बिहार के माननीय कृषि मंत्री, डॉ० प्रेम कुमार द्वारा कौशल विकास मिशन योजना के अंतर्गत मधुमक्खी पालन सहित 23 कोर्सों में प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन बामेती, पटना के सभागार में आयोजित किया गया।
माननीय मंत्री ने अपने संबोधन में कहा कि कौशल विकास मिशन योजना के अंतर्गत चयनित 23 कोर्सों में प्रशिक्षण दिए जा रहे हैं। कौशल प्रशिक्षण 65 केन्द्रों पर आयोजित किए जा रहे हैं जो कृषि विश्वविद्यालयों, कृषि विज्ञान केन्द्रों, कृषि महाविद्यालयों, अनुसंधान केन्द्रों, आत्मा एवं बामेती में चलाए जा रहे हैं। 23 कोर्सों में से 138 बैच के माध्यम से 4180 युवा/युवतियों को प्रशिक्षित किया जा चुका है।
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उन्होंने बताया कि कौशल विकास के अंदर मधुमक्खी पालन का भी प्रशिक्षण दिया जा रहा है, जो 190 घंटों का होगा। इस वर्ष से मधुमक्खी पालन में 80 घंटे का प्रशिक्षण रिकॉग्नाइज़ ऑफ प्रायर लर्निंग (आर0पी0एल0) के माध्यम से दिया जाएगा। यह पहला कौशल विकास का प्रशिक्षण होगा जो मधुमक्खी पालन में तकनीकी ज्ञान होने के बावजूद भी मधुमक्खी पालकों को प्रशिक्षित करेगा. कौशल विकास का प्रमाण-पत्र न होने के कारण लघु उद्यमियों को काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता था। लेकिन 10 दिनों का प्रशिक्षण आर0पी0एल0 के कौशल विकास में शामिल कर लेने के बाद अब मधुमक्खी पालकों को खुद के स्वरोजगार होने में मदद मिलेगी. मधुमक्खी पालन करने हेतु मधुमक्खी पालक 10 बक्सों से व्यवसाय को शुरू कर सकते हैं और इसे बढ़ाकर हजारों बक्सों के द्वारा एक मधुमक्खी पालक सुगमतापूर्वक खेती कर सकता है एवं लाखों रूपये की आमदनी कर सकता है. मधुमक्खी पालन द्वारा कृषि के उत्पादन में 20 से 25 प्रतिशत तक की उपज में वृद्धि देखी गई है. खास करके क्रौस पॉलीनेटेड क्रॉप में 50 प्रतिशत से अधिक कृषि उपज में वृद्धि देखी गई है. मधुमक्खीपालन हेतु एक बक्से में 10 फ्रेम होती है उसमें एक रानी मक्खी एवं डोनर एवं लाखों श्रमिक मक्खी होती हैं. रानी के कार्य अण्डों के माध्यम से मक्खियों की जनसंख्या में वृद्धि करना, श्रमिक मक्खी के भोजन की व्यवस्था करना, कॉलनी की साफ-सफाई करना, शत्रुओं से लड़ना होते हैं.
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डॉ० कुमार ने कहा कि मधुमक्खी एक सामाजिक मक्खी के रूप में जानी जाती है. उनके अधिक भोज्य पदार्थ कॉलनियों में होने के फलस्वरूप एक बक्से से 10 से 20 किलो तक मधु प्राप्त किया जा सकता है. मधुमक्खी के छह पैर होते है. ये फूलों पर बैठती है और अगले पैरों से पौलेन एवं नेक्टर को झाड़कर पिछली जोड़ी के पैरों में बने बॉस्केट की टोकरी में इकट्ठा करती है और मुँह में बने श्रंककायें द्वारा फूलों के रसों को चूसकर अपने मुँह के द्वारा अपनी कॉलनियों तक रसों को पहुँचाती है एवं नर एवं मादा रानी को नेक्टर एवं पॉलेन भी भोजन के रूप में उपलब्ध कराती है. मधु उत्पादन में बिहार भारत में पहला एवं विश्व में सातवाँ स्थान रखता है. वर्ष 2017-18 में भारत में मधु का कुल उत्पादन 105 हजार मैट्रिक टन अनुमानित है.
इस अवसर पर निदेशक, बामेती डॉ० जितेन्द्र प्रसाद, राजेन्द्र कृषि विश्वविद्यालय, पूसा समस्तीपुर के भूतपूर्व प्राध्यापक डॉ० रामाशीष सिंह सहित रोहतास जिला के 30 महिला मधुमक्खीपालक किसान उपस्थित थे.