देश के युवा किसान अब परंपरागत तरीके से खेती करना छोड़कर आधुनिक तरीके से खेती की ओर अग्रसर हो रहे है. ऐसे में मध्य प्रदेश के किसान अब अपने बगीचे में महोगनी के पेड़ को लगाकर मुनाफे कमा रहे है.
दरअसल मध्यप्रदेश के पाटी तहसील के किसान मुकेश पाटीदार ने अपने पांच बीघा खेत में महोगनी के वृक्ष को लगाने का कार्य किया है. मुकेश पाटीदार ने 5 बीघा के खेत में महोगनी के 800 पेड़ लगाए है. जो भी पेड़ गुजरात से मगाएं गए है उन पौधों से करीब 40 से 50 हजार रूपए की आय सलाना प्राप्त हो जाती है. किसान मुकेश के मुताबिक एक बीघा के अंदर इसे लगाने में कुल 40 से 50 हजार रूपये की लागत आती है. किसानों को महोगनी पेड़ की खेती से लकड़ी के सामान को बनाने में काफी ज्यादा मदद मिलती है.
महोगनी के वृक्ष
बता दें कि महोगनी वृक्ष एक तरह का पर्णपाती वृक्ष है. यह बाहर के बोलिज ( दक्षिण अमेरिका) और डोमिनिकन गणराज्य का राष्ट्रीय वृक्ष है. महोगनी वृक्ष की लकड़ी को चौकड़ा, फर्नीचर, और लकड़ी के अन्य नाव निर्माण के लिए काफी बेशकीमती होता है. इसके पत्तों का उपयोग मुख्य रूप से कैंसर, ब्लडप्रेशर, अस्थमा, सर्दी और मधुमेह सहित कई प्रकार के रोगों में होता है. इसका पौधा पांच वर्षों में एक बार बीज देता है. इसके एक पौधे से पांच किलों तक बीज प्राप्त किए जा सकते है. इसके बीज की कीमत काफी ज्यादा होती है और यह एक हजार रूपए प्रतिकिलो तक बिकते है. अगर थोक की बात करें तो लकड़ी थोक में दो से 2200 रूपए प्रति घन फीट में आसानी से मिल जाती है.
महोगनी का उपयोग
महोगनी की लकड़ी मजबूत और काफी लंबे समय तक उपयोग में लाई जाने वाली लकड़ी होती है. यह लकड़ी लाल और भूरे रंग की होती है. इस पर पानी के नुकसान का कोई असर नहीं होता है. अगर वैज्ञानिकों के तर्कों की बात करें तो यह पेड़ 50 डिग्री सेल्सियस तक ही तापमान को सहने की क्षमता को बदार्शत कर सकता है और जल न भी हो तब भी यह लगातार बढ़ता ही जाता है. इसके पौधे सीधे कतार में और सूर्य की रोशनी के विपरीत लगाने चाहिए. बाद में आसपास सब्जियां और फलों आदि की भी उपज ली जा सकती है.
इसके पौधे सीधे कतार में और सूर्य की रोशनी के विपरीत लगाने चाहिए. बाद में आसपास सब्जियां और फलों आदि की भी उपज ली जा सकती है.