पशुओं पर आक्रमण करने वाले परजीवियों द्वारा व्यवसाय को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। इसलिए अपने पशुओं को इस से बचाकर रखना बहुत जरूरी है।
पशुओं से अधिक से अधिक लाभ लेने के लिए उन्हें स्वस्थ रखना बहुत जरूरी है। साथ ही समय पर इनकी देखभाल भी जरूरी है ताकि इन्हें बीमारियों से बचाया जा सके। कभी मौसम जनित बीमारियां, तो कभी संक्रामक बीमारियां उन्हें घेर लेती है। इसी तरह परजीवियों के कारण भी पशु बीमार पड़ सकते हैं। यह परजीवी पशुपालन व्यवसाय को भारी नुकसान पहुंचाते हैं। परजीवियों के कारण पशुओं में अनेक समस्याएं उत्पन्न होती है, जैसे खून की कमी, वजन घटना, विभिन्न त्वचा रोग आदि। साथ ही इसी वजह से गंभीर बीमारियां जैसे थिलेरियासिस, सर्रा, बेबीयोसिस आदि फैलते हैं। सामान्य तौर पर किल्लिया, मक्खी, मच्छर, पिस्सू व माइट् की विभिन्न प्रजातियां पशुओं को प्रभावित करती है।
कैसे पाएं छुटकारा
पशुओं पर कीटनाशकों के स्प्रे अथवा कीटनाशक के घोल में डंपिंग करके ब्राहा परजीवियों को मारा जा सकता है। इसके लिए 1.25 मात्रा या 10% साइपरमैथरीन की एक मिली मात्रा को 1 लीटर पानी में घोल बनाकर आवश्यकतानुसार प्रयोग किया जा सकता है। इसके अलावा आइवरमेक्टिन का टीका 0.2 मिलीग्राम प्रति किलो की दर से त्वचा के नीचे लगाया जा सकता है। जो कि सभी ब्राहा परजीवियों की रोकथाम के लिए उपयोगी है।
अन्य परजीवियों का नियंत्रण
झीलों व तालाबों में मच्छरों के लार्वा खाने वाली मछलियां, जैसे गम्बूसिया एफिनिस या लेबीस्टस रेटिकुलेट के प्रयोग द्वारा मच्छरों को नियंत्रित किया जा सकता है। इसके अलावा बेसिलस थ्युरिनजेनसिस जीवाणु के प्रयोग द्वारा भी मच्छरों को नियंत्रित किया जा सकता है।
किल्ली का नियंत्रण
इंटरलेस हुकेरी व इक्जोडिफेगस कीटों के प्रयोग द्वारा किया जा सकता है। इन कीटों के लार्वा टिक्स के निम्फ को खा जाते हैं।
पशुओं की नियमित जांच
पशुओं की नियमित रूप से जांच करवाएं व शरीर से किल्लियों को निकाल कर जला दे। समय-समय पर कीटनाशक दवाओं के गोल से उन्हें नहलाएं। पशुओं के बाड़े में कीटनाशक जैसे मेलाथियान आदि का छिड़काव करें व बाड़े में चूने की पुताई करें। बाड़े की दरारें को चुने व कीटनाशकों के मिश्रण से भर दे।
मक्खियों द्वारा घास के उपचार के लिए तारपीन के तेल में डुबोई हुई पट्टी को घाव पर लगाकर लारवी को बाहर निकालें।
पशुपालन के माध्यम से विश्व के करीब 1.3 अरब लोग रोजगार पाते हैं। विकासशील देशों में कोई 60 करोड़ लोगों को आजीविका इससे सीधी जुड़ी हुई है। देखा जाए, तो विश्व के हर 5 में से एक व्यक्ति किसी न किसी रूप में पशुपालन से जुड़ा हुआ है।