RFOI Awards 2024: नीतूबेन पटेल के सिर सजा 'रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया' अवार्ड का ताज: कृषि उद्यमिता और प्राकृतिक खेती में अद्वितीय योगदान की मिली मान्यता RFOI Awards 2024: युवराज परिहार को MFOI अवार्ड्स 2024 में मिला ‘फ़र्स्ट रनर-अप रिचेस्ट फार्मर ऑफ इंडिया’ अवार्ड MFOI Award 2024: भारत के प्रगतिशील किसानों का भव्य सम्मान समारोह, कार्यक्रम में सैकड़ों कृषकों ने लिया भाग केले में उर्वरकों का प्रयोग करते समय बस इन 6 बातों का रखें ध्यान, मिलेगी ज्यादा उपज! भारत का सबसे कम ईंधन खपत करने वाला ट्रैक्टर, 5 साल की वारंटी के साथ Small Business Ideas: कम निवेश में शुरू करें ये 4 टॉप कृषि बिजनेस, हर महीने होगी अच्छी कमाई! ये हैं भारत के 5 सबसे सस्ते और मजबूत प्लाऊ (हल), जो एफिशिएंसी तरीके से मिट्टी बनाते हैं उपजाऊ Mahindra Bolero: कृषि, पोल्ट्री और डेयरी के लिए बेहतरीन पिकअप, जानें फीचर्स और कीमत! Multilayer Farming: मल्टीलेयर फार्मिंग तकनीक से आकाश चौरसिया कमा रहे कई गुना मुनाफा, सालाना टर्नओवर 50 लाख रुपये तक घर पर प्याज उगाने के लिए अपनाएं ये आसान तरीके, कुछ ही दिन में मिलेगी उपज!
Updated on: 7 May, 2020 12:00 AM IST

कई बार पशुपालक दुधारू पशुओं जैसे गाय या भैंस को गाभिन करने का सही समय पता नहीं कर पाते हैं. ऐसे में उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना पड़ता है. अगर दुधारू पशु सही समय पर गर्भधारण न कर पाए, तो पशुपालक को दुग्ध उत्पादन में भी काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है. बता दें कि दुधारू पशु के 2 से 3 बार मदकाल निकल जाने पर बांझपन भी आ जाता है.

सभी पशुपालक जानते होंगे कि हर पशु का एक मदचक्र होता है, उसी तरह गाय और भैंसों में मदचक्र लगभग 21 दिन का होता है. यह पूरा होने के बाद ही मदकाल आता है. यह 2 से 3  दिन तक चलता है. इस दौरान गाय और भैंसों के शरीर में बनने वाले स्लेश्मा यानी म्यूकस से ही उनके गर्भधारण की संभावना घटती और बढ़ती रहती है. ऐसे में पशुपालक कई यंत्रों द्वारा पशुओं के मदकाल की स्थिति का पता लगा सकते हैं.

चिन बॉल मार्कर

यह यंत्र टीजर पशु के निचले जबड़े पर लगा दिया जाता है. जब टीजर पशु किसी गर्म पशु परदबाव डालता है, तो बॉल में भरा द्रव निकलकर पशु की पीठ पर फैलता है. इस तरह पशु की दूर से ही पहचान हो जाती है.

पेडोमीटर

इस यंत्र द्वारा गर्म पशु की शारीरिक क्रियाशीलता कई गुनाबढ़ जाती है. अगर इस यंत्र को पशु के पिछले पैरों में लगा दें, तो इससे वृद्धि पता लगाई जाती है. इससे गर्म पशु की पहचान आसानी से हो जाती है.

हीट माउंट डिटेक्टर

इस यंत्र को पशु की पीठ या पूंछ के पास लगा दिया जाता है. जब पशु गर्मी में आता हैऔर साथी पशु पर दबाव पड़ता है, तब उसमें भरा रंग निकलकर गर्म पशु की पीठ पर फैलजाता है. इस तरह दूर से ही ऐसे पशु की पहचान हो जाती है. ध्यान दें कि इस तकनीक से गलत जानकारी भी मिल सकती है, क्योंकि किसी अन्य कारणों से भी रंग फ़ैल सकता है.

क्लोज सर्किट टेलीविजन

यह तकनीक काफी विश्वसनीय होती है. कई बड़ी पशुशालाओं में इस तकनीक से ही गर्म पशु की पहचान की जाती है. इसमें पशुओं के लक्षणों के प्रदर्शन को एक वीडियो कैमरे में रिकॉर्ड किया जाता है. इसको देखकर पशु के गर्म होने की पहचान की जाती है.

आपको बता दें कि अगर कोई पशुपालक इन सभी यंत्रों में से किसी भी यंत्र को खरीदना चाहते हैं, तो वह राष्ट्रीय डेयरी अनुसंधान संस्थान से संपर्क कर सकते हैं. ये सभी तकनीक काफी हद तक विश्वसनीय मानी जाती हैं.

ये खबर भी पढ़ें: PM Kisan Scheme: सिर्फ एक गलती पर 60 लाख किसानों को नहीं मिले 6 हजार रुपए, योजना का लाभ उठाने के लिए जरूर करें ये काम

English Summary: Information of instruments for cattlemen, which determines the condition of animals
Published on: 07 May 2020, 03:08 IST

कृषि पत्रकारिता के लिए अपना समर्थन दिखाएं..!!

प्रिय पाठक, हमसे जुड़ने के लिए आपका धन्यवाद। कृषि पत्रकारिता को आगे बढ़ाने के लिए आप जैसे पाठक हमारे लिए एक प्रेरणा हैं। हमें कृषि पत्रकारिता को और सशक्त बनाने और ग्रामीण भारत के हर कोने में किसानों और लोगों तक पहुंचने के लिए आपके समर्थन या सहयोग की आवश्यकता है। हमारे भविष्य के लिए आपका हर सहयोग मूल्यवान है।

Donate now