Banni Buffalo: गुजरात की अनोखी भैंस नस्ल, एक ब्यांत में देती है 6054 लीटर तक दूध, अफगानिस्तान से है कनेक्शन Bargur Buffalo: तमिलनाडु की देसी और खास भैंस नस्ल, रोजाना देती है 7 लीटर तक दूध, जानें पहचान और अन्य विशेषताएं PM Kisan की 20वीं किस्त इस महीने हो सकती है जारी, जानें पैसा न आए तो क्या करें? किसानों को बड़ी राहत! अब ड्रिप और मिनी स्प्रिंकलर सिस्टम पर मिलेगी 80% सब्सिडी, ऐसे उठाएं योजना का लाभ जायटॉनिक नीम: फसलों में कीट नियंत्रण का एक प्राकृतिक और टिकाऊ समाधान फसलों की नींव मजबूत करती है ग्रीष्मकालीन जुताई , जानिए कैसे? Student Credit Card Yojana 2025: इन छात्रों को मिलेगा 4 लाख रुपये तक का एजुकेशन लोन, ऐसे करें आवेदन Pusa Corn Varieties: कम समय में तैयार हो जाती हैं मक्का की ये पांच किस्में, मिलती है प्रति हेक्टेयर 126.6 क्विंटल तक पैदावार! Watermelon: तरबूज खरीदते समय अपनाएं ये देसी ट्रिक, तुरंत जान जाएंगे फल अंदर से मीठा और लाल है या नहीं Paddy Variety: धान की इस उन्नत किस्म ने जीता किसानों का भरोसा, सिर्फ 110 दिन में हो जाती है तैयार, उपज क्षमता प्रति एकड़ 32 क्विंटल तक
Updated on: 5 July, 2025 12:00 AM IST
बरगुर भैंस (Bargur Buffalo) की पहचान और विशेषताएं

Bargur Buffalo: भारत विविध पशुधन परंपराओं वाला देश है, और हर क्षेत्र की अपनी एक खास नस्ल होती है. दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य की "बरगुर भैंस" (Bargur Buffalo) भी एक ऐसी ही स्थानीय और अनोखी नस्ल है. यह नस्ल मुख्य रूप से तमिलनाडु के एरोड (Erode) या पेरियार जिले के अंथियूर तालुक के बारगुर हिल्स और आस-पास के गांवों में पाई जाती है. इस नस्ल को स्थानीय लोग "मलाई एरुमई" या "मलाई एम्मई" भी कहते हैं, जहां 'मलाई' का अर्थ होता है 'पहाड़ी' और 'एरुमई' का मतलब है 'भैंस'.

बरगुर भैंसें मुख्य रूप से घरेलू उपभोग के लिए दूध, छाछ और गोबर उत्पादन के लिए पाली जाती हैं. इनका दूध सीमित मात्रा में होता है, लेकिन उसमें वसा (फैट) की मात्रा अधिक होती है, जिससे दही और मट्ठा बेहतरीन बनता है. यह नस्ल केवल जंगल के क्षेत्र में चराई के लिए उपयुक्त है, जिससे इसकी विशेष पहचान बनती है. ऐसे में आइए भैंस की देसी नस्ल बरगुर भैंस (Bargur Buffalo) की पहचान और अन्य विशेषताओं के बारे में विस्तार से जानते हैं-

बरगुर भैंस कहां पाई जाती है?

बरगुर भैंस (Bargur Buffalo) तमिलनाडु के अंथियूर तालुक की बारगुर पहाड़ियों के गांवों में पाई जाती है. इस क्षेत्र की भौगोलिक बनावट पहाड़ी और हरियाली से भरपूर है. यहां की जलवायु भैंसों के लिए अनुकूल मानी जाती है, विशेषकर उन नस्लों के लिए जो वन क्षेत्र में चराई करती हैं.

बरगुर भैंस का मुख्य उपयोग और उत्पत्ति

बरगुर भैंस (Bargur Buffalo) का मुख्य उपयोग दूध और गोबर के लिए होता है. दूध का उपयोग मुख्यतः घरेलू खपत में होता है जैसे कि छाछ और दही बनाने के लिए. यह नस्ल स्थानीय है और इसे उसके वितरण क्षेत्र के अनुसार नाम मिला है. 'Bargur' नाम उसी स्थान से लिया गया है जहां यह भैंस पाई जाती है. इस नस्ल का विकास वर्षों से स्थानीय लोगों द्वारा पारंपरिक तरीकों से किया गया है.

बरगुर भैस की पहचान

इस भैंस का रंग भूरा-काला और भूरा होता है. इसमें दो सींग होते हैं जो पीछे की ओर मुड़े होते हैं. नर भैंसों का औसत कद 108.27 सेमी और शरीर की लंबाई 94.87 सेमी होती है, जबकि मादा भैंसों की ऊंचाई औसतन 102.83 सेमी और शरीर की लंबाई 93.33 सेमी होती है. इसका सीना (Heart Girth) 149.8 सेमी तक पहुंचता है. इसकी पूंछ, थूथन और आंखों की पलकों का रंग काला होता है. खुर ग्रे रंग के होते हैं.

बरगुर भैंस का पालन - पोषण कैसे किया जाता है?

बरगुर भैंसों को विस्तारित प्रणाली (Extensive System) में पाला जाता है. ये भैंसें स्थायी स्थान पर नहीं रहतीं, बल्कि जंगल में चराई के लिए छोड़ी जाती हैं. ज्यादातर किसान इन्हें खेत के बगल में बने बाड़े या जंगल के किनारे चरने के लिए रखते हैं. इन भैंसों के प्रजनन के लिए "Konaan" नामक स्थानीय सांड़ का उपयोग किया जाता है. यह नस्ल अपनी चुस्ती, सहनशक्ति और जंगल में चलने की क्षमता के लिए प्रसिद्ध है.

बरगुर भैंस की दूध उत्पादन क्षमता

बरगुर भैंस (Bargur Buffalo)का दूध उत्पादन अन्य नस्लों की तुलना में कम है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक यह भैंस रोजाना औसतन 6-7 लीटर तक दूध दे सकती है, और प्रति ब्यांत में 700-1200 किलोग्राम तक दूध का उत्पादन कर सकती है, लेकिन इसका फैट कंटेंट लगभग 8.59% होता है, जो इसे पौष्टिक और स्वादिष्ट बनाता है. इन भैंसों की पहली ब्यांत की औसत उम्र 46 महीने होती है और ब्यांत का अंतराल 16 से 18 महीने तक रहता है.

बरगुर भैस की विशेषताएं

  • बरगुर भैंस की खासियत है इसका दुग्ध वसा प्रतिशत जो काफी अधिक होता है.

  • यह नस्ल केवल वन क्षेत्र में चराई के लिए उपयुक्त है और अन्य इलाकों में नहीं रह पाती है.

  • यह नस्ल कठोर जलवायु और खड़ी पहाड़ी क्षेत्रों में आसानी से जीवित रहती है.

  • इनकी देखरेख कम संसाधनों में भी की जा सकती है, जो इसे आदिवासी और सीमांत किसानों के लिए उपयुक्त बनाता है.

ऐसे में हम यह कह सकते हैं कि बरगुर भैंस तमिलनाडु की सांस्कृतिक और पारंपरिक विरासत का एक अहम हिस्सा है. यह नस्ल दुग्ध उत्पादन में भले ही ज्यादा आगे न हो, लेकिन इसके दूध की गुणवत्ता और क्षेत्रीय अनुकूलता इसे विशेष बनाती है. यदि इसका संरक्षण और वैज्ञानिक रूप से संवर्धन किया जाए, तो भैंस की यह नस्ल पशुपालन क्षेत्र में एक स्थायी और सशक्त विकल्प बन सकती है.

English Summary: desi Bargur Buffalo breed identification characteristics milk per lactation milk per day bargur bhains dairy farming
Published on: 05 July 2025, 03:30 IST

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