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Updated on: 12 April, 2019 12:00 AM IST

भारतीय किसान प्राचीन काल से खेती के साथ-साथ पशुपालन भी करते आ रहे हैं. यहां के किसानों के लिए खेती जितना मायने रखता है उतना ही मायने  पशुपालन भी रखता है. यहां पर खेती को लाभदायक व्यवसाय के तौर पर देखा जाता ही है. साथ ही पशुपालन को भी लाभदायक व्यवसाय के तौर पर देखा जाता है. पशुपालन एक ऐसा व्यवसाय माना जाता है जिसमें घाटा संभावना बहुत कम होती है. आज के समय में यह व्यवसाय बहुत तेजी से अपना पांव पसार  रहा है. इस क्षेत्र में आज के समय में कई नई वैज्ञानिक पद्धतियां विकसित हो गई हैं जो किसानों के लिए काफी लाभदायक साबित हो रही है.

एक अनुमान के मुताबिक, देश में 3 करोड़ से भी ज्यादा लोगों को वर्तमान में एक दिन में 100 रुपये से कम आमदनी में जीवित रहना पड़ रहा है. इनमें से लगभग 25 से 35 प्रतिशत लोग अपनी आजीविका के लिए कृषि पर निर्भर हैं. ऐसे में कृषि में विकास और गरीबी घटाने में पशुपालन व्यवसाय एक बड़ा योगदान दे सकता है. पशुधन उत्पाद/ डेरी उत्पाद उच्च-मूल्य वाले उत्पाद है और यह कृषि उपज का एक अच्छा उदाहरण हैं. आज के समय में पशुपालन चार में से तीनकिसानों के घरों मैं देखा जा सकता है और ये पहले से ही प्रचलित है और ये गरीबी में कमी के लिए एक महत्वपूर्ण मार्ग है .

बता दे कि पशुधन में विभिन्न प्रकार की विशेषताएं होती हैं जो उन्हें स्थायी ग्रामीण विकास में महत्वपूर्ण योगदान देती हैं. वे विपणन योग्य उत्पाद प्रदान करते हैं जो छोटे पैमाने पर, घरेलू उत्पादन प्रणालियों द्वारा उत्पादित किए जा सकते हैं, और आम तौर पर कई फसलों की तुलना में उच्च मूल्य देते है और फसल की तुलना में सुरक्षित होते हैं. अपेक्षाकृत उच्च आय के साथ एक कृषि उत्पाद के रूप में, ग्रामीण परिवारों को शहरी-आधारित आर्थिक विकास में भाग लेने के लिए एक साधन के रूप में पशुधन विशेष रूप से आकर्षक हैं. पशुधन को प्रत्यक्ष रूप से भविष्य के निवेश के लिए धन के भंडार के रूप में देखा जा सकता है पशु से मिला गोबर कृषि उत्पादन में योगदान देता हैं. अंत में, वे मिट्टी की उर्वरता और कृषि अपशिष्ट के पुनर्चक्रण में योगदान कर सकते हैं. पशुधन उत्पादों की बढ़ती बाजार मांग से कई पशुपालक सीधे लाभान्वित हो सकते हैं.

English Summary: animal husbandry is becoming a source extra income farmer
Published on: 12 April 2019, 01:00 IST

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