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Updated on: 18 March, 2020 12:00 AM IST

आर्थिक दृष्टि से फूलों की खेती बहुत लाभदायक है. इसे आय का अच्छा स्रोत कहा जा सकता है. लेकिन कम समय में अधिक मुनाफा देने वाले ये फूल अक्सर किसी बीमारी के शिकार हो जाते हैं, जिससे किसानों को बड़ा नुकसान होता है. चलिए आपको हम आज फूलों में लगने वाली कुछ प्रमुख बीमारियों के बारे में बताते हैं.

तनगलन रोग
फफूंद के रूप में लगने वाले इस रोग से फूल खराब हो जाते हैं. तनगलन रोग फूलों की जड़ों को प्रभावित करते हुए बेलों की निचली सतह को सड़ाना शुरू कर देता है. इस रोग से पौधे मुरझाकर नष्ट हो जाते हैं. 

रोकथाम
इसकी रोकथाम के लिए पानी की निकासी को बेहतर करना जरूरी है. जहां पर पौधा लगा है वहां से पानी की निकासी का मार्ग बनाएं. रोगी पौधे को सामान्यतः जड़ से उखाड़कर जला देना सही है. रोगी पौधों को अन्य पौधों के संपर्क में न आने दें. तनगलन की समस्या से बचने के लिए 0.5 प्रतिशत बोर्डो मिश्रण का छिड़काव किया जा सकता है.

पर्णगलन रोग
यह रोग भी फफूंद के कारण ही होता है. इस रोग से फूलों की पत्तियां प्रभावित होती हैं और उनमें छोटे-छोटे धब्बे बनना शुरू हो जाते हैं. बाद में ये बड़े होकर फूल को नष्ट कर देते हैं.

रोकथाम
पर्णगलन को रोकने के लिए रोगी पौधों को उखाड़कर अलग कर देना सही है. सिंचाई के लिए साफ पानी का उपयोग करें. फसलों को अधिक गीला न होना दें. पानी की निकासी का मार्ग बनाएं.

चूर्णिल आसिता
इस रोग के कारण पौधों के पत्ती, फूल, तना और कलियां खराब हो जाती हैं. रोग के होने पर फूलों पर सफेदी की एक परत दिखाई देती है. रोग के प्रभाव में आकर फूलों की कलियां खिलना बंद हो जाती हैं.

रोकथाम
चूर्णिल रोग को रोकने के लिए फफूंद नाशक का उपयोग सही मात्रा में करना जरूरी है. केराथेन 1.0 मि.ली. का उपयोग 12 से 15 दिन के अंतराल पर किया जा सकता है.

पत्ती धब्बा
इस रोग में पौधे की पत्ती, तना और फूल पर भूरे या काले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं. कभी-कभी धब्बों का रंग बैगनी भी होता है. रोगग्रस्त पत्तियां धीरे-धीरे पीली हो जाती हैं.

रोकथाम
इसकी रोकथाम के लिए 2 मि.ली./लीटर 15 दिन के अंतराल पर छिड़कना सही है. ध्यान रहे कि पौधों पर मैंकोजेब का छिड़काव 3 बार से अधिक न हो.

English Summary: Common flower Plant Diseases How to Identify & Treat Them know more about it
Published on: 18 March 2020, 09:40 IST

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