मौसम में अचानक हो रहे बदलाव सिर्फ इंसानी जीवन पर ही अपना प्रभाव नहीं डालते हैं, बल्कि यह छोटे-बड़े कई तरह के जीव-जंतु (living organisms) पर भी प्रभाव डालता है. देखा जाए तो बीते कुछ महीने से बैमौसम बारिश व अब आने वाली तपती गर्मी किसान भाइयों व पशुपालकों के लिए मुश्किलें खड़ी कर रहा है.
मौसम विभाग की रिपोर्ट के मुताबिक, आने वाले 1 से 2 महीने में भारत में भीषण गर्मी का सिलसिला शुरू होने वाला है. ऐसे में किसानों व पशुपालकों को कई तरह की सावधानी बरतने की बेहद जरूरी है. ताकि वह इससे होने वाली हानि से बच सकें. तो आइए इस लेख के माध्यम से जानते हैं कि गर्मी के मौसम में पशुपालक भाई कैसे अपने पशुओं की देखभाल करें.
गर्मी में पशुओं की देखभाल (Taking Care of Animals in Summer)
गर्मी के मौसम में जितना हो सके पशुओं के आहार में हरे चारे (green fodder) की मात्रा को बढ़ाएं. दरअसल, हरे चारे में सबसे अधिक पानी की मात्रा पाई जाती है, जिसे खाने से गर्मी के सीजन में पानी की कमी नहीं होगी. इसके अलावा हरा चारा खाने से पशु हाइड्रेटेड रहते हैं.
अपने पशुओं को पानी में नमक और आटा दोनों अच्छे से मिलाकर पिलाएं.
पशुओं को घर के बाहर न रखें. उन्हें ऐसे स्थान पर रखें जहां गर्म हवाएं नहीं आती हैं.
उनके रहने के स्थान की छत पर सूखी घास, पुआल आदि को फैला दें. ताकि सूरज की धूप सीधे घर के अंदर न जाए.
गर्मी के मौसम में पशुओं को रोजाना नहलाना चाहिए.
पशुओं में लू के लक्षण
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इनके शरीर का तापमान तेजी से बढ़ने लगता है.
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इसके अलावा पशु बेचैनी के कारण एक स्थान पर नहीं बैठते हैं.
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लू लगने से पशुओं का पसीना नहीं रुकता है.
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इनके लार के स्राव में तेजी से बढ़ोतरी होती है.
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इस दौरान इनके खाने की क्षमता भी कम हो जाती है.
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ये ही नहीं पशुओं के दूध उत्पादन में भी कमी आने लगती है.
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ऐसे करें उपचार
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पशुओं को जितना हो सके उतना आराम करने दें.
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अधिक से अधिक मात्रा में पशुओं को पानी पीने के लिए दें.
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पशु को अपने किसी भी नजदीकी पशु चिकित्सक में जरूर दिखाएं.
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इसके अलावा उन्हें समय-समय पर बर्फ के टुकड़े चाटने के लिए देते रहें.