भारत में मछली पालन के प्रति लोगो की दिलचस्पी बढ़ती जा रही है. खासकर रंग-बिरंगी मछलियां जिनको घर में एक्वेरियम में पाला जाता है. इसका व्यवसाय भारत में काफी बढ़ रहा है. इन मछलियों को पालने वालों के सामने एक बड़ी समस्या है कि इनका चारा कहा से लाए. इन मछलियों को गुणवत्ता वाला रंगीन चारा खिलाया जाता है. भारत में मछलियों के इस चारे का निर्माण बहुत ही कम होता है. अधिकतर इसको दुसरे देशों से ही आयात किया जाता है. देश में इस उद्योग को बढ़ावा देने के लिए भा. कृ.अ.प. के संस्थान केंद्रीय खाराजल मत्स्यपालन संस्थान (सिबा) ने एक कंपनी के साथ समझौता करार किया है. चेन्नई ने स्थित भाकृअनुप- केंद्रीय खाराजल मत्स्यपालन संस्थान (सिबा) और मैसर्स टेक्नो फीडर प्राईवेट लिमिटेड के साथ 'कलरफिशफीड (Colourfishfeed)' की प्रौद्योगिकी हस्तांतरण के लिए इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किया। प्रौद्योगिकी हस्तांतरण अनुकूलित चारा मिल (चक्की) और सजावटी मछली चारा उत्पादन को बढ़ाने के लिए एक गैर-विशिष्ट आधार पर किया गया है।
मैसर्स टेक्नो फीडर, प्राईवेट लिमिटेड को भाकृअनुप-सिबा से तकनीकी मार्गदर्शन के साथ सजावटी चारे के उत्पादन करने की परिकल्पना की गई है। इस समझौते के अनुसार परीक्षण विपणन के लिए आवश्यक चारे की प्रारंभिक मात्रा सिबा द्वारा उत्पादित की जाएगी और ग्राहक बाद में अपनी सुविधाओं के अनुसार चारे का निर्माण कर सकेगा। कलरफिशफीड’ सजावटी मछली के अच्छे स्वास्थ्य और रंग को बनाए रखने के लिए वैज्ञानिक रूप से तैयार किया गया चारा है, संस्था द्वारा कलरफिशफीड को प्राथ्मिक्ता दि जा रही है.
मछ्ली चारा व्यवसाय को मिलेगी एक नई दिशा
संस्था के निदेशक डॉ. के. के. विजयन ने इस क्षेत्र की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए गुणवत्ता वाले सजावटी चारे के भारतीय ब्रांड होने की आवश्यकता पर प्रकाश डाला, जो वर्तमान में विदेशी उत्पादों द्वारा आपूर्ति की जाती है। उन्होंने चारे की गुणवत्ता, लागत प्रभावशीलता और सामर्थ्य के महत्त्व पर भी जोर दिया।
डॉ. के. अंबासंकर, प्रौद्योगिकी टीम लीडर ने समझौता ज्ञापन के महत्त्व के बारे में जानकारी दी और इस पहल की आरंभिक बिंदु को रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि इस मॉडल की सफलता और लागत प्रभावी और गुणवत्ता वाले चारे की उपलब्धता भारत में बढ़ते सजावटी मछली पालन क्षेत्र के विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी।
टेक्नो फीडर प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक रंजीथ मणिवन्नन ने कहा कि बाजार में उपलब्ध चारा न केवल महंगे हैं बल्कि गुणवत्ता अत्यधिक अस्थिर है। इस संयुक्त पहल से देसी ब्रांड एक्वैरियम चारे की स्थापना होगी और उपभोक्ता के लिए गुणवत्तापूर्ण चारे की आवश्यकता को पूरा किया जा सकेगा।