Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 23 October, 2024 12:00 AM IST
पोटेशियम की कमी से घट सकती है केले की पैदावार (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Banana Farming Tips:भारत के ज्यादातार किसान कम समय में अच्छी कमाई के लिए पारंपरिक खेती से हटकर गैर-पारंपरिक खेती अपना रहे हैं. इनमें से अधिकतर किसान केले की खेती करना पंसद कर रहे हैं, क्योंकि केले की फसल कम लागत में अच्छी पैदावार देने के लिए उपयुक्त है और इससे मुनाफा भी काफी अच्छा होता है. फसल से अच्छी पैदावार प्राप्त करने के लिए इसकी फसल में महत्वपूर्ण पोषक तत्वों की पूर्ती होनी बहुत आवश्यक होता है. केला की खेती के लिए पोटेशियम एक विशेष पोषक तत्व माना जाता है, इसकी कमी होने पर केले की अच्छी उपज नही मिल सकती है.

इस विधि से करें पोटाश की पूर्ती

केले की फसल में पोटाश एक बेहद महत्वपूर्ण पोषक तत्व माना जाता है. इसकी कमी होने पर आप अच्छी उपज प्रापत नहीं करप सकते हैं. लेकिन कुछ उपायों करके आप केले की फसल में पोषक तत्वों की पूर्ती कर सकते हैं. केला की खेती के लिए आप 300 ग्राम नाइट्रोजन, 50 ग्राम फास्फोरस और 300 ग्राम पोटाश को इसके हर एक पौधे को देना होता है, जिससे पोषक तत्वों की पूर्ती हो सकती है. नाइट्रोजन और पोटाश जैसे पोषक तत्वों को हर 2 या 3 महीने में फसल पर उर्वरक के रूप में दिया जाता है.

उत्तक संवर्धन की फसलों में 9 महीने तक और प्रकंद (जड़) से तैयार की गई फसल में 11-12 महीने तक इन पोषक तत्वों की आवश्यकता होती है. फॉस्फोरस की पूरी मात्रा फसल की रोपाई से पहले या रोपाई के समय ही देनी चाहिए, ताकि पौधे को शुरुआत से ही सही पोषण मिल सके.

ये भी पढ़ें: नवंबर में पपीता की खेती से अधिक उपज के लिए अपनाएं ये तरीके, जानें पूरी डिटेल

पोटैशियम की कमी के कारण

पोटैशियम की कमी के कारण पौधों की वृद्धि में रुकावट होती है, जिससे उनकी वृद्धि धीमी हो जाती है. पौधे समय से पहले पीले पड़ने लगते हैं, और डंठल (पेटिओल्स) के पास बैंगनी या भूरे रंग के धब्बे दिखने लगते हैं. गंभीर स्थिति में, जड़ का केंद्रीय हिस्सा भूरा और पानी से भरा दिखाई देता है, जिससे कोशिकाओं की संरचना नष्ट हो जाती है. इस कमी के कारण फल छोटे और विकृत हो जाते हैं, जो बाजार में बेचने योग्य नहीं होते. पत्तियों की द्वितीयक शिराओं के पास दरारें बनती हैं, और पत्ती की मध्य शिरा टूटने के कारण पत्ती का बाहरी हिस्सा लटक जाता है.

सुधारात्मक उपाय

केले की खेती के लिए उचित मात्रा में खाद और उर्वरकों का इस्तेमाल करना जरूरी है ताकि पौधों को सही पोषण मिल सके और अच्छी फसल हो सके. पोटैशियम की कमी से होने वाले लक्षण, जैसे पत्तियों का पीला पड़ना और अन्य विकृतियां, को ठीक करने के लिए पोटाश (KCl) का 2% पर्ण छिड़काव किया जा सकता है. जब तक ये लक्षण पूरी तरह से गायब नहीं हो जाते, तब तक हर हफ्ते पत्तियों पर इसका छिड़काव करना चाहिए. इससे केले के पौधों की वृद्धि में सुधार होगा और फसल की गुणवत्ता भी बेहतर होगी.

English Summary: reason and solution potassium deficiency can reduce banana production
Published on: 23 October 2024, 03:11 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now