ग्रामीण क्षेत्रों में व्यापार का सबसे अच्छा साधन पशुपालन को माना जाता है. क्योंकि इससे किसान को दूध, खाद और अन्य कृषि उत्पाद प्राप्त होते हैं, जिससे किसान खेती में बचत के साथ-साथ अच्छा मुनाफा कमा पाते हैं. वही, अगर हम गाय-भैंस के दूध उत्पादन की बात करें, तो किसानों के सामने कई तरह की परेशानियां सामने आती है, जिसके चलते कई किसानों व पशुपालकों को नुकसान का सामना करना पड़ता है. अक्सर देखा गया है कि गाय-भैंस मौसम के बदलाव के चलते दूध देना कम कर देती है. इसके बचाव के लिए पशुपालक कई तरह के महत्वपूर्ण कदम उठाते हैं. दुधारू पशुओं द्वारा कम दूध देने पर कई पशुपालक ज्यादा दुध के चक्कर में पशुओ को इंजेक्शन देना शुरू कर देते हैं, जिससे दूध की क्वालिटी और पशुओं के स्वास्थ्य/Animal Health पर असर पड़ता है.
बता दें कि पशुपालक गाय-भैंस का दूध बढ़ाने के लिए प्राकृतिक उपाय/Natural remedies to increase cow and buffalo milk का भी प्रयोग कर दूध उत्पादन बढ़ा सकते हैं, जिसका पशु के स्वास्थ्य पर भी कोई नकारात्मक प्रभाव नहीं पड़ता है. आइए गाय-भैंस का दूध बढ़ाने के लिए प्राकृतिक उपाय के बारे में जानते हैं...
गाय-भैंस का दूध बढ़ाने के लिए खिलाएं लहसुन
गाय-भैंस का दूध बढ़ाने के लिए पशुपालक को पशुओं के चारे में लहसुन खाने को देना चाहिए. ऐसा करने से गाय-भैंस के दूध देने की क्षमता बढ़ेगी और साथ ही उन्हें किसी तरह का कोई स्वास्थ्य परेशानी भी नहीं होगी. ध्यान रहे कि गाय-भैंस के चारे में या पशु की डिलीवरी के 4-5 दिन के बाद लहसुन मिलाकर खिलाने से पशुओं का दूध बढ़ जाता है. क्योंकि चारे के साथ लहसुन खिलाने से गाय-भैंसों को ज्यादा भूख लगती है.
लहसुन खिलाने के फ़ायदे/Benefits of Feeding Garlic
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लहसुन में कई तरह के गुण पाए जाते हैं जैसे कि जीवाणुनाशक, कीटाणुनाशक और रोगाणुनाशक आदि. जो पशुओं में खुरपका जैसी बीमारियां नहीं होने देते हैं.
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लहसुन खिलाने से पशुओं को ज़्यादा भूख लगने लगती है.
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लहसुन से गाय-भैंसों के पाचन तंत्र में सुधार होता है.
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पशुओं को लहसुन खिलाने से ग्लोबल वार्मिंग को कम करने में काफी हद तक मदद मिलती है.
ये घरेलू उपाय भी अपना सकते हैं
गाय-भैंस के दूध बढ़ाने के लिए पशुपालक को गेहूं का दलिया, गुड़ शर्बत, मैथी, कच्चा नारियल, जीरा, और अजवाइन का मिश्रण बनाकर गाय के ब्याने के बाद करीब 3 दिनों तक खिलाना चाहिए. ऐसा करने से भी पशुओं में दूध देने की क्षमता में बढ़ोतरी होती है. इसके अलावा पशुपालक अपने पशुओं को लंबे समय तक लोबिया घास खिला सकते हैं. इसे भी गाय के दूध की क्षमता में वृद्धि होती है.