Organic Farming: जैविक खेती के अपने कई अलग फायदें होते हैं. किसान इसे अपनाकर अपने साथ-साथ मिट्टी की स्थिति में भी सुधार कर सकता है. देखा जाए ता जैविक खेती (jaivik kheti) के पारम्परिक तरीके को अपनाकर भूमि सुधार कर उसे पुनर्जीवित करने का यह सबसे अच्छा स्वच्छ तरीका है. इस पद्धति से खेती करने में बिना रासायनिक खाद्यों, सिंथेटिक कीटनाशकों, वृद्धि नियंत्रक तथा प्रतिजैविक पदार्थों का उपयोग वर्जित होता है. इनके स्थान पर किसान स्थानीय उपलब्धता के आधार पर फसलों द्वारा छोड़े गए बायोमास का उपयोग करते हैं, जो भूमि की गुणवत्ता बढ़ाने के साथ-साथ उर्वरता में भी वृद्धि का काम करने में सक्षम है.
इसके इतने सारे गुणों के चलते किसान भाइयों को इसे अपनाने पर जोर दिया जा रहा है. इसके लिए भारत सरकार के साथ-साथ राज्य सरकारें भी इसे अपनाने पर जोर दे रही हैं. आपकी जानकारी के लिए बता दें कि सरकार जैविक खेती (Organic farming) को बढ़ावा देने के लिए स्कीम भी चलाती है. ताकि किसान इसकी मदद से यह खेती सरलता से कर सकें.
अब आप सोच रहे होंगे कि क्या जैविक खेती (jaivik kheti) करना आसान है. ऐसा बिल्कुल नहीं है. दरअसल, जैविक खेती जितनी सरल लगती है, उतनी ही मुश्किल होती है. इसे करने के लिए किसान को 3-4 सालों का प्रयास लगता है. फिर कहीं जाकर उस किसान को जैविक खेती से लाभ (Benefits of organic farming) प्राप्त होता है.
इसी के चलते कुछ किसान भाई इसे नहीं करते हैं. इसके लिए सरकार ने योजनाओं को शुरू किया है. ताकि किसान इसकी खेती कर सकें. इसी कड़ी में राजस्थान सरकार परंपरागत कृषि विकास योजना (paramparagat krishi vikas yojana) के तहत जैविक खेती करने में मदद करती है. बता दें कि इस योजना में किसानों को क्लस्टर बनाने की मदद दी जाती है. 20 हेक्टेयर तक किसान इस योजना से एक क्लस्टर तैयार कर सकता है. जिसमें किसानों को कृषि इनपुट्स की खरीद या अन्य जरूरी संसाधनों पर सब्सिडी दी जाती है.
जैविक खेती पर अनुदान (Subsidy on organic farming)
किसानों की सुविधा के लिए राजस्थान सरकार ने राज किसान पोर्टल (Raj Kisan Portal) को बनाया है. इस वेबसाइट पर खेती-किसानी से जुड़ी कई सुविधा के साथ योजनाओं के बारे में किसानों को अपडेट दिया जाता है. इसी के चलते राज किसान पोर्टल के मुताबिक, राज्य के किसान भाइय़ों को परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत क्लस्टर एप्रोच और पी.जी.एस. सर्टिफिकेशन का भी प्रावधान है. जिसमें किसानों को पहले साल में 12,000 रुपए और वहीं दूसरे साल में 10,000 रुपए तक इसके बाद तीसरे साल में 9,000 रुपए तक की मदद की जाती है.
इन किसानों को ही मिलेगी यह सुविधा
अगर आप भी राजस्थान सरकार (Government of Rajasthan) की इस सुविधा का लाभ प्राप्त करना चाहते हैं और अपने खेत में जैविक खेती को कर अधिक लाभ कमाना चाहते हैं, तो इसके लिए आपको परंपरागत कृषि विकास योजना से जुड़ना होगा. लेकिन ध्यान रहे कि इस योजना में आप तभी शामिल हो सकते हैं, जब आपके पास कम से कम 0.4 हेक्टेयर से 2 हेक्टेयर तक जमीन हो. इससे अधिक होने पर आप इस योजना से बाहर कर दिए जाएंगे. इसके अलावा खेत स्वयं कृषक के नाम होना चाहिए.
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परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत प्रथम वर्ष में कम्पोनेन्ट/गतिविधि पर कृषकों को देय सहायता
कम्पोनेन्ट/गतिविधि |
कृषकों को देय सहायता |
भूमि का जैविक परिवर्तन |
रूपये 1500/- प्रति हेक्टेयर अनुदान सहायता |
फसल पद्धति एवं जैविक बीज हेतु सहायता |
रूपये 1500/- प्रति हेक्टेयर अनुदान सहायता |
परंपरागत जैविक आदान उत्पादन इकाई की स्थापना |
1000/- रूपये प्रति इकाई की स्थापना हेतु अनुदान |
ढैंचा/ सनई प्रयोग हेतु सहायता |
रूपये 1000/- प्रति हेक्टेयर |
फॉस्फेट युक्त जैविक खाद का प्रयोग |
फॉस्फेट रिच जैविक खाद का प्रयोग करने हेतु रूपये 1000/- प्रति हेक्टेयर |
वर्मीकम्पोस्ट इकाई का निर्माण |
चयनित कृषक द्वारा वर्मीकम्पोस्ट इकाई का निर्माण करने पर (आकार 7 फीट लम्बाई , 3 फीट चौडाई व 1.5' ऊंचाई ) रूपये 5000/- प्रति इकाई
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जैव उर्वरक / जैव कीटनाशी / वेस्ट डीकम्पोजर पर सहायता |
रूपये 1000/- प्रति हेक्टेयर
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कुल |
12000/- हेक्टेयर |
परंपरागत कृषि विकास योजना (PKVY) के तहत द्वितीय व तृतीय वर्ष में कम्पोनेन्ट/गतिविधि पर कृषकों को देय सहायता
कम्पोनेन्ट/गतिविधि |
दूसरे वर्ष (कृषकों को देय सहायता) |
तीसरे (कृषकों को देय सहायता) |
भूमि का जैविक परिवर्तन |
रूपये 1500/- प्रति हेक्टेयर |
रूपये 1500/- प्रति हेक्टेयर |
फसल पद्धति एवं जैविक बीज हेतु सहायता |
रूपये 1500/- प्रति हेक्टेयर |
रूपये 1500/- प्रति हेक्टेयर |
ढेंचा/ सनई प्रयोग हेतु सहायता |
रूपये 1000/- प्रति हेक्टेयर |
रूपये 1000/- प्रति हेक्टेयर |
जैव उर्वरक / जैव कीटनाशी / वेस्ट डीकम्पोजर पर सहायता |
रूपये 1000/- प्रति हेक्टेयर |
रूपये 1000/- प्रति हेक्टेयर |
फॉस्फेट रिच जैविक खाद (PROM) |
रूपये 1000/- प्रति हेक्टेयर |
रूपये 1000/- प्रति हेक्टेयर |
वनस्पति काढ़ा इकाई की स्थापना |
रूपये 1000/- प्रति इकाई |
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वर्मी कम्पोस्ट की सामग्री तथा गाय / भैंस का ताजा गोबर |
रूपये 3000/- प्रति इकाई |
रूपये 3000/- प्रति इकाई |
कुल |
रूपये 10000/- हैं |
रूपये 9000/- हैं |