युवाओं के लिए सुनहरा मौका: सरकारी मदद से बनें कारोबारी, पाएं 25 लाख तक का लोन! Rain Alert: आज इन 6 राज्यों में गरज-चमक के साथ होगी भारी बारिश, मौसम विभाग ने जारी की चेतावनी! खुशखबरी! युवाओं को बिना ब्याज के 5 लाख रुपए तक का मिलेगा लोन, जानें कौन और कैसे उठा सकता है लाभ Rooftop Farming Scheme: छत पर करें बागवानी, मिलेगा 75% तक अनुदान, जानें आवेदन प्रक्रिया Diggi Subsidy Scheme: किसानों को डिग्गी निर्माण पर मिलेगा 3,40,000 रुपये का अनुदान, जानें कैसे करें आवेदन Digital India: लॉन्च हुआ फेस आईडी वाला Aadhaar App, अब नहीं देनी होगी कहीं आधार की फोटोकॉपी! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Tarbandi Yojana: अब 2 बीघा जमीन वाले किसानों को भी मिलेगा तारबंदी योजना का लाभ, जानें कैसे उठाएं लाभ? Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 7 January, 2025 12:00 AM IST
ड्रोन तकनीक से आम की फसल में कीटों और रोगों पर नियंत्रण (प्रतीकात्मक तस्वीर)

Pest And Disease Control In Mango Crops: ड्रोन तकनीक कृषि में नवाचार का प्रतीक है, जो फसल उत्पादन में सटीकता, समय और संसाधनों की बचत करता है. आम की फसल में ड्रोन के उपयोग से फफूंदनाशक, कीटनाशक और पानी की सही मात्रा का निर्धारण करना अत्यंत महत्वपूर्ण है, ताकि रोग और कीटों पर प्रभावी नियंत्रण हो और पर्यावरणीय क्षति कम से कम हो. लेकिन दुर्भाग्य वश इस विषय पर बहुत कम साहित्य उपलब्ध है. सभी लोग इस बात की तो चर्चा करते है की रोग एवं कीट के नियंत्रण हेतु कृषि रसायनों का स्प्रे हेतु ड्रोन का उपयोग करना चाहिए लेकिन यह नहीं बताते हैं की कितने पानी मे कितनी दवा का उपयोग करना चाहिए. इस विषय पर बहुत कम चर्चा होती है. इस विषय पर अभी बहुत अनुसंधान की आवश्यकता है. खैर उत्तर भारत में आम की फसलों में इस तकनीक का उपयोग करते समय कई कारकों पर विचार किया जाता है जैसे ..................

1. ड्रोन तकनीक और उसकी क्षमता का आकलन

  • ड्रोन की टैंक क्षमता (प्रति उड़ान में 5-20 लीटर).
  • नोजल का प्रकार और उसकी स्प्रे क्षमता (0.2-1 लीटर प्रति मिनट).
  • उड़ान की ऊंचाई और गति.
  • स्वाथ चौड़ाई (स्प्रे का कवरेज क्षेत्र).

ड्रोन की क्षमता के आधार पर यह सुनिश्चित किया जाता है कि एक बार में कितना पानी और रसायन समान रूप से फसल पर वितरित किया जा सकता है.

2. पानी की मात्रा का निर्धारण

  • परंपरागत विधि: हाथ से स्प्रे करने में लगभग 500 से 1000 लीटर पानी प्रति हेक्टेयर उपयोग किया जाता है.
  • ड्रोन स्प्रे विधि: ड्रोन द्वारा यह मात्रा घटकर 10 से 20 लीटर पानी प्रति हेक्टेयर हो जाती है.

ड्रोन स्प्रे में अल्प मात्रा में पानी उपयोग होता है, क्योंकि ड्रोन की उच्च-गति वाले नोजल फाइन ड्रॉपलेट्स (सूक्ष्म बूंदें) बनाते हैं, जो पत्तियों की सतह पर समान रूप से फैलते हैं.

3. फफूंदनाशक और कीटनाशक के डोज का निर्धारण

  • रसायन का चयन: रोग और कीटों के आधार पर उपयुक्त फफूंदनाशक (जैसे कि कार्बेन्डाज़िम, प्रोपिकोनाज़ोल, ट्रायसाइक्लाज़ोल) और कीटनाशक (जैसे कि इमिडाक्लोप्रिड, लैम्ब्डा-सायहैलोथ्रिन) का चयन किया जाता है.
  • निर्धारित डोज: निर्माता द्वारा अनुशंसित डोज (जैसे कि 1 ग्राम/लीटर या 2 मिली/लीटर) को स्प्रे की मात्रा और पानी की आवश्यकता के अनुसार समायोजित किया जाता है.

उदाहरण: सामान्य स्प्रे मे यदि अनुशंसा 500 लीटर पानी में 500 ग्राम फफूंदनाशक या कीटनाशक  मिलाने की है, तो ड्रोन के लिए इसे 10 लीटर पानी में 10 ग्राम रसायन के अनुपात में तैयार किया जाएगा.

4. ड्रोन स्प्रे का परीक्षण

ड्रोन द्वारा स्प्रे करते समय सटीकता बनाए रखने के लिए आवश्यक है की....

  • स्प्रे के दौरान ड्रॉपलेट्स का आकार 50 से 200 माइक्रोन के बीच होना चाहिए.
  • समान कवरेज सुनिश्चित करने के लिए उड़ान की ऊंचाई पेड़ की उचाई से 2 से 3 मीटर और गति 4 से 6 मीटर/सेकंड का निर्धारण किया जाता है.
  • नोजल के कोण और दबाव को इस प्रकार सेट किया जाता है कि स्प्रे पत्तियों के ऊपर और नीचे दोनों ओर समान रूप से पहुंचे.

5. पर्यावरणीय और फसल संबंधी कारकों का ध्यान

  • मौसम का प्रभाव: स्प्रे के लिए हवा की गति 0-10 किमी/घंटा और तापमान 20 से 30 डिग्री सेल्सियस के बीच होना चाहिए. तेज हवा या अत्यधिक गर्मी में ड्रॉपलेट्स उड़ सकते हैं.
  • फसल का चरण: आम में मंजर आने (फ्लावरिंग) से पूर्व और फल बनने की प्रक्रिया के समय रोग और कीटों का प्रकोप अधिक होता है. इस समय फफूंदनाशक और कीटनाशक के सही डोज का निर्धारण फसल सुरक्षा के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है. लेकिन इस बात का ध्यान रखना चाहिए की कभी भी जब फूल खिले हो या फूल आने ही वाले हो उस समय किसी भी प्रकार का कृषि रसायन खासकर कीटनाशक का स्प्रे नहीं करना चाहिए.

6. डोज निर्धारण के लिए कंप्यूटर और सॉफ्टवेयर का उपयोग

  • ड्रोन संचालन में जीआईएस (GIS) और रिमोट सेंसिंग तकनीक का उपयोग करके फसल क्षेत्र का आकलन किया जाता है.
  • सटीक स्प्रे कवरेज और डोज निर्धारण के लिए ड्रोन कंट्रोल सॉफ्टवेयर का उपयोग किया जाता है, जो क्षेत्र, फसल की घनत्व और रोग के स्तर का विश्लेषण करता है.

7. सुरक्षा और गुणवत्ता नियंत्रण

  • स्प्रे करने से पहले रसायनों का मिश्रण सही अनुपात में तैयार करना आवश्यक है.
  • ड्रोन द्वारा स्प्रे के बाद परिणामों की निगरानी करना सुनिश्चित करता है कि डोज प्रभावी रहा.
  • अतिरिक्त स्प्रे से बचने के लिए ड्रोन में सेंसर का उपयोग किया जा सकता है, जो केवल आवश्यक स्थानों पर ही स्प्रे करता है.

8. सावधानियां और अनुशंसाएं

  • मौसम का ध्यान रखना: हवा की गति 10 किमी/घंटा से कम होनी चाहिए, ताकि रसायन सही स्थान पर पहुंचे और बहकर न जाए.
  • सुरक्षा उपकरणों का उपयोग: छिड़काव करते समय सुरक्षा के लिए ग्लव्स, मास्क और चश्मे का उपयोग करना चाहिए.
  • निगरानी और सुधार: छिड़काव के बाद क्षेत्र का निरीक्षण करें और सुनिश्चित करें कि सभी पेड़ों पर समान मात्रा में रसायन पहुंचा है.
  • ड्रोन का रखरखाव: छिड़काव के बाद ड्रोन की सफाई आवश्यक है, ताकि नोजल और टैंक में रसायनों का अवशेष न रह जाए.
English Summary: drone technology for pest and disease control in mango crops
Published on: 07 January 2025, 01:00 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now