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Updated on: 10 April, 2020 12:00 AM IST

भारत में डेयरी फार्मिंग मुनाफे का बिजनेस है. यही कारण है कि हमारे यहां बड़े स्तर पर पशुपालन का काम किया जाता है. लेकिन पशुओं में बढ़ता हुआ बांझपन किसानों के लिए दोहरी मार के समान है. महंगें पशुओं को खरीदने के बाद अगर वो बांझ निकले तो किसानों पर आर्थिक बोझ बढ़ता है. विशेषज्ञों की माने तो हमारे यहां दूध के उत्पादन में कमी से जुड़े मामलों में 10 से 30 प्रतिशत तक का हाथ तो बांझपन और प्रजनन विकारों का ही होता है. इसलिए यह जरूरी है कि अच्छे प्रजनन या बछड़े की प्राप्ति से पहले कुछ बातों का खास ख्याल रखा जाए.

क्यों होता है पशुओं में बांझपन

इंसानों की तरह ही पशुओं में बांझपन के कारण कई कारण हैं. कुछ कारणों को बड़ी आसानी से समझा जा सकता है, जबकि कुछ कारण इतने जटिल हैं कि वो डॉक्टरों को भी नहीं पता लग सका है. हालांकि भारत में मुख्य तौर पशुओं में बांझपन के कारण कुपोषण, संक्रमण, जन्मजात दोष, प्रबंधन त्रुटियां या अंडाणुओं और हार्मोन्स में असंतुलन ही है.

यौन चक्र और बांझपन

गायों और भैंसों का यौवन चक्र 18 से 21 दिन का होता है. लेकिन भैंस का यौन चक्र गुपचुप तरीके से होता है, जिस कारण किसानों को समस्या आती है. ऐसे में अल-सुबह ही जगकर या देर रात को 4-5 बार जानवरों निगरानी करनी चाहिए. क्योंकि उत्तेजना का गलत अंदाजा ही बांझपन के स्तर को बढ़ाने में सबसे बड़ा सहायक है. वहीं अगर पशुओं में कामोत्तेजना नजर न आए तो उनकी जांच जरूर कराएं.

खराब आहार के कारण भी पशुओं में बांझपन की समस्या आती है. ऐसे में पशुओं को ऊर्जा वाले प्रोटीन युक्त भोजन ही देना चाहिए. भोजन में  खनिज और विटामिन की मात्रा भी अच्छी होनी चाहिए. अच्छा आहार गर्भाधान की दर में वृद्धि करने में सहायक है एवं संक्रमण की घटनाओं को कम और एक स्वस्थ बछड़ा होने में मदद करता है. अच्छे पोषण के साथ ही युवा मादा बछड़ों की देखभाल भी जरूरी है. 230-250 किलोग्राम इष्टतम शरीर ही यौवन प्राप्त करने, प्रजनन और गर्भ धारण के लिए उपयुक्त है.

English Summary: infertile cases in animals and main causes know more about treatment and precautions
Published on: 10 April 2020, 10:55 IST

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