RFOI Award 2025: UP के सफल किसान मनोहर सिंह चौहान को मिला RFOI अवार्ड, अजय मिश्र टेनी ने किया सम्मानित RFOI - First Runner-Up: सफल किसान लेखराम यादव को MFOI Awards 2025 में मिला RFOI-फर्स्ट रनर-अप अवार्ड, अजय मिश्र टेनी ने किया सम्मानित RFOI Award 2025: केरल के मैथ्यूकुट्टी टॉम को मिला RFOI Second Runner-Up Award, 18.62 करोड़ की सालाना आय से रचा इतिहास! Success Story: आलू की खेती में बढ़ी उपज और सुधरी मिट्टी, किसानों की पहली पसंद बना जायडेक्स का जैविक समाधान किसानों के लिए साकाटा सीड्स की उन्नत किस्में बनीं कमाई का नया पार्टनर, फसल हुई सुरक्षित और लाभ में भी हुआ इजाफा! Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं
Updated on: 23 December, 2019 12:00 AM IST

देश में मांस और अंडे का व्यवसाय तेजी से बढ़ रहा है. ऐसे में किसान पशुपालन कर अच्छीखासी कमाई कर रहे है. किसान अपने क्षेत्र के आधार पर पशुपालन करते है. इसी कड़ी में कम जगह और कम लागत में किसान बटेर पालन का व्यवसाय शुरु कर सकते है. इससे  काफी अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है. बता दें कि देश में व्यवसायिक मुर्गी पालन, चिकन फार्मिंग, बतख पालन के बाद तीसरे स्थान पर जापानी बटेर पालन का व्यवसाय आता है.

आपको बता दें कि जापानी बटेर के अंडे का वजन उसके वजन का आठ प्रतिशत होता है, जबकि मुर्गी का तीन प्रतिशत ही होता है. भारत में जापानी बटेर को 70 के दशक में अमेरिका से लाया गया था. बटेर पालन को कम लागत के साथ शुरु किया जा सकता है. तो इस लेख में पढ़िए कि इसका पालन और व्यवसाय कैसे करें.

बटेर पालन में आवास का प्रंबधन

बटेर पालन को पिंजड़ा और बिछावन विधि से किया जाता है, यह हवादार और रोशनीदार होना चाहिए. जिसमें प्रकाश और पानी की व्यवस्था अच्छी हो. बटेर अधिक गर्म वातावरण में रह सकती है. बताया जाता है कि एक व्यस्क बटेर को करीब 200 वर्ग सेमी जगह में रखना चाहिए. ध्यान रहे कि इन पर सूर्य की सीधी रोशनी न पड़ें, तो वहीं इनको सीधी हवा से भी बचाना चाहिए. इसके अलावा बटेर के चूज़ों को पहले दो सप्ताह तक 24 घंटे प्रकाश की जरुरत होती है. इनको गर्मी पहुंचाने के लिए बिजली या फिर अन्य स्त्रोत की व्यवस्था रखें. अगर व्यस्क बटेर या अंडा देने वाली बटेर है, तो इनको करीब 16 घंटे रोशनी और करीब 8 घंटे का अंधेरे में रखना जरुरी है. इससे बटेरों से मांस उत्पादन ज्यादा प्राप्त होता है.

बटेर का आहार

बटेर को उचित मात्रा में आहार देना चाहिए, ताकि इनसे अच्छा मांस और अंडे प्राप्त हो सके. बटेक के चूजे की शारीरिक वृद्वि अच्छी हो. इसके लिए करीब 6 से 8 प्रतिशत शीरे का घोल 3 से 4 दिनों के अंतर पर देते रहे. तो वहीं इनके आहार में 0-3 सप्ताह तक 25 प्रतिशत और 4 से 5 सप्ताह में 20 प्रतिशत प्रोटीनयुक्त आहार देना चाहिए. इनको मक्का, मूंगफली, सोयाबीन, खनिज लवण, विटामिन्स, कैल्शियम उचित मात्रा में देते रहना चाहिए. 

बटेर की लिंग पहचान

अगर आप बटेरों का पालन करना चाहते है, तो इनके लिंग की पहचान करना आना चाहिए. सबसे पहले बता दें कि इनकी पहचान मुर्गी चूज़ों की तरह एक दिन की आयु पर होती है. लेकिन अगर चूजें तीन सप्ताह के है, तो इनको पंखो के रंग के आधार पर पहचाना जाता है, जिसमें नर के गर्दन के नीचे के पंखों का रंग लाल, भूरा, धूसर और मादा की गर्दन के नीचे के पंखों का रंग हल्का लाल और काले रंग के धब्बेदार होता है. तो वहीं मादा बटेरों के शरीर का भार नर से करीब 15 से 20 प्रतिशत ज्यादा होता है.

बटेरों से अंडा उत्पादन

बटेर अपने दैनिक अंडा उत्पादन का करीब 70 प्रतिशत दोपहर के 3 बजे से 6 बजे के बीच करती है, बाकि अंधेरे में देती है. इन अंडों को 3 से 4 बार में इकट्ठा करना चाहिए. अंडे से बच्चा निकालने के लिए (ब्रीडर बटेर पैरेंट) नर और मादा 10 से 28 सप्ताह आयु के बीच के होने चाहिए. एक नर बटेर के साथ करीब 2 से 3 मादा बटेरों को रखें. बटेरों के चोंच, पैर के नाखून थोड़ा काट दें, जिससे एक-दूसरे को घायल न कर सके. ।

बटेर पालन में खास बातों का रखें ख्याल

  • बटेर पालन को कम जगह में कर सकते है.

  • इनका आकार छोटा होता है, इसलिए इनका रख-रखाव काफी आसान से हो जाता है.

  • इनमें करीब 5 सप्ताह में मांस तैयार हो जाता है.

  • बटेर में किसी भी प्रकार के टीकाकरण की जरुरत नहीं होती है. इनमें रोग प्रतिरोधक क्षमता होती है.

  • बटेर के अंडें और मांस में अमीनो एसिड, विटामिन, वसा और खनिज लवण की प्रचुर मात्रा होती है.

English Summary: Quail rearing will give more profit in less cost, know how
Published on: 23 December 2019, 04:08 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now