देश में पशुपालक भाइयों की आर्थिक रूप से मदद करने के लिए भारत सरकार ने एक अहम कदम उठाया है, ताकि दूध-डेयरी हब (milk-dairy hub) बनकर तैयार हो सकें. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि भारत में डेयरी फार्मिंग के लिए भी स्पेशलाइज्ड योजनाओं पर आए-दिन सरकार के द्वारा काम किया जाता है, ताकि किसानों को उनकी मेहनत का सही मुनाफा प्राप्त हो सके.
किसानों व पशुपालकों की मदद करने के लिए केंद्र सरकार के साथ राज्य सरकारें भी अपने-अपने स्तर पर हमेशा मदद के लिए तैयार रहती हैं. इसी कड़ी में मध्य प्रदेश सरकार (Government of Madhya Pradesh) भी किसानों की मदद के लिए आगे आ रही है. दरअसल मध्य प्रदेश सरकार राज्य में प्राकृतिक खेती और देसी गाय (natural farming and desi cow) को बढ़ावा देने के लिए योजनाओं के साथ तकनिकी व आर्थिक सहयोग भी प्रदान करवा रही है.
बता दें कि इन्हीं योजनाओं में से एक गोपाल पुरस्कार योजना (Gopal Award Scheme) है, जिसके तहत अब राज्य में देसी गायों के दूध उत्पादन (milk production of indigenous cows) में बढ़ोतरी होगी. इसके लिए सरकार ने प्रतियोगिता का आयोजन किया है. बताया जा रहा है कि इस प्रतियोगिता में जिस भी पशुपालक भाई की देसी गाय अधिक मात्रा में दूध देंगी. उसे विजेता माना जाएगा और पुरस्कार के रूप में उसे करीब 51,000 रुपए की नकद राशि दी जाएगी.
इनाम की राशि
इस जिला स्तरीय गोपाल प्रतियोगिता में विभिन्न विजेताओं को अलग-अलग इनाम की राशि तय की गई है. जैसे कि प्रथम पुरस्कार प्राप्त करने वाले पशुपालक को 51,000 रुपए, द्वितीय पुरस्कार में 21,000 रुपए और तृतीय पुरस्कार में 11,000 रुपए तक की राशि से सम्मानित किया जाएगा.
ट्वीट देखें-
इस दिन तक जारी रहेगी प्रतियोगिता
मध्य प्रदेश सरकार की यह जिली स्तरीय गोपाल पुरस्कार प्रतियोगिता 15 फरवरी 2023 तक जारी रहेगी, जोकि 1 फरवरी से देवास जिले के पशु चिकित्सालय परिसर में शुरू की गई थी. इस प्रतियोगिता का मुख्य उद्देश्य राज्य में देसी गाय के दूध उत्पादन को प्रोत्साहित करना है. बता दें कि इस संदर्भ में एक ट्वीट भी जारी किया गया है, ताकि लोगों को इस प्रतियोगिता के बारे में अधिक से अधिक पता चल सके.
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यहां पशुपालक ले सकते हैं हिस्सा
मध्य प्रदेश सरकार की इस देवास के पशु चिकित्सालय परिसर में आयोजित इस जिला स्तरीय गोपाल पुरस्कार प्रतियोगिता में राज्य के यूनिक आईडी टैग और साथ ही इनाम पोर्टल पर रजिस्ट्रेशन करने वाले पशुपालक ही हिस्सा ले सकते हैं. इसमें शामिल होने के लिए आपको अपने पशुपालन विभाग या फिर पशु चिकित्सालय से संपर्क करना होगा.