मध्यप्रदेश के किसानों के लिए आम का बागवानी करने का यह बिल्कुल सही समय है. दरअसल मध्यप्रदेश की सरकार किसानों को उद्यानिकी विभाग के जरिए बागवानी के लिए सब्सिडी उपलब्ध करवा रही है. इस सब्सिडी को तीन चरणों में वितरित किया जाएगा. आम की बागवानी उष्ण और समशीतोष्ण दोनों प्रकार की जलवायु में आसानी से की जा सकती है. इसके लिए 23 से 28 डिग्री तापमान की जरूरत महसूस होती है. आम की अधिकतर किस्में पर्याप्त बारिश 75 से 375 सेंटीमीटर व शुष्क वातावरण वाले क्षेत्रों में अच्छे से पनपती है. फल के फूल आने के समय मौसम बेहतर रहता है. दरअसल दोमट, जलोढ़, उचित जल निकास वाली और गहरी भूमि जिनका पीएच मान 5.5 और 7.5 के मध्य हो.
इतनी मिलेगी सब्सिडी
दरअसल एकीकृत उद्निकी विकास मिशन के तहत नए फलोधान की स्थापना करने के लिए न्यूनतम 0.25 हेक्टेयरएवं अधिकतम 4 हेक्टेयर तक जमीन के लिए एक लाख रूपए लागत आते ही लागत का 40 फीसदी सब्सिडी प्रदान की जाएगी, जो कि तीन साल तक अनुदान देय है. इसके दूसरे वर्ष 75 और तीसरे वर्ष 90 फीसद पौध जीविता पर मिलेगी.
इस तरह करें खेती तैयार
आप इस खेती के लिए जून महीने में सारे गडढे खोद लें. इसकी मिट्टी को दो भागों में बांट ले. एक भाग में करीब 50 से 60 किलोग्राम गोबर की सड़ी खाद को मिलाएं. गडढों करी भरपाई के लिए पहले बिना खाद वाली मिट्टी और बाद में गोबर की खाद मिली हुई मिट्टी को मिलाएं. जिस जमीन पर पौधे तेजी से बढ़ते है वहा पर उन पौधों को 12 गुणा 12 मीटर की दूरी पर लगा दे. शुष्क जमीन या फिर उस क्षेत्र जहां कम बढ़ोतरी होती है. उनके बीच 10 गुणा 10 दूरी पर्याप्त है. इससे सही तरीके से उपज आने लगेगी.
यह किस्में लगाएं किसान
अपने आम की बगिया में किसान अल्फांसों, बंबई, लगड़ा, दशहरी, सुंदरजा आदि किस्मों को लगा सकते है.
खाद उर्वरक
बागों की दस साल की उम्र तक हर साल उम्र के गुणांक में नाइट्रोजन, पोटाश, और फास्फेरस प्रत्येक को 100 ग्राम प्रति पेड़ जुलाई मेंपेड़ में बनाई गई नाली मे देना चाहिए. इसके अलावा मिट्टी की भौतिक और रासायनिक दशा में सुधार के लिए 25 से 30 किलो गोबर की सड़ी खाद और पौधा दें. जैविक खाद के लिए जुलाई या अगस्त में 50 ग्राम एलोसपाइरिलम को 40 किलो गोबर की खाद के साथ मिलाकर थालों में डालने से उत्पादन में बढ़ोतरी होती है।