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Updated on: 3 April, 2020 12:00 AM IST
Animal Husbandry in India

मुर्रा (Murrah) 

भारत में मुर्रा भैंस बहुत लोकप्रिय है. इसके दूध देने की क्षमता का कोई मुकाबला नहीं है. भारत के अलावा अन्य देशों में भी किसान इसे बहुत पसंद करते हैं एवं इसके बीज का कृत्रिम गर्भाधान में उपयोग करते हैं. मुंबई के आसपास के क्षेत्रों में ही 1 लाख मुर्रा भैंसे मिल जाएंगी. इस भैंस के सहारे प्रतिदिन 10-20 लीटर दूध की प्राप्ति हो जाती है.

इस भैंस के सहारे प्रतिदिन 10-20 लीटर दूध की प्राप्ति हो जाती है. इसे हरियाणा का 'काला सोना' भी कहा जाता है.अगर इसके दूध में वसा उत्पादन (Fat Production) की बात करें तो ये बाकि नस्लों से सबसे अच्छी नस्ल साबित होती है.

भदावरी

भदावरी (Bhadavari)

भदावरी भैंस उत्तर भारत के क्षेत्रों जैसे- मथुरा, आगरा और इटावा आदि जगहों पर पाई जाती है. भदावरी भैंस एक अच्छी नस्ल है. जोकि दूध भी ज्यादा देती है. यह ज़्यादातर ईटावा और उत्तर प्रदेश के आगरा जिले और मध्य प्रदेश के ग्वालियर जिले में पायी जाती है. इसका कद दूसरी प्रजातियों से छोटा होता है. इसके दूध में 14 से 18 प्रतिशत तक फैट होता है. इसका दूध कई तरह की बीमारियों में शरीर के लिए फायदेमंद होता है.

मेहसाणा नस्ल की भैंस

मेहसाणा (Mahesana)

मेहसाणा नस्ल की भैंस काले, भूरे और सलेटी रंग की होती है. इसका शरीर बड़ा होता है, लेकिन वजन कम होता है. यह एक व्यांत में 1200 से 1500 लीटर दूध देने में सक्षम है. यह गुजरात के मेहसाणा क्षेत्र में पाई जाती है. इसमें प्रजनन की भी कोई दिक्कत नहीं आती.

भैंस पालन कैसे करें (how to breed buffalo)

चलिए अब आपको बताते हैं कि आप किस तरह कम से कम लागत में भैंस का पालन कर सकते हैं. सबसे पहले तो भैंस पालने के लिए एक अच्छे बाड़े का होना जरूरी है. उनके रख रखाव की जगह साफ होनी चाहिए. इसलिए आरामदायक बाड़े का निर्माण करवाएं. बाड़े का निर्माण करते समय ध्यान रहे कि वो भैंस को सर्दी, गर्मी, बरसात से बचा सकने में सक्षम हो. बाड़ें में कच्चे फर्श का उपयोग किया जा सकता है, लेकिन ध्यान रहे कि वह फिसलन भरा न हो. बाड़ें में सीलन का होना सही नही है, हां उसका हवादार होना फायदेमंद है.

पशुओं के लिए खान-पान (Food for animals)

पशुओं को सदा साफ पानी ही दें. उन्हें आराम देना जरूरी है. अगर पशुओं को आराम नहीं मिलेगा तो उनके दूध उत्पादन की क्षमता पर पर्क पड़ेगा. इसलिए आहार के चुनाव में संतुलन का होना जरूरी है. चारे में दाना लगभग 35 प्रतिशत तक होना चाहिए, इसके अलावा खली में  सरसों की खल, मूंगफली की खल, अलसी की खल या बिनौला की खल का उपयोग किया जा सकता है.

English Summary: this is the right method of buffalo farming knwo more about it
Published on: 03 April 2020, 10:48 IST

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