राज्य में मछलीपालन को तेजी से बढ़ावा देने के लिए बिहार सरकार मछुआरा सहित अन्य पिछड़े वर्ग, एसटी, एससी आदि वर्ग के लोगों को मछलीपालन के लिए 90 प्रतिशत तक अनुदान प्रदान करेगी. राज्य में सालाना मछली की खपत कुल 6.42 लाख टन है. जबकि इसका पूरा उत्पादन 6.02 लाख टन है. यहां से सालभर के अंदर केवल मछली का उत्पादन ही नहीं बल्कि अब राज्य में यहां से मछली का निर्यात भी आसानी से हो सकेगा. दरअसल मत्स्यपालकों को किसानों की योजनाओं की पूरी जानकारी के साथ ही समस्या का समाधान कॉल सेंटर के साथ ही बेवसाइट और मोबाईल एप को शुरू किया गया है. यह सारी जानकारी बिहार सरकार के कृषि मंत्री डॉ प्रेम कुमार ने दी है.
ऑनलाइन आवेदन किए जा रहे है
उन्होंने जानकारी देते हुए कहा कि यहां पर बेवसाइट FISHRIES.AHDBIHAR.IN पर आकर मछलीपालक किसान ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन कर सकते है और संबंधित जानकारी को प्राप्त कर सकते है. मछलीपालन संबंधी योजनाओं का ऑनलाइन आवेदन भी आसानी से प्राप्त कर सकते है. साथ ही वह कॉल सेंटर पर टॉल फ्री नंबर 1800 -345- 6185 पर सारी जानकारी और योजनाओं के बारे में और किसी भी समस्या के सामाधन केसाथ कार्यालय अवधि में 10 से 6 बजे तक विशेषज्ञों से सलाह ले सकते है. इसके अलावा नालंदा के एकंगरसराय, पटना मसौढ़ी, रोहतास और सुपौल में मत्यस फार्म प्रोडयूसर कंपनी बनाई जा रही है.
की जा रही है तालाबों की मैपिंग
मतस्य निदेशालय के अधीन राज्य के सभी तालाब और जलकर का जीआईएस मैपिंग विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग के माध्यम से करा कर चिन्हित किया जा रहा है. मत्स्य निदेशालय की 30 हजार तालाब की बंदोबस्ती की जा रही है. मत्स्य सहकारी समिति और जीविका समूह को तालाब मछलीपालन के लिए दिया जाता है. राज्य में सगभग 42 लाख टन मछली आंध्र प्रदेश से आती है. बिहार से भी नेपाल, पश्चिम बंगाल, झारखंड, पंजाब, असम आदि राज्यों में 32 हजार टन निर्यात भी हो रहा है. इससे मछलीपालकों को आने वाले समय में काफी ज्यादा मुनाफा होने की तो उम्मीद है साथ ही उनकी आय भी निश्चित रूप से बढ़ जाएगी.