पशुधन किसानों के लिए सबसे बड़ा धन होता है. भारत में पौराणिक काल से ही खेती के साथ-साथ किसान पशुपालन करते हैं. लेकिन समय के साथ बदलते हुए जल-वायु एवं पर्यावरण के कारण पशुओं के प्रजनन एवं दूध देने की क्षमता में परिर्वतन हुए है. इसका एक कारण ये भी है कि ज्यादा लालच के चक्कर में किसान भाई खुद भी बिना सोचे-समझे पशुओं को टीके लगा रहे हैं. ऐसा करने से जहां एक तरफ पशुओं का स्वास्थ बिगड़ता है वहीं उनका दूध भी सेहत के लिए पीने लायक नहीं रहता.
गौरतलब है कि कई बार ऐसे मामले भी देखने को मिल चुके हैं जिसमे मुनाफा कमाने के लिए
दूध बिक्री व उत्पादन में जमकर स्वास्थ नियमों की धज्जियां उड़ाई गई है. गाय, भैंसों को गाभिन करने के लिए तरह-तरह के इंजेक्शन धड़ल्ले से लगाये जा रहे हैं. लेकिन ध्यान रहे कि इससे थोड़े समय के लिए तो आपको फायदा होगा लेकिन बहुत जल्दी ही आपकी भैंस बीमारियों की चपेट में आ जाएगी.
ऐसे करें कटिये की शुरूआती देखभालः
एक नन्हें कोमल पौधे की तरह ही कटिये को भी शुरूआत में विशेष देखभाल एवं संरक्षण की जरूरत होती है. ऐसा करना आवश्यक है क्योंकि कल यही कटिया भैंस बेनगी. शुरूआत के कुछ महीने कटिये को ना बांधे. ज्यादा अच्छा ये होगा कि आप उसके लिए अलग से साफ घेरावदार जगह बनाएं. जन्म से लगभग तीन महीने तक उसे उसकी मां के दूध का ही सेवन करने दें.
अच्छे सीमन की कटिया का करें पालनः
अच्छे सीमन की कटिया को पालने का फायदा ज्यादा है. भैंस की अच्छी नस्ल ही ज्यादा एवं सेहतमंद दूध देने में सक्षम है. आज़ बाज़ार में बेहतरीन कटिये आ गएं हैं जो मात्र 16 महीने में ही सीमन लेने में सक्षम होते हैं.