राज्य व केंद्र सरकार मिलकर महिलाओं के विकास पर खासा ध्यान दे रही हैं. जिसके लिए कई योजनाएं बनाई गई हैं, ताकि महिलाएं आत्मनिर्भर बन कर अपनी आय अर्जित कर सकें. इसी कड़ी में उत्तराखंड सरकार ने महिलाओं के लिए मुख्यमंत्री लखपति दीदी योजना को मंजूरी दी है, जिसके तहत राज्य की लाखों महिलाओं को लखपति बनाने का लक्ष्य रखा गया है.
1 लाख से अधिक महिलाएं बनेंगी लखपती
मुख्यमंत्री लखपति दीदी योजना का उद्देश्य 2025 तक 1.25 लाख महिलाओं को लखपति बनाना है. जिसके लिए महिलाओं को लोन, तकनीकी मार्गदर्शन, उत्पादों की मार्केटिंग, ट्रेनिंग आदि की सुविधा उपलब्ध करवाई जाएगी.
बता दें कि इस योजना की शुरूआत उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने राज्य के लोकपर्व त्यौहार इगास के शुभअवसर पर किया था. इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने स्वयं सहायता समूह के माध्यम से एक वर्ष में एक लाख रुपए से अधिक की आय अर्जित करने वाली महिलाओं को 'लखपति दीदी' के रूप में सम्मानित किया. इसके अलावा प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत राज्य के लाभार्थियों को चेक भी दिए गए.
उत्तराखंड राज्य के 25 वर्ष पूरे होने पर यह मुहिम
मुख्यमंत्री ने इगास के अवसर पर अपने संबोधन में प्रदेशवासियों को बधाई व शुभकामनाएं दी. उन्होंने कहा कि “राज्य सरकार ने फैसला लिया है वर्ष 2025 में जब उत्तराखंड अपनी स्थापना की रजत जयंती मना रहा होगा, तक राज्य की सवा लाख महिलाएं लखपति बन रहीं होंगी.” बता दें वर्ष 2000 से पहले उत्तराखंड उत्तर प्रदेश का ही हिस्सा हुआ करता था. 9 नवंबर 2000 को उत्तराखंड का गठन हुआ था.
राज्य सरकार का यह प्रयास महिलाओं के आर्थिक विकास के लिए एक महत्वपूर्ण कड़ी के रूप में कार्य करेगा. इसके अलावा राज्य सरकार महिलाओं को 5 लाख रुपए तक का लोन बिना किसी ब्याज के दे रही है. अब सरकार की इस योजना से ग्रामीण महिलाओं को स्वंय सहायता समूह के माध्यम से रोजगार मिलेगा. साथ ही स्थानीय उत्पादों को बढ़ावा भी मिलेगा. इस योजना से लाभ पाने वाली महिलाएं समाज की दूसरी महिलाओं के लिए एक मिसाल बनेंगी.
यह भी पढ़ें: MKKY: मुख्यमंत्री किसान कल्याण योजना में किसानों को मिलते हैं 10,000 रुपए, पढ़ें पूरी जानकारी
मोदी ने की स्थानीय उत्पादों को खरीदने की अपील
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी उत्तराखंड में अपनी यात्रा के दौरान स्थानीय उत्पादों को खरीदने की अपील कर चुके हैं. उन्होंने कहा था कि, चार धाम यात्रा पर आ रहे श्रद्धालुओं से अपील है कि अपनी यात्रा के खर्च की 5 फीसदी राशि स्थानीय उत्पादों को खरीदने के लिए खर्च करें, जिसे स्थानिय उत्पादों को बढ़ावा मिलेगा, साथ ही ग्रामीण लोगों की आय में वृद्धि होगी.