पशु पालन करने वाले किसानों के लिये सबसे जरूरी अपने पशुओं की सेहत का ख्याल रखना है. बकरी को रोगों के लिए सबसे ज्यादा संवेदनशील माना जाता है. इसमें कई तरह के रोग होते हैं. जिनमें अफारा, दस्त और पेट में कीड़े ससे ज्यादा होने वाले रोग हैं. इनके लिए किसानों को समय-समय पर बहुत ज्यादा पैसे खर्च करने पड़ते हैं.
आज हम आपको इनके इन रोगों के लिए कुछ ऐसे घरेलु उपाय बताने जा रहे हैं जिसके बाद आपको बकरी के इलाज के लिए डॉक्टर को बुलाने की जरूरत नहीं पड़ेगी. तो चलिए इन रोगों के इलाज के लिए आपको विस्तार से जानकारी देते हैं.
अफारा! मतलब गलत समय पर पानी पिलाना
बकरी पालन करने वाले किसानों को इनसे जुड़ी छोटी-छोटी बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए. जब भी बकरी चारा खाती है तो आपको इस बात का ध्यान रखना होगा की वह 2 घंटे तक पानी न पिए. इसका कारण यह होता है कि अगर खाने के दौरान बकरी पानी पीती है तो खाया गया चारा पेट में फूल जाता है. जिस कारण बकरी में अफारा रोग हो जाता है.
अफारा रोग हो जाने पर इलाज: बकरी को अफारा रोग हो जाने पर आपको देशी इलाज के लिए एक प्याज, एक चम्मच कला नमक और 2 बड़े चम्मच दही को ले लीजिये इसके बाद आपको इन सभी को पीस के मिला लेना है. यही पेस्ट आपको बकरी को खिला देना है.
बकरियों में दस्त
बकरियों में दस्त का रोग लगना आम बात है. यह रोग उनके पेट में घास या चारा खाते समय हानिकारक बैक्टीरिया के कारण होता है. इसके लिए हमें कोशिश करनी चाहिए कि बकरियों को दूषित चारा या घास न खाएं.
दस्त का इलाज: बकरियों को अगर दस्त होने लगते हैं तो इसके इलाज के लिए आपको सबसे पहले चाय की पत्ती दो चम्मच खिला दें. जिससे इनके दस्त में आराम आएग. इसके अलावा आप इन्हें जामुन के पत्ते भी खिलाएं जो दस्त को ठीक करने में बहुत कारगर होते हैं.
पेट में कीड़े होना
बकरियों के पेट में कीड़ों का होना एक सामान्य बीमारी है. यह रोग भी दूषित चारा खाने के कारण ही होता है. इसका पहला प्रबंधन भी साफ़ चारा है. दूषित या गंदा चारा कहें के कारण ही बकरियों में कई रोग होते हैं.
कीड़ों के लिए उपचार: पेट के कीड़ों के लिए सबसे अच्छी दवा बथुआ के पत्ते होते हैं. इसके साथ ही आप बकरी को छाछ भी पिला सकते हैं जिससे पेट के कीड़े मर जाते हैं.
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यह सभी इलाज प्राकृतिक चिकित्सा पर आधारित हैं. इनके प्रयोग के साथ ही आपको बकरी की बीमारी को चिकित्सकीय परिक्षण के लिए भी ले जाना चाहिए.