Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 29 June, 2022 12:00 AM IST
टीटासूल लिक्विड स्प्रे किट

दुधारू पशु जिसे हम डेरी कैटल भी कहते हैं. इन पशुओं में आए दिन कई तरह के रोग होने का खतरा रहता है, लेकिन सबसे अधिक खतरा इन्हें थनैला रोग से होता है. जिसको लेकर पशुपालक भी परेशान रहते हैं.

पशु के अयन (थन) में सूजन, अयन का गरम होना एवं अयन का रंग हल्का लाल होना, थनैला रोग की प्रमुख पहचान है. थनैला रोग का संक्रमण जब बढ़ जाता है तो दूध निकालने का रास्ता एक दम बारीक हो जाता है और साथ में दूध फट के आना, मवाद आना जैसे लक्षण दिखाई देते हैं.

दुधारु पशुओं में थनैला रोग क्यों होता है?

पशुओं में यह बीमारी थनों में चोट लगने, थन पर गोबर लगने, यूरिन अथवा कीचड़ का संक्रमण होने पर थनैला रोग का संक्रमण बढ़ता है. इसके अलावा, दूध दुहने के समय साफ-सफाई का न होना और पशु बाड़े की नियमित रूप से साफ-सफाई न करने से भी यह बीमारी हो जाती है. गौरतलब है कि जब मौसम में नमी अधिक होती है या वर्षाकाल का मौसम होता है, तब इस रोग का प्रकोप और भी बढ़ जाता है.

पशुओं में थनैला रोग की रोकथाम के उपाय

पशुओं में थनैला रोग के लक्षण दिखाई देने पर तत्काल निकट के पशु चिकित्सालय या पशु चिकित्सक से उचित सलाह लेनी चाहिए. हालांकि थनैला रोग में होम्योपैथिक पशु दवाई बनाने वाली प्रमुख कंपनी गोयल वेट फार्मा प्राइवेट लिमिटेड ने एक बार फिर पशुओं में बढ़ते थनैला रोग के संक्रमण को रोकने के लिए टीटासूल लिक्विड स्प्रे किट लेकर आए हैं जो बेहद कारगर है.

टीटासूल लिक्विड स्प्रे किट थनेला रोग के उपचार के लिए बेहतरीन व कारगर होम्योपैथिक पशु औषधि है, जोकि मादा पशुओं में थनैला रोग की सभी दशाओं के लिए अतिउपयुक्त होम्योपैथिक दवाई है. यह दूध के गुलाबी, दूध में खून के थक्के, दूध में पस के कारण पीलापन, दूध फटना, पानी सा दूध होना तथा अयन/बाख का पत्थर जैसा सख़्त होना और गाय और भैंस के थनों का आकार फनल के रूप में होने पर यह दवाई काफी प्रभावी है.

क्या है टीटासूल लिक्विड स्प्रे किट और कैसे किया जाता है इस्तेमाल

टीटासूल के एक पैक में टीटासूल नंबर -1 तथा टीटासूल नंबर-2 की ३० मिली स्प्रे बोतल मिलती है. जिसे रोगी पशुओं को सुबह और शाम  दिए गए निर्देशों के मुताबिक देना है या फिर पशु चिकित्सक के मुताबिक दवा का इस्तेमाल करना है.

थनैला रोग के उपचार हेतु होम्योपैथिक पशु औषधि

उपयोगिता:

  • टीटासूल थन की सूजन व थनैला रोग में एंटीबायोटिक या इंजेक्शन या दवाओं से ज्यादा अच्छा आराम देता है.

  • टीटासूल तब भी आराम देता है जब एंटीबायोटिक दवायें काम नहीं करती हैं.

  • थनैला से जब थनों की सूजन पुरानी पड़ने लगे, थनों के तनु कठोर हो जाएँ, टीटासूल थनों के कड़ेपन को दूर करता है और दुग्ध ग्रंथियों को कार्यशील बनाता है.

  • टीटासूल थनों के कड़ेपन को व थनों में चिराव आदि को ठीक करता है.

  • टीटासूल दुग्ध ग्रंथियों में दुग्ध स्त्राव को नियमित कर कार्यशील बनाता है.

टीटासूल न० 1

थनैला रोग के उपचार हेतु

खुराक :

25-30 स्प्रे पशु की जीभ अथवा नथुनों पर प्रतिदिन प्रातःकाल में उपयोग किया जाना चाहिए.

इसकी 30 मिली की बोतल बाजार में उपलब्ध है.

अब सवाल यह उठता है कि पशुओं की बेहतरी के लिए दवा का सही इस्तेमाल कैसे किया जाए, इसी कड़ी में आज हम आपको यह भी बताने जा रहे हैं कि आप कैसे टीटासूल लिक्विड स्प्रे किट का सही से इस्तेमाल कर सकें.

टीटासूल स्प्रे

पशु को दवा देने का तरीका

जल्दी व प्रभावी नतीजों के लिए जरुरी है कि होम्योपैथिक दवा पशु की जीभ से लग के ही जाये. होम्योपैथिक पशु औषधियों को अधिक मात्रा में न दें, बार-बार और कम समय के अंतराल पर अगर आप अपने पशुओं को यह दवा देते हैं तो यह अधिक कारगर साबित होगा. इसके लिय आप पीने के पानी में अथवा दवा को पशु की जीभ पर भी स्प्रे कर सकते हैं.

तरीका 1

गुड़ अथवा तसले में पीने के पानी में दवा या टेबलेट या बोलस को मिला कर पशु को स्वयं पीने दें.

तरीका 2

रोटी या ब्रेड पर दवा या टेबलेट या बोलस को पीस कर डाल दें तथा पशु को हाथ से खिला दें.

तरीका 3

दवा के स्प्रे को पशु के मुँह में अथवा नथुनों पर स्प्रै कर दें. ध्यान दें की पशु दवा को जीभ से चाट ले.

नोट : कृपया दवा को बोतल अथवा नाल से न दें

English Summary: Tetasool Liquid Spray Kit: The only way to stop the increasing infection of thrush disease
Published on: 29 June 2022, 11:16 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now