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Updated on: 7 June, 2020 12:00 AM IST
Buffalo Rearing in india

डेयरी बिजनेस में भैंस पालन का बहुत महत्व है. देश में लगभग 55 प्रतिशत दूध भैंस पालन से मिलता है, इसलिए भैंस का उन्नत नस्ल का होना बेहद जरूरी है. इसके लिए पशुपालक को भैंस संबंधी हर ज़रूरी पूरी जानकारी रखनी चाहिए. अगर आप भी डेयरी बिजनेस से जुड़े हुए हैं या फिर भैंस पालन शुरू करने जा रहे हैं, तो इन 5 बातों को ध्यान में ज़रूर रखें. इससे आपको बेहतर दूध उत्पादन मिलेगा, साथ ही अच्छा मुनाफा कमा पाएंगे.  

1.अच्छी नस्ल की भैंस का होना

2.संतुलित आहार

3.भैंस के लिए आरामदायक बाड़ा

4.भैंस हर साल बच्चा दे

5.रोग नियंत्रण

भैंस की उन्नत नस्ल

हमेशा पशुपालकों को भैंस पालन में उन्नत नस्ल का चुनाव करना चाहिए. अगर भैंस की नस्ल अच्छी होगी, तो दूध का उत्पादन भी अधिक मिल पाएगा. भैंस की कई उन्नत नस्ल जैसे, मुर्रा, जाफरावादी, महसाना, पंधारपुरी, भदावरी आदि होती हैं. इसमें मुर्रा नस्ल की भैंस को सबसे अधिक उत्पादन देने वाली नस्ल कहा जाता है. इस भैंस के सींग मुड़े हुए होते है, जो कि देसी और अन्य प्रजाति की भैंसों से दोगुना दूध दे सकती है. इससे रोजाना लगभग 15 से 20 लीटर तक दूध मिल सकता है. इसके दूध में फैट की मात्रा भी अधिक पाई जाती है, इसलिए इसकी कीमत भी अधिक होती है. खास बात है कि यह भैस किसी भी तरह की जलवायु में रह सकती हैं. इनकी देखभाल करना भी आसानी होता है. इनको अधिकतर पंजाब और हरियाणा राज्यों में पाला जाता है.

संतुलित आहार का होना

पशुपालक को उन्नत नस्ल के साथ-साथ संतुलित आहार पर भी विशेष ध्यान देना चाहिए. अगर  भैंसों की चराई अच्छी होगी, तो उनसे दूध उत्पादन भी अच्छा मिल पाएगा. बता दें कि इनके संतुलित आहार में मक्का, जौ, गेंहू, बाजरा, सरसों की खल, मूंगफली की खल, बिनौला की खल, अलसी की खल को शामिल करना चाहिए. इन संतुलित आहार को पशुपालक अपने अनुसार पशुओं को खिला सकते हैं.

हर साल गाभिन हो भैंस

भैंस का हर साल गाभिन होना अच्छा रहता है. अगर भैंस हर साल गाभिन न हो, तो उसको डॅाक्टर को जरुर दिखा लेना चाहिए. इसके अलावा भैंस का वजन भी लगभग 350 किग्रा के आस-पास होना चाहिए.

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भैंसों के लिए आरामदायक बाड़ा

पशुपालक को भैंस पालन में आरामदायक बाड़ा ज़रूर बनाया चाहिए. यह इस प्रकार बनाएं, जो कि सर्दी, गर्मी और बारिश के मौसम में भैंस को बचाव कर सके. इसके साथ ही यह हवादार भी होने चाहिए. इसके अलावा बाड़ को कच्चे फर्श पर बनाना अच्छा रहता है. बाड़ा पर सीलन नहीं होनी चाहिए. ध्यान दें कि हर समय पशुओं के पीने के लिए साफ पानी की व्यवस्था रखनी चाहिए. पशुओं को जितना अच्छा आराम मिल पाएगा, दूध उत्पादन भी उतना ही अच्छा मिलेगा.  

रोग नियंत्रण

खासतौर पर पशुओं को बीमारी से बचाकर रखना चाहिए. अगर पशु की सेहत अच्छी रहेगी, तो उससे दूध उत्पादन भी अच्छा मिल पाएगा. ऐसे में जरूरी है कि पशुपालक भैंस को पेट के कीड़े की दवा, खुरपका-मुंहपका, गलाघोटू का टीका लगवा लें. इसके अलावा भैंसों में होने वाला थनैला रोग का बचाव भी समय रहते कर लें.

English Summary: Buffalo farming information for cattle rearing
Published on: 07 June 2020, 03:03 IST

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