Papaya Farming: पपीते की खेती से होगी प्रति एकड़ 12 लाख रुपये तक कमाई! जानिए पूरी विधि सोलर पंप संयंत्र पर राज्य सरकार दे रही 60% अनुदान, जानिए योजना के लाभ और आवेदन प्रक्रिया केवल 80 से 85 दिनों में तैयार होने वाला Yodha Plus बाजरा हाइब्रिड: किसानों के लिए अधिक उत्पादन का भरोसेमंद विकल्प किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 18 December, 2019 12:00 AM IST

उत्तर प्रदेश स्थित लखनऊ का मलिहाबाद आम की बागवानी के लिए जाना जाता है. आम की कई किस्में यहीं की देन हैं. इन दिनों आम की बाग में फूल आना शुरू हो रहे हैं लेकिन बागवानों के लिए एक बड़ी मुसीबत सामने आयी है. ज़्यादातर आम के पेड़ों में दिसंबर तक फूल निकलने की शुरुआत हो जाती है  लेकिन कोहरा न पड़ने से बागवानों को काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है.

मलिहाबाद में कोहरा न पड़ने की वजह से आम के पेड़ों में आने वाले फूलों में जाला कीट तेजी से फैल रहा है. मलिहाबाद के बागवानों का कहना है कि फूलों में इस तरह जाला कीट लगने की वजह से बौर पर भी इसका काफी प्रभाव पड़ेगा. ऐसे में इन जाला कीट से छुटकारा पाना बहुत मुश्किल है. इनका फैलाव फसल के लिए घातक सिद्ध हो सकता है क्योंकि इसका सीधा असर उत्पादन पर पड़ेगा. बागवानों के मुताबिक अगर आम के फूलों को इस जाला कीट से बचान है तो इस समय कोहरा होना बहुत ज़रूरी है. कोहरा होने की वजह से ये कीट भी कम होंगे और फिर इनके प्रभाव को रोका जा सकता है.

वहीं अगर कोहरा नहीं पड़ता है तो आम के उत्पादन में भी काफी समय लग सकता है. आम का उत्पादन करने वाले जानकारों की मानें तो अगर आम के फूलों में इस कीट का प्रकोप है तो इससे लगभग 30 से 40 फीसदी तक फसल बर्बाद हो सकती है. ऐसे में उत्पादन भी बागवानों को कुछ खास नहीं मिलने की उम्मीद होती है.

जानें जाला कीट के बारे में... 

आम में लगने वाला यह जाला कीट आधा से एक इंच लंबा होता है. कीट पेड़ों की पत्तियां लपेटकर गुच्छानुमा जाला बना लेता है. इसके साथ ही यह पत्तियों पर लार्वा छोड़कर पत्तियों को लपेटना शुरू कर देता है और इन्हीं गुच्छादार लिपटी हुईं पत्तियों पर जाला बिखेरते हुए यह कीट उसके अंदर घुस जाता है. जाले में घुसकर यह कीट पत्तियों को खाना शुरू करता है. इस तरह पेड़ की सभी पत्तियां जाला कीट के प्रकोप से गुच्छों में बदल जाती हैं. कीट के प्रभाव से पत्तियां भी धीरे-धीरे सूखने लगतीं हैं और कुछ दिनों में पेड़ भी लगभग सूखने लगते हैं.

English Summary: mango farms are getting affected by leaf webbers
Published on: 18 December 2019, 12:34 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now