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Updated on: 22 May, 2020 3:50 PM IST
कपास की खेती करने का तरीका

कृषि जागरण में किसान भाइयों का स्वागत है. आज हम आपके लिए सफेद सोना यानी कपास की उन्नत खेती संबंधी हर छोटी-बड़ी जानकारी लेकर आए हैं. अधिकतर किसानों को इसकी खेती की सामान जानकारी ज़रूर होगी जैसे, फसल को किस जलवायु, तापमान, भूमि में उगाना है, उसकी बुवाई, सिंचाई किसी तरह करनी है. मगर आज भी कई किसान कपास की आधुनिक खेती की तकनीक की जानकारी नहीं रखते हैं, जिससे उन्हें कपास का बंपर उत्पादन नहीं मिल पाता है. ऐसे में कृषि जागरण अपने किसान भाईयों के लिए कपास संबंधी कुछ विशेष जानकारी लेकर आया है. किसानों से अनुरोध है कि कपास की सटिक जानकारी के लिए इस लेख को अंत तक ज़रूर पढ़ते रहें, क्योंकि हम कपास संबंधी कुछ महत्वपूर्ण बिंदुओं पर प्रकाश डालने जा रहे हैं.

  • कपास की फसल के लिए खेत तैयार करना

  • भूमि उपयुक्त किस्मों का चुनाव

  • जल्द तैयार होने वाली किस्में

  • प्रमुख बीज निर्माता कंपनियां और उनका पता

कपास की समान्य जानकारी (Cotton general information)

भारत की कृषि उपज में कपास को महत्वपूर्ण दर्जा दिया जाता है. विश्वस्तर पर हमारा देश कपास उत्पादन में दूसरे स्थान पर आता है. यह एक नकदी फसल है, जोकि प्राकृतिक रेशा प्रदान करती है. इसकी खासियत की वजह से ही इसको सफेद सोने कहा जाता है. कपास की बुवाई के लिए मई माह का समय उचित रहता है. इसकी खेती सिंचित और असिंचित, दोनों क्षेत्रों में की जा सकती है. खास बात है कि किसान कपास के साथ सहफसली खेती करके भी अतिरिक्त लाभ कमा सकते हैं.

जलवायु का चुनाव (Climate choice)

किसानों के लिए खास बात है कि इसकी खेती के लिए किसी खास जलवायु की आवश्यकता नहीं पड़ती है. इसकी खेती के लिए मई माह उपयुक्त रहता है. बस खेती के लिए कम से कम 50 सेंटीमीटर वर्षा का होना आवश्यक होता है. अगर तापमान की बात करें, तो फसल उगते समय 15 से 16 डिग्री सेंटीग्रेट, अंकुरण के समय 32 से 34 डिग्री सेंटीग्रेट और फसल की बढ़वार के समय 21 से 27 डिग्री तापमान होना चाहिए.  

भूमि का चुनाव (Choice of land)

इसकी खेती के लिए बलुई, क्षारीय, कंकड़युक्त और जलभराव वाली भूमि उपयुक्त मानी जाती है. वैसे किसान सभी प्रकार की भूमि में कपास की खेती कर सकते हैं.

खेत की तैयारी (Farm preparation)

किसान सिर्फ इन 6 प्रक्रियाओं द्वारा कपास की फसल के लिए खेत तैयार करें.

  1. खेत की गहरी जुताई मिट्टी पलटने वाले हल से करनी चाहिए और कुछ दिन के लिए खेती खुला छोड़ देना चाहिए.

  2. इसके बाद खेत में गोबर की खाद डाल दें.

  3. अब खेत की 2 से 3 बार जुताई कर दें, जिससे खेत में गोबर की खाद अच्छी तरह मिल जाए.

  4. खेत में नमी बनाने के लिए पानी (पलेव) छोड़ दें.

  5. जब कुछ दिन बाद पानी सूख जाए, तो एक बार फिर खेत की जुताई करके मिट्टी को समतल बनाकर पाटा लगा लें. इस दौरान किसान खेत में उर्वरक ज़रूर डाल दें.

  6. इसके 1 से 2 दिन बाद खेत में बीज को लगाए जाते हैं. ध्यान दें कि कपास के बीजों की बुवाई शाम के समय ही करें.

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भूमि उपयुक्त किस्मों का चुनाव (Selection of suitable varieties of land)

आधुनिक समय में किसानों के बीच बी टी कपास का बोलबाला है. मगर इसकी किस्मों का चुनाव अपने क्षेत्र की जलवायु के अनुसार ही करना चाहिए. इसकी उन्नत किस्मों की जानकारी कुछ इस प्रकार है.

उत्तरी क्षेत्र के लिए अनुमोदित किस्में (Varieties approved for the northern region)

पंजाब (एफ- 286, एल एस- 886, एफ- 414, एफ- 846, एल एच- 1556, पूसा- 8-6, एफ-1378)

हरियाणा (एच- 1117, एच एस- 45, एच एस- 6, एच- 1098, पूसा 8-6)

राजस्थान (पूसा 8, 6, बीकानेरी नरमा,  गंगानगर अगेती,  आर एस- 875, आर एस- 2013)

मध्य क्षेत्र हेतु अनुमोदित किस्में (Approved Varieties for Central Zone)

मध्य प्रदेश (कंडवा- 3, के सी- 94-2 किस्म)

महाराष्ट्र (पी के वी- 081, एल आर के- 516, सी एन एच- 36, रजत)

गुजरात      (कॉटन- 12, 14, 16, एल आर के- 516, सी एन एच- 36)

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दक्षिण क्षेत्र हेतु अनुमोदित किस्में (Varieties approved for southern zone)

आंध्र प्रदेश (कंचन, एल आर ए- 5166, एल ए- 920)

कर्नाटक (शारदा, जे के- 119, अबदीता)

तमिलनाडु (एम सी यू- 5, एम सी यू- 7, एम सी यू- 9, सुरभि)

कपास की संकर किस्में (Cotton hybrids)

         संकर किस्मों का नाम

               खासियत

         जे के एच 3 (1997)   

 

यह किस्म जल्दी पकने वाली यानी 130 से 135 दिन में तैयार हो जाती है.

        आरसीएच 2 बीटी (2000)

 

अधिक उत्पादन, सिंचिंत क्षेत्रों के लिए उपयुक्त

        बन्नी बी टी (2001)     

 

महीन रेशा, अच्छी गुणवत्ता, प्रति हेक्टेयर 30 से 35 क्विंटल पैदावार

        एच-8 (2008)    

जल्दी पकने वाली किस्म यानी 130 से 135 दिन में तैयार होकर प्रति 25 से 30 क्विंटल पैदावार

कपास बीज की प्रमुख निर्माता कंपनियां (Major Manufacturers of Cotton Seeds)

उपयुक्त कंपनियां कपास के उन्नत बीजों का निर्माण करती हैं. अगर किसानों को इन बीजों की आवश्यकता है, तो वह ऊपर दिए गए लिंक द्वारा सीधे कंपनियों से संपर्क कर सकते हैं. बता दें कि ये कंपनिया देश के अधिकतर राज्यों के छोटे-छोटे जिलों में भी खाद दुकान पर बीज उपलब्ध कराती हैं. ऐसे में किसान अपने स्थानीय क्षेत्र की खाद बीज भंडार से भी संपर्क कर सकते हैं.

(आपको हमारी खबर कैसी लगी? इस बारे में अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर दें. इसी तरह अगर आप पशुपालन, किसानी, सरकारी योजनाओं आदि के बारे में जानकारी चाहते हैं, तो वो भी बताएं. आपके हर संभव सवाल का जवाब कृषि जागरण देने की कोशिश करेगा)

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English Summary: Knowledge of advanced varieties of cotton
Published on: 22 May 2020, 04:10 PM IST

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