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Updated on: 17 February, 2017 12:00 AM IST
मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लेने पर विचार

शहद इकठ्ठा करने के लिए भारत में मधुमक्खी पालन प्राचीनतम परंपराओं में से एक रही है. देशी और अंतर्राष्ट्रीय बाजार में शहद की लोकप्रियता और मांग की वजह से मधुमक्खी पालन तेजी से लोकप्रिय होता जा रहा है. इससे न केवल किसानों को अच्छी आय होती है बल्कि मधुमक्खी पालन में होने वाली परागण का इस्तेमाल खेतों में करने से कृषि उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी होती है.

मधुमक्खी पालन से शहद, मोम, रॉयल जैली आदि अतिरिक्त उत्पाद भी प्राप्त होते हैं जो किसानों की अतिरिक्त आमदनी का बेहतर जरिया साबित होते हैं. पारंपरिक फसलों में लगातार हो रहे नुकसान के मद्देनज़र किसानों का आकर्षण मधुमक्खी पालन की ओर लगातार बढ रहा है. तकरीबन अस्सी फ़ीसदी फसलीय पौधे क्रास परागण करते हैं क्योंकि उन्हें अपने ही प्रजाति के पौधों से परागण की जरूरत होती है जो उन्हें बाह्य एजेंट के माध्यम से मिलता है. मधुमक्खी एक महत्वपूर्ण बाह्य एजेंट होता है. ऐसे किसान जो पेशेवर ढंग से मधुमक्खी पालन करना चाहते हैं उन्हें एपीकल्चरर यानि मधुमक्खी पालन का प्रशिक्षण लेने पर विचार करना चाहिए. आमतौर पर मधुमक्खी के छत्ते में एक रानी मक्खी, कई हज़ार श्रमिक मक्खी और कुछ काटने वाले मधुमक्खी होते हैं. मधुमक्खियों का समुह श्रम विभाजन और विभिन्न कार्यों के लिए विशेषज्ञों का उत्तम उदाहरण होता है. मधुमक्खी श्रमिक मधुमक्खियों की मोम ग्रंथि से निकलने वाले मोम से अपना घोसला बनाते हैं जिन्हें शहद का छत्ता कहा जाता है. मधुमक्खियां अपने कोष्ठक का इस्तेमाल अंडे सेने और भोजन इकठ्ठा करने के लिए करती हैं. छत्ते के उपरी भाग का इस्तेमाल वो शहद जमा करने के लिए करती हैं. छत्ते के अंदर परागण इकठ्ठा करने, श्रमिक मधुमक्खी और डंक मारने वाली मधुमक्खियों के अंडे सेने के कोष्ठक बने होने चाहिए. कुछ मधुमक्खियां खुले में अकेले छत्ते बनाती हैं जबकि कुछ अन्य मधुमक्खियां अंधेरी जगहों पर कई छत्ते बनाती हैं. किसान इन मधुमक्खियों का इस्तेमाल परागण के लिए या उनसे अन्य उत्पाद प्राप्त करने के लिए कर सकते हैं. मधुमक्खी पालन का कौन सा तरीका अपनाया जाए ये इस बात पर निर्भर करता है कि किस तरह की मधुमक्खियां उपलब्ध हैं और किसान के पास किस तरह के कौशल एवं संसाधन की उपलब्धता है.

रानी मक्खी के प्रकार

आमतौर पर मधुमक्खी के जमावट में एक रानी मक्खी, कुछ सौ हमलावर मधुमक्खी और कई हज़ार मेहनतकश मधुमक्खी होते हैं. रानी मधुमक्खी जननक्षम और क्रियाशील मादा होती है जबकि श्रमिक मधुमक्खियां बांझ मादा और हमलावर मधुमक्खी नर मधुमक्खी होते हैं. 

रानी मधुमक्खी की विभिन्न प्रजातियां

रानी मधुमक्खी मुख्यत:पांच प्रजातियों की होती हैं जो इस प्रकार हैं – 

  • भारतीय मधुमक्खी

  • चट्टानी मधुमक्खी

  • छोटी मधुमक्खी

  • युरोपीय या इटली की मधुमक्खी

  • डैमर मधुमक्खी या डंक रहित मधुमक्खी

मधुमक्खी पालन आरंभ करने से पूर्व जानने योग्य बातें

  • मधुमक्खी पालन की योजना आरंभ करने से पूर्व पहले कदम के तौर पर आपको उस इलाके में जहां आप इसे शुरू करना चाहते हैं में मनुष्य और मधुमक्खी के बीच के संबंध को करीब से समझने की कोशिश करें. प्रायोगिक तौर पर खुद को इसमें संलग्न करें और मधुमक्खियों के बारे में ज्यादा से ज्यादा जानने की कोशिश करें.

  • इस बात की सलाह दी जाती है कि अगर आपको इससे पहले मधुमक्खी पालन का कोई अनुभव नहीं है तो स्थानीय मधुमक्खी पालकों के साथ काम करें. मधुमक्खी पालन प्रबंधन के बारे में उनके निर्देश को सुनें, समझें और सीखें. मधुमक्खी पालन के दौरान कोई मधुमक्खी आपको काट ले ये बहुत ही सामान्य सी बात है.

  • एक बार मधुमक्खी और इंसान के बीच स्थानीय संबंध से परिचित हो जाने के बाद मधुमक्खी पालन की बेहतर प्रणाली को विकसित करने की कोशिश करें. उसके बाद मधुमक्खी पालन में काम आने वाले उपकरणों के उपयोग और इससे जुड़ी उत्पाद की खरीद को को लेकर एक योजना बनाएं.

  • अगर आप मधुमक्खी पालन शुरू कर रहे हैं तो उस इलाके के सिर्फ एक या दो लोगों के साथ काम करें.

  • मधुमक्खी पालन शुरू करने के वक्त कम से कम दो छत्तों बनाए जाने की सलाह दी जाती है. इससे दोनों छत्तों के बीच तुलना करने का मौका मिलता है जिससे प्राप्त अनुभव आगे आपके बहुत काम आता है.

  • मधुमक्खी पालन से जुड़ी प्रोजेक्ट शुरू करने के लिए व्यवहारिक लक्ष्य तय करें और

  • आरंभ में छोटे प्रोजेक्ट से शुरूआत की जाने चाहिए ताकि अनुभव हो औऱ फिर बड़ी योजना को बेहतर तरीके से अमली जामा पहनाया जा सके.

  • प्रोजेक्ट में काम आने वाले उपकरण स्थानीय परिस्थितियों के मुताबिक ही होते हैं. इसलिए काम शुरू करने से पहले स्थानीय जरूरतों के मुताबिक सारी व्यवस्था और तैयारियों को परख लेना चाहिए.

  • मधुमक्खी पालन में सफलता के लिए उपकरणों की बड़ी महत्वपूर्ण भूमिका होती है. अपने इलाके में ऐसे व्यक्ति को चिन्हित करना जो मधुमक्खी पालन से जुड़े उपकरण तैयार करता हो एक बड़ी सफलता मानी जाती है. स्थानीय स्तर पर उपकरण तैयार करवाना और उसके एक साथ लाने के लिए बड़ी धैर्य की आवश्यकता होती है.

  • मधुमक्खी पालन से जुड़े उत्पादों के लिए ग्राहक खोजने के लिए पहले से ही स्थापित बाजार या किसी स्थानीय एजेंट का रूख किया जाना चाहिए. मधुमक्खी पालन स्थानीय कृषि विभाग से भी संपर्क कर सकते हैं. आमतौर पर स्थानीय बेकरी वाला या चाकलेट बनाने वाला शहद के लिए स्थानीय ग्राहक होता है.

मधुमक्खी पालन आरंभ करने से पूर्व की आवश्यकताएं इस प्रकार हैं

मधुमक्खी पालन की जानकारी और प्रशिक्षण. मधुमक्खी पालन के प्रशिक्षण के लिए आप स्थानीय कृषि विभाग या कृषि विश्वविद्यालय में संपर्क कर सकते हैं.
स्थानीय मधुमक्खियों की जानकारी स्थानीय प्रजाति की मधुमक्खियों की उपलब्धता प्रवासी मधुमक्खियों की जानकारी 

मधुमक्खी पालन के लिए जगह की जरूरत 

  • चिन्हित स्थान में नमी न हो , सुखा हो. अत्यधिक आरएच मान मधुमक्खियों के उड़ने और शहद के पकने को प्रभावित करते हैं

  • प्राकृतिक या कृत्रिम रूप से बने साफ पानी के स्त्रोत उपलब्ध कराए जाने चाहिए

  • पेड़ आच्छादित इलाका हो ताकि हवा की निर्वाध उपलब्धता बनी रहे

  • चिन्हित स्थान पर वो पेड़ और पौधे अवश्य हों जो मधुमक्खियों को पराग उपलब्ध कराएं

मधुमक्खी पालन के उपकरण

  • मधुमक्खी पालन के लिए उपयोगी उपकरण इस प्रकार हैं. हालांकि ये जरूरी है कि स्थानीय मधुमक्खी पालकों से मिल कर स्थानीय जरूरत के मुताबिक इस्तेमाल किए जा रहे उपकरणों का ही प्रयोग किया जाना चाहिए.

  • मोटे & पतले ब्रश, एसएस छुरी, मुड़े और एल आकार के मधुमक्खी का छत्ता, प्लास्टिक निर्मित भोजन बद्ध रानी मधुमक्खी का छत्ता, रानी मधुमक्खी का गेट, छत्ते का गेट, शहद निष्कर्षक, धुंआ देने वाला, रानी को अलग करने वाला उपकरण, पराग का जाल, प्रोपोलिस स्ट्रीप, रॉयल जैली प्रोडक्शन &एक्सट्राक्शन कीट, मधुमक्खी का डंक निकालने वाला उपकरण आदि आदि.

मधुमक्खी पालन में परागण से लाभान्वित होने वाले फसल

  • फल एवं मेवे : बादाम, सेब, खुबानी, आडू, स्ट्राबेरी, खट्टे फल, एवं लीची
  • सब्जियां : पत्ता गोभी, धनिया, खीरा, फूलगोभी, गाजर, नींबू, प्याज, कद्दू, खरबूज, शलजम, एवं हल्दी
  • तिलहन :  सुरजमुखी, सरसों, कुसुम, नाइजर, सफेद सरसों, तिल
  • चारा : लुसेरन, क्लोवर घास

मधुमक्खी पालन में होने वाले परागण की वजह से फसल उत्पादन में होने वाली वृद्धि:

  • फसल           प्रतिशत वृद्धि

  • सरसों              44

  • सुरजमुखी         32 – 45

  • कपास           17 – 20

  • लुसेरने घास       110

  • प्याज             90

  • सेब               45

मधुमक्खी पालन में परागण के लिए मधुमक्खियों का प्रबंधन

  • छत्तों को खेत के बहुत ही पास रखने की सलाह दी जाती है ताकि मधुमक्खियों की उर्जा बची रहे

  • प्रवासी मधुमक्खियों के छत्ते को खेत के पास उस जगह रखा जाना चाहिए जहां कम से कम दस फीसदी फूल लगे हों

  • प्रति हेक्टेयर पर तीन इटालियन मधुमक्खी और प्रति हेक्टेयर पांच भारतीय प्रजाति के मधुमक्खियों के छत्ते लगाने की सलाह दी जाती है

  • मधुमक्खियों में होने वाली बीमारी से बचने के लिए स्थानीय कृषि विभाग की सलाह ली जानी चाहिए.

  • मधुमक्खी पालन आरंभ करने के लिए शुरूआती लागत तकरीबन सवा दो लाख रूपए आती है

  • अगस्त से सितंबर का माह मधुमक्खी पालन शुरू करने के लिए उपयुक्त समय होता है

  • फूलों के मौसम के बीत जाने के बाद मधुमक्खी से उत्पाद निकालने की प्रक्रिया शुरू करने का सही वक्त होता है.

  • छत्ते से शहद निकालने के लिए उपयुक्त उपकरण की मदद से किया जाना चाहिए.

English Summary: How to Beekeeping
Published on: 08 September 2017, 11:45 IST

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