मुर्गीपालन का काम युवाओं को खूब पसंद आ रहा है. बढ़ते हुए हेल्थ फिटनेस और सुंदर दिखने की क्रेज ने इस उद्योग में चार चांद लगा दिए हैं. यही कारण है कि पिछले कुछ सालों में अंडा और मीट उद्योग फायदे में चल रहा है.
मुर्गी फार्म या पोल्ट्री फार्म में मुर्गियों को दो वजह से पाला जाता है या तो उन्हें ब्रीडिंग के लिए पाला जाता है या लेयरिंग के लिए. ब्रीडिंग का मतलब मीट से है, जबकि लेयरिंग का मुख्य उद्देश्य अंडो के व्यापार से है. लेकिन इस काम को करने में सबसे बड़ी समस्या मुर्गियों के आवास स्थान को लेकर आती है, इसलिए इस लेख में हम इसी विषय पर बात करेंगें.
इस काम को छोटे स्तर पर किया जा सकता है. ब्रॉयलर मुर्गीपालन में चूजों का चुनाव महत्व रखता है. उत्तम चूजों की बात करें तो इस क्षेत्र में चुस्त, फुर्तीले, चमकदार आंखों वाले चूजों को बढ़िया माना जाता है. पक्षियों के वजन में अगर समानता है, तो और बढ़िया है.
मुर्गीपालन और आवास की व्यवस्था (Poultry and Housing arrangement)
अब आते हैं मुख्य विषय पर कि मुर्गीपालन के लिए आवास की व्यवस्था किस तरह से की जाए. विशेषज्ञों का मानना है कि एक चूजे को लगभग 0.25 वर्ग फीट का स्थान विकास के लिए चाहिए होता है. वहीं स्थिति अगर बढ़ावर की है तो ऐसे में आधा वर्ग फीट प्रति ब्रायलर चूजे के लिए स्थान की जरूरत होती है.
डीप लिटर सिस्टम (Deep liter system)
इस प्रणाली में मुर्गीपालन का काम आप फर्श पर ही कर सकते हैं. इसमें ब्रूडिंग के दौरान प्रति ब्रायलर चूज़े का स्थान लगभग 0.50 वर्ग फीट होना चाहिए और बढ़वार की स्थिति में स्थान 1.00 वर्ग फीट होना चाहिए.
इस सिस्टम में तापमान को एक समान बनाए रखना जरूरी है. गिरते और बढ़ते हुए तापमान का असर चूजों की बढ़वार पर पड़ता है. गर्मी के मौसम में बाड़े में कूलर की व्यवस्था ज़रूर करनी चाहिए.
मुर्गियों को भर पेट भोजन कराना जरूरी है, जिससे वे तेजी से बढ़ सके. ब्रायलर चूजे अंडे देने वाली मुर्गियों की अपेक्षा बड़े जल्दी बढ़ते हैं.
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