अमरूद के बाग या पौधों से उच्च गुणवत्ता का अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन अति आवश्यक है. एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन में कार्बनिक, अकार्बनिक और जैविक खाद तथा उर्ववकों के मिश्रित उपयोग द्वारा पौधों को उचित मात्रा में पोषक तत्व उपलब्ध करवाए जाते हैं.
इसका मुख्य उद्देश्य उर्वरकर उपयोग क्षमता को बढ़ाना, मिट्टी की भौतिक, रासायनिक तथा जैविक दशा को सुधारना है, ताकि अधिक समय तक उच्च गुणवत्ता का उत्पादन प्राप्त किया जा सके. एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन तकनीकी रूप से परिपूर्ण, आर्थिक रूप से आकर्षक, व्यवहारिक रूप से संभव, व पर्यावरण की दृष्टि से सुरक्षित होना चाहिए.
एकीकृत पोषक तत्व आवश्यकता एवं महत्व
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उर्वरकों का उचित उपयोग एवं प्रबंधन करना
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पोषक तत्वों का उचित प्रबंधन, उपयोग व हानि को कम करना
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उर्वरकों की बढ़ती कीमतों के मद्देनजर संतुलित व सही मात्रा में उपयोग व अन्य स्रोतों द्वारा पोषक तत्वों को उपलब्ध करवाना
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भूमि में उचित व संतुलित पोषक तत्वों की मात्रा बनाए रखना
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पोषक तत्वों की उपलब्धता बढ़ाने से पैदावार का बढ़ना
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कम उर्वरकों के उपयोग से अधिक पैदावार प्राप्त करना
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मृदा में जल सूखने की क्षमता को बढ़ाना
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मृदा में सूक्ष्म जीवों की मात्रा बढ़ाना
एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन
किसानों भाई बागों की मिट्टी का परीक्षण करवाए बगैर तथा कार्बनिक खादों का प्रयोग कम व रसायनिक खादों का प्रयोग ज्यादा कर रहे हैं. यदि उचित समय पर उचित मात्रा में पेड़ों को संतुलित पोषक तत्व उपलब्ध ना हो तो ना ही मिट्टी का स्वास्थ्य ठीक रहता है और ना ही उचित व अच्छी गुणवत्ता की पैदावार प्राप्त होती है.
रसायनिक उर्वरकों के उपयोग से जहां कुछ तत्वों की मात्रा बढ़ती है, वहीं अन्य तत्वों जैसे लोहा, कैल्शियम, बोरोन, लोहा, जस्ता, कॉपर मॉलीब्लेडिनम, मैंगनीज आदि की मात्रा घट रही है. पोषक तत्वों का उचित व संतुलित मात्रा में उपलब्ध न होने से अमरूद की उत्पादन क्षमता में ठहराव आ गया है तथा अनेक सूक्ष्म तत्वों की कमी के लक्षणों में दिखाई देने लगे हैं. इसलिए अब अति आवश्यक हो गया है कि पौधों को मुख्य व सूक्ष्म पोषक तत्व निर्धारित मात्रा में उपलब्ध हो. इसके लिए आवश्यक है कि पोषक तत्व सभी कार्बनिक और अकार्बनिक स्त्रोतो से फलदार वृक्षों को निश्चित मात्रा में उपलब्ध कराए जा सकें, क्योंकि पोषक तत्व का फलदार पौधों की बढ़वार व उत्पादन में अलग-अलग कार्य एवं महत्व है, जिसकी कमी को पूरा दूसरा तत्व नहीं कर सकता है.
पौधों में पोषक तत्वों का संतुलन बिगड़ने पर विभिन्न लाभकारी क्रियाएं जैसे भोजन का बनना, पौधों की बढ़वार, फल फूल लगना, रोग प्रतिरोधक क्षमता आदि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है. जिससे फलों की गुणवत्ता व उपज प्रभावित होती है. इसलिए इस प्रकार की व्यवस्था जिसमें सभी प्रकार के रसायनिक उर्वरक, कार्बनिक व जैविक खादों द्वारा उचित व संतुलित मात्रा में पोषक तत्व उपलब्ध कराकर उच्च गुणवत्ता का अधिक उत्पादन प्राप्त किया जा सके तथा मिट्टी व वातावरण पर प्रतिकूल प्रभाव ना पड़े अन्यथा उचित सुधार है ऐसे प्रबंधन को एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन कहते हैं. जो कि बहुत आवश्यक भी है. जबकि हमारे देश में अभी भी एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन का पूर्ण रूप से चलन नहीं है.
अमरूद व अन्य फलदार पौधों या बागों में पोषक तत्व प्रबंधन करने से पहले मिट्टी परीक्षण करवाना अति आवश्यक है. बाग लगाने से पहले मिट्टी जांच से मिट्टी में उपलब्ध कर्बनिक पदार्थ, पोषक तत्वों का स्तर एवं पीएच मान का ज्ञान होता है. पीएच मान से पोषक तत्वों की घुलनशील का एवं उपलब्धता प्रभावित होती है. बागों के लिए ज्यादातर 6.5 से 7.5 पीएच मान वाली मृदा अच्छी मानी जाती है, लेकिन अमरूद के बाग 8.5 पीएच मान पर भी आसानी से स्थापित किए जा सकते हैं.
अमरूद के बागों में खाद एवं उर्वरकों की संतुलित मात्रा
अमरूद के बागों में खाद एवं उर्वरकों की मात्रा पौधों की आयु के अनुसार, मिट्टी में उपलब्ध पोषक तत्व व मिट्टी परीक्षण के हिसाब से तय की जाती है. अमरूद के बागों और उत्पादित क्षेत्रों में 6 वर्ष तक पर्ति पेड़ के हिसाब से 75 ग्राम नाइट्रोजन, 65 ग्राम फास्फोरस तथा 50 ग्राम पोटैशियम प्रति वर्ष बड़ा कर दी जाती है. इस प्रकार 6 वर्ष के पेड़ को 450 ग्राम नाइट्रोजन, 400 ग्राम फास्फोरस तथा 300 ग्राम पोटैशियम देने की सिफारिश की गई है.
अमरूद के लिए यह रिपोर्ट अनुसार कम या ज्यादा भी की जा सकती अमरूद के पौधों के लिए यह मात्रा मृदा परीक्षण रिपोर्ट के अनुसार कम या ज्यादा भी की जा सकती है. अमरूद के पौधों की पोषक तत्व लेने वाली जड़े तने से 2 से 2.5 मीटर दूर तथा 30-35 सेंटीमीटर गहराई तक पर पाई जाती है. इसलिए उसके चारों ओर पौधे की उम्र के अनुसार थोड़ी गहराई तक देना उचित है.
किसान भाई अकार्बनिक उर्वरकों के साथ-साथ पूर्ण विकसित पेड़ों को 50-60 किलोग्राम सड़ी हुई गोबर की खाद प्रति पेड़ प्रतिवर्ष के हिसाब से अवश्य दें. गोबर की सड़ी हुई खाद, फास्फोरस तथा पोटाश की पूरी मात्रा एक साथ एक बार में दिसंबर व जनवरी के महीने में देनी चाहिए. नाइट्रोजन की आधी मात्रा जून-जुलाई में तथा शेष आधी मात्रा अक्टूबर के महीने में देनी चाहिए. कुछ किसान मुख्य फसल ग्रीष्म ऋतु या बाहर की फसल ना लेकर शीत ऋतु की उच्च गुणवत्ता वाली फसल लेते हैं. किसान भाई गोबर की सड़ी हुई खाद की पूरी मात्रा दिसंबर से जनवरी, फास्फोरस, पोटैशियम व नाइट्रोजन की आधी मात्रा जून से जुलाई तथा शेष नाइट्रोजन की आधी मात्रा माह अक्टूबर में दें.
अमरूद के बागों से उच्च गुणवत्ता वाले फल प्राप्त करने के लिए सूक्ष्म तत्वों जैसे बोरोन, जिंक आदि का दिया जाना अति आवश्यक है. बोरोन कमी को दूर करने के लिए 0.7 से 0. 8% बोरेक्स (सुहागा) गर्म पानी में घोलकर दो बार में, जिसमें से पहला छिड़काव जब अमरुद में सभी फल बनकर तैयार हो गए हो, जुलाई से अगस्त और दूसरा छिड़काव 20 से 25 दिन बाद करें. बोरेक्स को ढाई सौ ग्राम प्रति पौधा प्रतिवर्ष के हिसाब से जमीन में उर्वरकों की तरह भी दे सकते हैं.
अमरूद के बागों में जस्ते की कमी को पूरा करने के लिए जिंक सल्फेट 0.3 से 0.5% के हिसाब से पहला छिड़काव फूल आने के 25 दिन पहले तथा दूसरा छिड़काव 15 दिन पहले करना लाभकारी होता है. जिंक सल्फेट की कमी को हम 600 ग्राम प्रति पौधा प्रतिवर्ष फला आने से 15 से 20 दिन पहले मिट्टी में मिला कर अन्य उर्वरकों की तरह दे सकते हैं. इसके साथ-साथ यदि हम गोबर की गली सड़ी खाद, पौधों की सूखी व गली सड़ी पत्तियां व जैविक खादों का सम्मिश्रण करके पौधों को देते हैं तो फिर रसायनिक खादों की कम मात्रा से अमरूद के पौधों से उच्च गुणवत्ता का अधिक उत्पादन लिया जा सकता है.
आजकल बाजार में विभिन्न प्रकार के जैविक खाद जैसे राइजोबियम, एसीटोबेक्टर आदि उपलब्ध है जिनका उपयोग उत्पादन बढ़ाने के लिए किया जाता है. इस प्रकार अकार्बनिक उर्वरकों और कार्बनिक व जैविक खादों के उपयोग से उच्च गुणवत्ता की फसल प्राप्त की जा सकती है.
इसके अलावा खेत से तैयार फसलों के अवशेष, केंचुआ खाद बायोगैस प्लांट खाद तथा कंपोस्ट खाद के उपयोग भी भूमि की उर्वरा शक्ति को बढ़ाता है. इस तरह उचित एवं एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन से भूमि की क्षमता बढ़ती है, जिससे पौधों के वातावरण में बदलाव के साथ-साथ फसलों के लिए आवश्यक पोषक तत्व उचित मात्रा में प्राप्त होते हैं. जिससे उच्च गुणवत्ता का अधिक उत्पादन प्राप्त होता है. अतः अमरूद के बागों में उच्च गुणवत्ता युक्त तथा अधिक अधिक उत्पादन प्राप्त करने के लिए एकीकृत पोषक तत्व प्रबंधन हाथी आवश्यक है.
लेखक:
धर्मपाल, पी एच डी शोधकर्ता, मृदा विज्ञानं विभाग, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विशवविद्यालय हिसार-125004 - dharampalsagwal3238@gmail.com
डॉक्टर राजेंदर सिंह गढ़वाल, सहायक प्रध्यापक, मृदा विज्ञानं विभाग, चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विशवविद्यालय हिसार-125004. rsg.rca2011@gmail.com