नीम के फायदे और उसके गुणों के बारे में हम सब ने सुना होगा. क्या किसी ने नीम कि निम्बोली जिसको लोग बेकार समझते हैं उससे लाभ लेने के बारे में सुना है? आज हम आपको निम्बोलि की खेती के बारे में बताएंगे. इसकी खेती करके कई प्रकार से लाभ कमाया जा सकता है.निम्बोली से निकलने वाले तेल का प्रयोग किटनाशकों से बचाने के लिए किया जाता है. इससे निकलने वाली खली का पाउडर बनाकर खेतों में डाला जाता है जिससे फसलों को पोषण मिलता है और पसल को कोई हानि भी नहीं पहुंचती है. यह बिल्कुल जैविक है और इसमें कोई रासायनिक मश्रण नहीं होता है और हमारी फसले ज्यादा मात्रा में बढ़ती हैं. एक अनुमान के मुताबिक एक टन निम्बोली से उसके 8 से 10 गुणा तक तेल तैयार किया जा सकता है और खली भी अच्छी मात्रा में तैयार किया जा सकता है. इससे ज्यादा से ज्यादा रोज़गार भी पैदा किया जा सकता है.
तेल निकालने की विधि (Oil extraction method)
निम्बोली जब अच्छे से पक जाए तो उसको अच्छे से सुखाएं ताकि उसमें से अच्छी तरह पानी निकल सके . बाद में उसका छिलका और डंठल अलग कर दी जाती है फिर बीज को मशीन में डाला जाता है. तेल निकलने के बाद बची हुई खली को निकाल कर उसका पाउडर तैयार होता है.
खली पाउडर का इस्तेमाल (Use of khali powder)
जैविक खेती में निम्बोली का तेल और खली का पाउडर बहुत ज्यादा मात्रा में प्रयोग किया जा रहा है. निम्बोली का तेल कीटनाशक का काम करता हैऔर खली का पाउडर खेतों में खेती की ज़मीन के लिए जरूरी है इसमें 16 पोषक तत्वों से ज्यादा तत्व होते हैं. इसलिए खली का पाउडर खेतों में बिखेरा जाता है. एक हेक्टेयर जमीन में 5 क्विंटल नीम और खली पाउडर का इस्तेमाल होता है और कीटनाशक के तौर पर 3 लीटर तेल में काम हो जाता है.
फसल उत्पादन (Crop production)
नीम का पेड़ 5-6 साल का होने के बाद ही फल देता है. एक पेड़ से 30-50 किलोग्राम निम्बोली और 350 किलोग्राम पत्तियां हर साल मिल जाती हैं. नीम का एक पेड़ 100 सालों तक फल देता है. 30 किलोग्राम निम्बोली से लगभग 6 किलोग्राम और 24 किलोग्राम खली आसानी से मिल जाती है.
समय के साथ-साथ इसकी व्यवसाय की बढ़ने के आसार हैं और लोगों के आय के साधन भी खुल रहे हैं. अब किसानों कि दिलचस्पी इस खेती में बढ़ रही है. जैविक खेती के लिए भी इसका बहुत इस्तेमाल हो रहा है.