Poultry Farming: बारिश के मौसम में ऐसे करें मुर्गियों की देखभाल, बढ़ेगा प्रोडक्शन और नहीं होगा नुकसान खुशखबरी! किसानों को सरकार हर महीने मिलेगी 3,000 रुपए की पेंशन, जानें पात्रता और रजिस्ट्रेशन प्रक्रिया खुशखबरी! अब कृषि यंत्रों और बीजों पर मिलेगा 50% तक अनुदान, किसान खुद कर सकेंगे आवेदन किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ GFBN Story: मधुमक्खी पालन से ‘शहदवाले’ कर रहे हैं सालाना 2.5 करोड़ रुपये का कारोबार, जानिए उनकी सफलता की कहानी फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 5 November, 2021 12:00 AM IST
Buffalo Rearing

भारत में नवंबर के आगमन के बाद से ही सर्दी का मौसम शुरू हो जाता है. डेरी पशुओं को खुद को स्वस्थ रखने के लिए आसपास के तापमान के साथ खुद को ढलना पड़ता है.  ठंडे तापमान का सामना करने के लिए, पशु चमड़ी के निचे फैट को इक्कठा करते हैं और अपने शरीर की गर्मी के उत्पादन को बढ़ाते हैं. वे अपनी हृदय गति और श्वसन को बढ़ाकर इसे पूरा करते हैं, इस प्रकार चरम सीमाओं को ठंड से बचाने के लिए रक्त प्रवाह में वृद्धि करते हैं. यद्यपि यह शारीरिक प्रतिक्रिया गायों व भैंसों को सापेक्ष आराम में बेहद कम तापमान का सामना करने में सक्षम बनाती है, उन्हें अपने शरीर और उत्पादन को बनाए रखने के लिए 20 प्रतिशत तक अधिक चारे की आवश्यकता होती है.

अधिक ठंड पशु की उत्पादक क्षमता को भी प्रभावित करती है क्योंकि शारीरिक उर्जा का अधिक भाग शरीर को ठंड से बचाने में उपयोग हो जाता है. शेड में रखे जाने वाले पशुओं को पर्यावरण के तापमान में उतर-चढ़ाव कम प्रभावित करता है पर जो पशु खुले में रहते हैं उनको ठंड के तनाव से बचाने के लिए ध्यान देने की जरुरत है. ऐसे पशुओं को आरामदायक सूक्ष्म वातावरण प्रदान करके संरक्षित किया जा सकता है. अलग-अलग क्षेत्रों में और साल के अलग-अलग हिस्सों में तापमान 0 से 40°C के बीच होता है और पशु के लिए आरामदायक तापमान 18 से 27°C के बीच रहता है, इसलिए दोनों तरफ चरम सीमाओं से सुरक्षा की आवश्यकता होती है.

सर्दियों के मौसम के दौरान कई जानवर अक्सर चारा नही खाते ये मुख्यत बुखार और निमोनिया हो जाने के कारण होता है. इससे पशु के दूध उत्पादन, स्वास्थ्य और प्रजनन पर असर पड़ता है. सामान्य गाय और भैंस के शरीर का तापमान 101-102 °F के बीच होता है और उपयुक्त परिवेश का तापमान 65-75 °F होता है.

अत्यधिक ठंडे वातावरण के कारण ऊर्जा हानि में वृद्धि होती है, जिसकी भरपाई अतिरिक्त कैलोरी युक्त आहार और विशेष देखभाल देकर की जाती है. पोषण, विशेष रूप से संतुलित राशन, मजबूत और प्रोटीन सामग्री जैसे साबुत कपास के बीज या केक के साथ पूरक, महत्वपूर्ण  आहार हैं. सांद्रित मिश्रण में अनाज (40 प्रतिशत), खली (32 प्रतिशत), चोकर (25 प्रतिशत), खनिज मिश्रण (2 प्रतिशत) और सामान्य नमक (1 प्रतिशत) शामिल होना चाहिए. इसके अलावा सामान्य दूध उत्पादन और अन्य गतिविधियों को बनाए रखने के लिए ठंड के तनाव का मुकाबला करने के लिए शरीर के वजन का लगभग 0.8 प्रतिशत अतिरिक्त ऊर्जा युक्त अनाज खिलाया जाना चाहिए.

इस खबर को भी पढ़ें - गायें और भैंसें अब सिर्फ बछिया या पडियों को देंगी जन्म, जानिए कैसे होगा यह चमत्कार

चयापचय (metabolic)  और शारीरिक अनुकूलन पर ठंडे मौसम द्वारा उत्पन्न तनाव का प्रभाव:

  • गर्मी उत्पादन बढ़ाने के लिए शुष्क पदार्थ का सेवन बढ़ाना

  • जठरांत्र संबंधी मार्ग की गतिशीलता में वृद्धि

  • अधिक जुगाली करना

  • रखरखाव ऊर्जा आवश्यकताओं में वृद्धि

  • वजन का कम होना

  • ऊर्जा के स्तर को बनाए रखने के लिए शरीर के ऊतकों का उपयोग करने से प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर होना और चुनौतियों के प्रति कम प्रतिक्रियाशील होना

  • शरीर में ऑक्सीजन की खपत में वृद्धि

  • कार्डियक आउटपुट में वृद्धि

  • शुष्क पदार्थों का पाचन कम होना

  • त्वचा, कान, पैरों के तापमान में कमी

शीत तनाव के प्रभाव को रोकने के लिए सुरक्षात्मक उपाय:

  • खलिहान का तापमान बढ़ाएं.
  • बेहतर वेंटिलेशन सुनिश्चित करने के लिए आर्द्रता कम करें, शेड में अत्यधिक नमी, छत टपकने और जमीन जमने की घटना को रोकें.
  • वेंटिलेशन दोपहर में किया जाना चाहिए.
  • सर्दियों के खलिहान में जमीन को धोने के लिए कम पानी का इस्तेमाल करना चाहिए और ड्राई क्लीनिंग का पालन करना चाहिए.
  • दोपहर के समय धूप में पशुओं को खलिहान से बाहर रखना चाहिए.
  • उन्हें ठंडे फर्श से बचाने के लिए अची बेडिंग उपलब्ध कराई चाहिए जैसे मोटा, सूखा भूसा या चूरा
  • पीने के लिए गुनगुना पानी देना चाहिए
  • ठंड के मौसम में गायों के चारे की जरूरत बढ़ जाती है. हेय सांद्र फ़ीड की तुलना में पाचन के दौरान अधिक गर्मी प्रदान करता है

    लेखक: विनय यादव1*, नकुल गुलिया1
    1मादा पशु एवम् प्रसूति रोग विभाग
English Summary: take care of cow and buffalo in winter season
Published on: 05 November 2021, 07:35 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now