नीति आयोग के सदस्य प्रो. रमेश चंद करेंगे कृषि जागरण के 'मिलियनेयर फार्मर ऑफ इंडिया अवार्ड्स' के दूसरे संस्करण की जूरी की अध्यक्षता Millets Varieties: बाजरे की इन टॉप 3 किस्मों से मिलती है अच्छी पैदावार, जानें नाम और अन्य विशेषताएं Guar Varieties: किसानों की पहली पसंद बनीं ग्वार की ये 3 किस्में, उपज जानकर आप हो जाएंगे हैरान! आम को लग गई है लू, तो अपनाएं ये उपाय, मिलेंगे बढ़िया ताजा आम एक घंटे में 5 एकड़ खेत की सिंचाई करेगी यह मशीन, समय और लागत दोनों की होगी बचत Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Goat Farming: बकरी की टॉप 5 उन्नत नस्लें, जिनके पालन से होगा बंपर मुनाफा! Mushroom Farming: मशरूम की खेती में इन बातों का रखें ध्यान, 20 गुना तक बढ़ जाएगा प्रॉफिट! Organic Fertilizer: खुद से ही तैयार करें गोबर से बनी जैविक खाद, कम समय में मिलेगा ज्यादा उत्पादन
Updated on: 12 December, 2019 12:00 AM IST

उत्तर प्रदेश के लखनऊ में कुछ किसानों ने एक सराहनीय कदम उठाया है. दरअसल किसानों ने पशु आश्रय केंद्रों की सहायता करने के बारे में सोचा और उनके काम में अपनी सहभागिता दिखाते हुए लगभग दो हज़ार मवेशियों को गोद लिया है. इसके साथ ही किसानों ने 18 पशु आश्रय केंद्रों की भी देखभाल की ज़िम्मेदारी लेने का फैसला किया है. इस तरह पशु आश्रय केंद्रों में जिन मवेशियों को रखा गया है, उनकी सही तरह से देखभाल इन किसानों के सहयोग से आसानी से की जाएगी. आपको बता दें कि मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक जिले के सीडीओ (Chief Development Officer) मनीष बंसल ने इस विषय में जानकारी दी.

जिले में हैं लगभग 12 हज़ार पशु

सीडीओ  मनीष बंसल की मानें तो जिले में कई पशु आश्रय केंद्रों में लगभग 12, 000  हजार पशुओं की देखभाल की जा रही है. इस ठंड के मौसम में इन पशुओं की खास देखभाल के लिए भी लोगों को आश्वासन दिया गया है. इसके साथ ही सीडीओ ने पशुओं को ठंड से सुरक्षित रखने के लिए कोटेदारों से जूट के बोरे दान करने की अपील भी की है. आपको बता दें कि इस अपील के बाद कई कोटेदारों ने जूट के बोरे उपलब्ध भी कराए हैं. वैसे इन जूट के बोरों को तिरपाल के रूप में आश्रय केंद्रों को ढकने के लिए उपयोग में लाया जा रहा है. इसके साथ ही इन्हीं बोरों को पशुओं को पहनाया भी जा रहा है जिससे वे सभी शर्द हवाओं से बच सकें.

किस तरह से पशु आश्रय केंद्रों में अपने सहभागिता दिखा रहे हैं लोग?

आपकी जानकारी के लिए बता दें कि जो लोग इन पशुओं की ज़िम्मेदारी लेने के लिए आगे आएं हैं, वो कई तरह से अपने काम को बखूबी निभा रहे हैं. जहाँ कुछ किसान पशुओं के लिए पराली उपलब्ध करा रहे हैं, तो वहीं कुछ किसान तिरपाल और जूट के बोरे या चटाइयां भी उपलब्ध करा रहे हैं. इतना ही नहीं, इस काम में गांव के प्रधान के साथ-साथ ब्लॉक प्रमुख तक लगे हुए हैं. साथ ही जिला पंचायत के सदस्य भी पशुओं की देखभाल को एक अच्छा कदम बताते हुए इसमें अपनी सहभागिता दिखा रहे हैं.

English Summary: uttar pradesh farmers adopted 18 animal shelter centres
Published on: 12 December 2019, 04:56 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now