किसानों और ग्रामीण युवाओं की आर्थिक स्थिति मजबूत करने के लिए मध्यप्रदेश सरकार कृषि के साथ-साथ पशुपालन को बढ़ावा दे रही है. इसी उद्देश्य से अप्रैल 2025 में शुरू की गई डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना किसानों के लिए स्वरोजगार का सुनहरा अवसर लेकर आई है. इस योजना के तहत डेयरी फार्मिंग यूनिट स्थापित करने पर पात्र लाभार्थियों को अधिकतम 42 लाख रुपये तक लोन दी जा रही है. योजना का मकसद न सिर्फ दुग्ध उत्पादन में राज्य का योगदान बढ़ाना है, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार के नए रास्ते खोलना भी है.
सरकार का लक्ष्य है कि राज्य के दुग्ध उत्पादन में भागीदारी को 9% से बढ़ाकर 20% तक ले जाया जाए. यह योजना खासकर उन किसानों और युवाओं के लिए एक बड़ा अवसर है, जो खुद का डेयरी व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं और स्वावलंबी बनने की दिशा में कदम बढ़ा रहे हैं. ऐसे में आइए डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना के बारे में विस्तार से जानते हैं-
क्या है डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना?
डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना, जिसे पहले मुख्यमंत्री पशुपालन विकास योजना के नाम से जाना जाता था, एक महत्वाकांक्षी पहल है. यह योजना किसानों, ग्रामीण बेरोजगार युवाओं और स्वरोजगार चाहने वालों को डेयरी उद्योग में कदम रखने के लिए प्रोत्साहित करती है.
सरकार इस योजना के माध्यम से:
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ग्रामीणों को आर्थिक रूप से सशक्त बनाना चाहती है,
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दूध उत्पादन में गुणवत्ता और मात्रा दोनों बढ़ाना चाहती है,
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और पशुपालन को लाभदायक उद्यम में तब्दील करना चाहती है.
योजना के तहत मिलने वाली सब्सिडी और सुविधाएं
इस योजना के अंतर्गत सरकार द्वारा उद्योग आधारित डेयरी यूनिट्स स्थापित करने के लिए आकर्षक सब्सिडी प्रदान की जाती है:
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एक लाभार्थी अधिकतम ₹42 लाख तक की यूनिट स्थापित कर सकता है.
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यूनिट में कम से कम 25 दुधारू पशु (गाय या भैंस) होना अनिवार्य है.
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अधिकतम 8 यूनिट (यानि 200 पशुओं तक) की अनुमति दी गई है.
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अनुसूचित जाति/जनजाति (SC/ST) वर्ग के लाभार्थियों को 33% सब्सिडी,
जबकि अन्य वर्गों को 25% सब्सिडी मिलेगी.
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सब्सिडी एकमुश्त रूप में 3 साल की लॉक-इन अवधि के बाद दी जाएगी.
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योजना का लाभ 7 साल या जब तक ऋण चुकता न हो जाए, तब तक लिया जा सकता है.
आवेदन करने के लिए पात्रता एवं शर्तें
इस योजना के लिए आवेदन करने हेतु नीचे दी गई शर्तों को पूरा करना आवश्यक है:
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आवेदक मध्यप्रदेश का स्थायी निवासी हो.
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न्यूनतम आयु 21 वर्ष होनी चाहिए.
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मान्यता प्राप्त संस्था से डेयरी फार्मिंग का प्रशिक्षण लिया हो.
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हर यूनिट के लिए कम से कम 3.5 एकड़ कृषि भूमि होना जरूरी है.
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यदि भूमि संयुक्त है, तो परिवारजनों की लिखित सहमति आवश्यक है.
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लाभार्थी पहले किसी अन्य पशुपालन योजना का लाभ ले चुका हो, तो उसकी शर्तें अलग से लागू होंगी.
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ऋण समय पर चुकाने की स्थिति में 2 साल बाद दोबारा आवेदन किया जा सकता है.
आवेदन प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन और सरल
डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना के लिए आवेदन की प्रक्रिया पूरी तरह ऑनलाइन और आधार लिंक्ड है. आवेदक को आधिकारिक पोर्टल पर जाकर आवेदन करना होगा.
आवेदन के लिए आवश्यक दस्तावेज:
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आधार कार्ड
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भूमि का रिकॉर्ड (खसरा/खतौनी)
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प्रशिक्षण प्रमाण पत्र
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पासपोर्ट साइज फोटो
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बैंक खाता विवरण
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जाति प्रमाण पत्र (यदि आवश्यक हो)
प्रशिक्षण और मार्गदर्शन शिविर
राज्य सरकार द्वारा समय-समय पर प्रशिक्षण शिविर और मार्गदर्शन सत्र आयोजित किए जाते हैं, जहां आवेदकों को डेयरी संचालन, पशु आहार, रोग प्रबंधन और बाजार से जुड़ाव के बारे में विस्तार से जानकारी दी जाती है.
योजना क्यों है खास?
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यह योजना किसानों को पारंपरिक खेती से आगे जाकर उद्योग आधारित डेयरी व्यवसाय अपनाने का अवसर देती है.
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बैंकों और सहकारी संस्थाओं के माध्यम से ऋण की सुविधा भी उपलब्ध कराई जाती है.
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महिलाएं और युवा भी इस योजना के जरिए सशक्त और आत्मनिर्भर बन सकते हैं.
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दुग्ध उत्पादन बढ़ने से प्रदेश में पोषण सुरक्षा और दुग्ध प्रसंस्करण उद्योग को भी बल मिलेगा.
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सरकार द्वारा पशु बीमा, टीकाकरण और चिकित्सा सुविधाएं भी योजना के साथ शामिल की गई हैं.
समृद्धि की दिशा में एक ठोस कदम
ऐसे में यह कह सकते हैं कि डॉ. भीमराव अंबेडकर कामधेनु योजना मध्यप्रदेश सरकार की एक क्रांतिकारी पहल है जो ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त करने, स्वरोजगार बढ़ाने, और पशुपालन को व्यावसायिक स्वरूप देने की दिशा में बेहद कारगर साबित हो रही है. यदि आप किसान हैं, युवा हैं या रोजगार की तलाश में हैं और आपके पास कृषि भूमि है, तो यह योजना आपके लिए आर्थिक आज़ादी और सफलता का मार्ग बन सकती है.