भारत का दुग्ध उत्पादन 2023-24 में 4% बढ़कर हुआ 239 मिलियन टन, देश को दूध निर्यातक बनाने का लक्ष्य! आयस्टर मशरूम की खेती: पोषण, पर्यावरण और आय बढ़ाने का आसान तरीका अगले 48 घंटों के दौरान इन 7 राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट, पढ़ें IMD की लेटेस्ट रिपोर्ट! केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 1 June, 2020 12:00 AM IST

कम लागत में अगर आप कोई बिजनेस शुरू करना चाहते हैं तो सीबास मछली का पालन कर सकते हैं. इस मछली को मैरीन मछली की श्रेणी में रखा गया है, जो कम गहरे क्षेत्रों और शीतोष्ण क्षेत्रों में पाई जाती है. इस मछली का शरीर बहुत ही मजबूत होता है, जो सेहत के लिए बहुत ही फायदेमंद है. इसके पंख लंबे होते हैं जबकि इसका मुंह तिरछा और आंखे ऊपर की तरफ व्यवस्थित होती है. गलफड़ों के बाहरी किनारों पर एक समतल कांटा होता है. चलिए आपको इसके बारे में बताते हैंइस मछली के कई रंग होते हैं, लेकिन आम तौर पर सलेटी रंग या काले भूरे रंग में इसकी उपलब्धता अधिक होती है. वैसे यह एक तरह की मांसाहारी मछली है.शैल्टर इसके लिए वैसी भूमि का चुनाव करें, जिसमें पानी क रोक कर रखने की क्षमता अधिक हो. रेतीली और दोमट भूमि पर इसके लिए तालाब ना बनायें. आप चाहें तो रिसर्कुलर एक्वाकल्चर सिस्टम (आरएएस) तकनीक की मदद से सीमेंट के टैंक बनाकर भी इसका पालन कर सकते हैं.

देखभाल

स्कूप की मदद से मछलियों के बच्चों को टैंक में निकालें और आईड्रॉपर की सहायता से इन्फूसोरिया की कुछ बूंदे दें. इस तरह एक बार में इस काम को कई बार करें. कुछ दिनों के बाद उनके आकार में आधे इंच के हो जाने पर उन्हें नए टैंक में रखें. इससे उनका विकास अधिक होगा.

खाद

इसके पालन में जैविक और अजैविक खादों का उपयोग किया जा सकता है.  आप खनिज वाले पोषक तत्वों, जैसे- जानवरों की खाद, चिकन खाद और अन्य जैविक सामग्रियों का उपयोग कर सकते हैं. इसी तरह नाइट्रोजन, फासफोरस और पोटाशियम आदि का उपयोग भी किया जा सकता है.

इस बीमारी से बचाएं

मुख्य तौर पर इन्हें पूंछ और पंखों के गलने की शिकायत होती है. इस बीमारी के लक्षण को पूंछों और पंखों को देखकर पहचाना जा सकता है. गलने के बाद उनके रंग हल्के सफेद हो जाते हैं. इलाज के लिए कॉपर सल्फेट 0.5 प्रतिशत का उपयोग कर सकते हैं.

(आपको हमारी खबर कैसी लगी? इस बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर दें. इसी तरह अगर आप पशुपालन, किसानी, सरकारी योजनाओं आदि के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो वो भी बताएं. आपके हर संभव सवाल का जवाब कृषि जागरण देने की कोशिश करेगा)

ये खबर भी पढ़ें: चैरी बनाकर कमाएं अच्छा मुनाफ़ा, सिर्फ 5 हजार रुपए में शुरू होगा ये बिजनेस

English Summary: sibas fish farming is profitable know more about investment and income
Published on: 01 June 2020, 08:04 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now