हमारे देश की एक बड़ी आबादी भैंस पालन से जुड़ी हुई है. यहां भैंसों की कई नस्लों का पालन किया जाता है. केंद्रीय भैंस अनुसंधान संस्थान की मानें, तो भैंसों की नागपुरी, पंढरपुरी, बन्नी, मुर्रा, नीलीरावी, जाफराबादी, चिल्का, भदावरी, सुर्ती, मेहसाणा, तोड़ा, समेत 26 तरह की नस्लों का पालन किया जाता है.
इनमें से 12 नस्ल रजिस्टर्ड नस्लें हैं, जो कि सबसे ज्यादा दूध देने के लिए जानी जाती है. इनमें चिल्का, मेहसाना, सुर्ती और तोड़ा जैसी भैंस भी शामिल हैं. ऐसे में आज हम आपको भैंसों की इन नस्लों की जानकारी देने वाले हैं.
सुर्ती भैंस (Surti Buffalo Breed)
यह नस्ल गुजरात के खेड़ा और बड़ौदा में पाई जाती है. इनका रंग भूरा, सिल्वर सलेटी या फिर काला होता है. यह आकार में मध्यम होती हैं, साथ ही धड़ नुकीला और सिर लंबा होता है. इनके सींग दराती के आकार के होते हैं. इसकी औसत उत्पादन क्षमता 900 से 1300 लीटर प्रति ब्यांत होती है. भैंस की इस नस्ल के दूध में 8 से 12 प्रतिशत वसा की मात्रा पाई जाती है.
मेहसाना भैंस (Mehsana Buffalo Breed)
यह नस्ल गुजरात के मेहसाणा जिले और महाराष्ट्र के कुछ क्षेत्रों में पाई जाती है. भैंस की इस नस्ल का रंग काला होता है, तो वहीं कुछ का रंग काला-भूरा भी पाया जाता है. इनका शरीर मुर्रा नस्ल की भैंस के तुलना में काफी बड़ा होता है. मगर इनका वजन उनसे कम होता है. इनके सींग दरांती से आकार के होते हैं, तो वहीं मुर्रा भैंस से कम घूमी हुई रहती हैं. इसका औसत उत्पादन 1200 से 1500 किलो प्रति ब्यांत होता है.
तोड़ा भैंस (Toda Buffalo Breed)
आदिवासियों के नाम पर भैंस की इस नस्ल का नाम तोड़ा पड़ा है, जो कि तमिलनाडु के नीलगिरी पहाड़ी क्षेत्रों में पाई जाती है. इस नस्ल के शरीर पर काफी मोटा बालकोट होता है. इनकी औसत उत्पादन क्षमता प्रति ब्यांत 500 से 600 किलोग्राम होती है. खास बात यह है कि इनके दूध में 8 प्रतिशत वसा की मात्रा पाई जाती है.
चिल्का भैंस (Chilika Buffalo Breed)
भैंस की इस नस्ल को उड़ीसा कटक, गंजम, पुरी और खुर्दा जिलों में पाया जाता है. इस भैंस का नाम उड़ीसा के चिल्का के झील के नाम पर पड़ा है. इसे 'देशी' नाम से भी जाना जाता है. यह भैंस खारे क्षेत्रों में ज्यादा पाई जाती है. इसका रंग भूरा-काला या काला होता है. यह आकार में मध्यम होती है, साथ ही औसत दूध उत्पादन 500 से 600 किलोग्राम प्रति ब्यांत होता है.