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Updated on: 15 October, 2022 12:00 AM IST
विशेषज्ञ बकरी पालन व्यवसाय शुरू करने से पहले अच्छी नस्ल के चुनाव का सुझाव देते हैं, अगर पशुपालक बकरी पालन शुरू करने जा रहे हैं तो अपने क्षेत्र में उपलब्ध चारा, दाना-पानी के अनुसार मवेशियों की संख्या और नस्ल का चुनाव करें, इससे मुनाफा ज्यादा होने की संभावनाएं बढ़ेंगी, फोटो-सोशल मीडिया.

दूसरे मवेशियों की तुलना में बकरी पालन में नुकसान होने की आशंका बहुत कम रहती है. पशुपालक व्यवसाय शुरू करने से पहले अपने क्षेत्र का मौसम, उपलब्ध चारा और दाना-पानी के हिसाब से बकरी की नस्लों का चयन करें तो बंपर मुनाफा होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. अगर आप उत्तर प्रदेश, मध्यप्रदेश या राजस्थान, महाराष्ट्र में रहते हैं तो वहां के हिसाब से और पहाड़ी राज्यों जैसे उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश में रहते हैं तो वहां की भौगोलिक परिस्थियों के हिसाब से बकरी की नस्लों का चयन करें. इस लेख में आज हम बकरियों की कुछ उन्नत वैरायटियों के बारे में बात करेंगे.

पंतजा और पहाड़ी बकरियों के मेमने, फाइल फोटो.

बकरियों ये सात नस्ल विशेषज्ञ मानते हैं बेस्ट

ब्लैक बंगाल बकरी (Black Bengal Goat)

बकरी की इस नस्ल के पालन के लिए बिहार, उड़ीसा और पश्चिम बंगाल की जलवायु अच्छी मानी जाती है. इस बकरी का पालन मांस-चमड़ा और दूध, दोनों के लिए किया जाता है.

पंतजा बकरी (Pantja Goat)

हिरन की तरह दिखने वाली इस नस्ल की बकरी के पालन के लिए उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश का ठंडा मौसम अच्छा माना जाता है. लोग इसका पालन दूध, मांस और रेशे के लिए करते हैं.

बीटल बकरी, फाइल फोटो.

सिरोही बकरी (Sirohi Goat)

सिरोही बकरी का पालन राजस्थान के सिरोही, अजमेर, बांसवाड़ा, राजसमंद और उदयपुर और गुजरात के कुछ क्षेत्रों में होता है. इस नस्ल का पालन दूध और मांस के लिए किया जाता है.

बरबरी बकरी (Barbari Goat)

बकरी की इस नस्ल को पालने के लिए उत्तर प्रदेश की जलवायु को सर्वोत्तम माना जाता है. बरबरी बकरियों को सबसे अधिक पालन आगरा, अलीगढ़ मंडल के पशुपालक करते हैं. इस बकरी का पालन केवल मांस के लिए होता है. दिल्ली के आस-पास के क्षेत्रों में भी इस नस्ल की बढ़िया प्रगति होती है.

बीटल बकरी (Betel Goat)

पंजाब के पठानकोट, अमृतसर, गुरुदासपुर और जम्मू के आसपास पाई जाने वाली इस नस्ल को दूध, मांस, चमड़ा और रेशा, चारों के उत्पादन के लिए जाना जाता है. प्रजनन की बात करें तो इस नस्ल में 12-18 महीने के बीच गर्भाधान होता है.

उस्मानाबादी बकरियां, फाइल फोटो.

जमुनापारी (Jamunapari Goat)

जमुना पारी बकरी पालन के लिए चंबल संभाग का क्षेत्र सबसे उपयुक्त माना जाता है. इन नस्ल से दूध और मांस, दोनों का उत्पादन होता है. लंबे कानों वाली ये बकरी एक दिन में 2.5-3 लीटर दूध देती है.

उस्मानाबादी (Osmanabadi Goat)

इस नस्ल का भी पालन ज्यादातर मांस के लिए किया जाता है . महाराष्ट्र के उस्मानाबाद, परभणी, अहमदनगर और सोलापुर के आसपास का परिवेश और राज्य की जलवायु इस नस्ल के पालन के लिए अच्छी मानी जाती है. काले रंग की ये बकरी साल में दो बार बच्चे देती है.

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पशुपालक बाड़े का ऐसे करें प्रबंधन

बकरियां कुदने-फांदने में माहिर होती हैं, इसलिए बाड़े की दीवार की उंचाई कम से कम 5-6 फिट तक रखें। यदि आप खेत में बकरी पालन कर रहे हैं तो तारों की बाड़ को मजबूत खंबों के सहारे बांधें. इससे शिकारी कुत्ते और शियार-भेड़ियो की पहुंच से आपके मवेशी सुरक्षित रहेंगे. बकरियों की संख्या के अनुसार बाड़े का क्षेत्रफल रखें. एक बकरी को कम से कम 3 वर्गमीटर के क्षेत्रफल निर्धारित करें. इसके साथ ही बाड़े की स्वच्छता पर विशेष ध्यान रखना आवश्यक है, बाड़ा हवादार रखें. कम जगह में अधिक बकरियां रखने से उनके बीमार होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं. इससे दूध और मांस उत्पादन में कमी हो सकती है.

English Summary: choose these varieties of goats for double income cattle yard managing tips
Published on: 15 October 2022, 06:21 IST

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