग करें. ये पर्यावरण के अनुकूल और प्रभावी विकल्प हैं.

5. पर्यावरण प्रबंधन

  • सिंचाई: पौधों पर ऊपरी सिंचाई से बचें, क्योंकि इससे नमी बढ़ती है, जो फफूंदी के विकास को प्रोत्साहित करती है.
  • छाया प्रबंधन: अत्यधिक छाया से बचें, क्योंकि यह फफूंदी के विकास के लिए अनुकूल वातावरण प्रदान करती है.

एकीकृत रोग प्रबंधन (आईडीएम)

कृषि, रासायनिक, जैविक और पर्यावरणीय प्रबंधन रणनीतियों का एकीकृत उपयोग पाउडरी मिल्डयू के प्रभावी नियंत्रण के लिए सबसे उपयुक्त तरीका है.

चुनौतियां और अनुसंधान की आवश्यकता

  • रोगजनक कवक की जैविक विविधता और इसकी अनुकूलन क्षमता इस रोग के प्रबंधन को चुनौतीपूर्ण बनाती है.
  • कवकनाशकों के प्रति प्रतिरोध क्षमता का विकास एक बढ़ती हुई समस्या है.
  • इस दिशा में अनुसंधान, जैसे नई प्रतिरोधी किस्मों का विकास और जैविक नियंत्रण विधियों का सुधार, महत्वपूर्ण है.
English Summary: symptoms of powdery mildew disease destroy plum trees management in hindi
Published on: 13 January 2025, 11:06 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now