Banana Farming Tips:भारत के ज्यादातार किसान कम समय में अच्छी कमाई के लिए पारंपरिक खेती से हटकर गैर-पारंपरिक खेती अपना रहे हैं. इनमें से अधिकतर किसान केले की खेती करना पंसद कर रहे हैं, क्योंकि केले की फसल कम लागत में अच्छी पैदावार देने के लिए उपयुक्त है और इससे मुनाफा भी काफी अच्छा होता है. फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए इसकी फसल में महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की पूर्ती होनी बहुत आवश्यक होता है. केला की खेती के लिए पोटेशियम एक विशेष पोषक तत्व माना जाता है, इसकी कमी होने पर केले की अच्छी उपज नही मिल सकती है.
इस विधि से करें पोटाश की पूर्ती
केले की फसल में पोटाश एक बेहद महत्वपूर्ण पोषक तत्व माना जाता है. इसकी कमी होने पर आप अच्छी उपज प्रापत नहीं करप सकते हैं. लेकिन कुछ उपायों करके आप केले की फसल में पोषक तत्वों की पूर्ती कर सकते हैं. केला की खेती के लिए आप 300 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फास्फोरस और 300 ग्राम पोटाश को इसके हर एक पौधे को देना होता है, जिससे पोषक तत्वों की पूर्ती हो सकती है. नाइट्रोजन और पोटाश जैसे पोषक तत्वों को हर 2 या 3 महीने में फसल पर उर्वरक के रूप में दिया जाता है.
उत्तक संवर्धन की फसलों में 9 महीने तक और प्रकंद (जड़) से तैयार की गई फसल में 11-12 महीने तक इन पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. फॉस्फोरस की पूरी मात्रा फसल की रोपाई से पहले या रोपाई के समय ही देनी चाहिए, ताकि पौधे को शुरुआत से ही सही पोषण मिल सके.
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पोटैशियम की कमी के कारण
पोटैशियम की कमी के कारण पौधों की वृद्धि में रुकावट होती है, जिससे उनकी वृद्धि धीमी हो जाती है. पौधे समय से पहले पीले पड़ने लगते हैं, और डंठल (पेटिओल्स) के पास बैंगनी या भूरे रंग के धब्बे दिखने लगते हैं. गंभीर स्थिति में, जड़ का केंद्रीय हिस्सा भूरा और पानी से भरा दिखाई देता है, जिससे कोशिकाओं की संरचना नष्ट हो जाती है. इस कमी के कारण फल छोटे और विकृत हो जाते हैं, जो बाजार में बेचने योग्य नहीं होते. पत्तियों की द्वितीयक शिराओं के पास दरारें बनती हैं, और पत्ती की मध्य शिरा टूटने के कारण पत्ती का बाहरी हिस्सा लटक जाता है.
सुधारात्मक उपाय
केले की खेती के लिए उचित मात्रा में खाद और उर्वरकों का इस्तेमाल करना जरूरी है ताकि पौधों को सही पोषण मिल सके और अच्छी फसल हो सके. पोटैशियम की कमी से होने वाले लक्षण, जैसे पत्तियों का पीला पड़ना और अन्य विकृतियां, को ठीक करने के लिए पोटाश (KCl) का 2% पर्ण छिड़काव किया जा सकता है. जब तक ये लक्षण पूरी तरह से गायब नहीं हो जाते, तब तक हर हफ्ते पत्तियों पर इसका छिड़काव करना चाहिए. इससे केले के पौधों की वृद्धि में सुधार होगा और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होगी.