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Updated on: 7 July, 2021 9:16 AM IST
धान की खेती करने का तरीका

धान एक ऐसी फसल है, जिससे भारत समेत कई एशियाई देश मुख्य खाद्य फसल मानते हैं. अगर किसान मक्का के बाद किसी फसल की सबसे ज्यादा बुवाई करते हैं, तो वह धान ही है. मौजूदा समय में करोड़ों किसान धान की खेती कर रहे हैं. यानी खरीफ सीजन में धान की बुवाई लगभग पूरे भारत में होती है.

मगर धान की खेती में उन्नत किस्मों पर ध्यान दिया जाए, तो इससे फसल का ज्यादा उत्पादन मिल सकता है. उन्नत किस्मों की बात करें, तो धान की कई किस्में ऐसी भी हैं, जो कि मध्यम और देर से पकने वाली होती है. कृषि जागरण के इस लेख में धान की मध्यम और देर से पकने वाली किस्मों के बारे में पढ़िए.

धान की खेती से संबंधित नये  शोध (New research related to paddy cultivation)

  • हरियाणा के चौधरी चरणसिंह कृषि विश्वविद्यालय के वैज्ञानियों ने धान की सीधी बुवाई करने पर पाया कि इससे फसल की अच्छी पैदावार होने के साथ ही पानी की बचत भी हुई.

  • हैदराबाद के भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान के कृषि वैज्ञानिक डॉ.पी.रघुवीर राव बताते हैं कि देश के विभिन्न राज्यों का मौसम अलग-अलग है, जहां धान की खेती होती है, इसलिए किसानों को अपने क्षेत्र के हिसाब से विकसित किस्मों का चुनाव करना चाहिए.

  • हैदराबाद के भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान द्वारा चावल की नई किस्म विकसित की गई थी. इनमें डीआरआर धान 45, डीआरआर धान 49 शमिल हैं.

  • उड़ीसा स्थित केंद्रीय चावल अनुसंधान द्वारा सीआर धान 310, सीआर धान 311 किस्म विकसित कई गई हैं.

  • रायपुर, छत्तीसगढ़ स्थित इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय द्वारा जिंक ओ राइस और सीजीज़ेडआर किस्में विकसित की हैं.

धान की खेती के लिए ये जलवायु है उत्तम (This climate is best for paddy cultivation)

धान उष्ण व उपोष्ण जलवायु की फसल है. इसकी खेती में 4 से 6 महीनों तक औसत तापमान 21 डिग्री सेल्सियस या इससे अधिक रहना चाहिए. फसल की अच्छी बढ़वार के समय 25 से 30 डिग्री सेल्सियस, तो वहीं पकते समय 20 से 25 डिग्री सेल्सियस तापमान उचित रहता है.

धान की खेती के लिए ये मिट्टी है उत्तम (This soil is best for paddy cultivation)

अधिक जलधारण क्षमता रखने वाली मिटटी जैसे- चिकनी, मटियार या मटियार-दोमट मिट्टी उचित रहती है. इसका पी.एच मान 5.5 से 6.5 होना चाहिए.

धान की देर से तैयार होने वाली ये हैं उत्तम किस्में  (These are the best varieties of late maturing paddy)

धान की कई किस्में ऐसी हैं, जो मध्यम और देर से पककर तैयार होती हैं.

  • स्वर्णा

  • पंत-10

  • सरजू-52

  • नरेंद्र-359

  • पूसा बासमती -1

  • हरियाणा बासमती सुगंधित

  • संकर धान-1

  • नरेंद्र संकर धान-2

धान के लिए खेती की तैयारी (Preparation of cultivation for paddy)  

सबसे पहले खेत की 2 से 3 बार जुताई करना जरूरी है.

इसके बाद खेत को कुछ दिन तक ऐसे ही छोड़ दें.

फिर खरपतवार निकाल दें .

अब गोबर की खाद डालकर जुताई करें और खेत समतल बना लें.

धान की खेती के लिए ये मिट्टी है उत्तम (This soil is best for paddy cultivation)

अधिक जलधारण क्षमता रखने वाली मिटटी जैसे- चिकनी, मटियार या मटियार-दोमट मिट्टी उचित रहती है. इसका पी.एच मान 5.5 से 6.5 होना चाहिए.

धान की देर से तैयार होने वाली ये हैं उत्तम किस्में  (These are the best varieties of late maturing paddy)

धान की कई किस्में ऐसी हैं, जो मध्यम और देर से पककर तैयार होती हैं.

स्वर्णा

पंत-10

सरजू-52

नरेंद्र-359

पूसा बासमती -1

हरियाणा बासमती सुगंधित

संकर धान-1

नरेंद्र संकर धान-2

धान की बुवाई के लिए बीज मात्रा (Seed quantity for sowing paddy)

  • धान की महीन किस्मों के लिए प्रति हेक्टेयर लगभग 30 किलो ग्राम बीज चाहिए.

  • मध्यम के लिए 35 किलो ग्राम बीज चाहिए.

  • मोटे धान हैं, तो 40 किलो ग्राम बीज की मात्रा चाहिए

  • ऊसर भूमि के लिए 60 किलो ग्राम बीज पर्याप्त हैं.

  • संकर किस्मों के लिए प्रति हेक्टेयर लगभग 20 किलो ग्राम बीज की जरूरत होती है.

धान की खेती में बीज उपचार (Seed Treatment in Paddy Cultivation)

सबसे पहले 10 ग्राम बॉविस्टीन और 2.5 ग्राम पोसामाइसिन या फिर 2.5 ग्राम एग्रीमाइसीन को 10 लीटर पानी में घोलकर रखे लें. इसके बाद छांटे हुए बीजों को उपरोक्त घोल में 24 घंटे के लिए रख दें. इस उपचार से जड़ गलन, झोंका और पत्ती झुलसा जैसे रोगों का प्रकोप नहीं होता है.

धान की खेती के लिए नर्सरी तैयार करना (Nursery preparation for paddy cultivation)

  • भिगोकर रखे गए धान के बीज को छान लें.

  • इन्हें खेत में पानी चलाने के बाद डालें.

  • अगर बारिश नहीं होती है, तो समय-समय पर सिंचाई करते रहें.

  • बारिश की संभावना हो, तो बीज न डालें, क्योंकि बीज एक ही जगह जमा हो जाएगा.

  • अगर नर्सरी में खैरा रागे दिखाई दे, तो 10 वर्ग मीटर क्षेत्र में 20 ग्राम यूरिया, 5 ग्राम जिंक सल्फेट प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़क दें.

पौध की रोपाई (Planting Seedlings)

  • इसके लिए पौध उखाड़ने से एक दिन पहले नर्सरी में पानी लगाएं.

  • ध्यान दें कि पौधों की जड़ों को धोते समय नुकसान न हो.

  • पौधों को काफी नीचे से पकड़ें

  • इसके बाद पौध की रोपाई पंक्तियों में करें. इनकी दूरी 20 सेंटीमीटर, तो वहीं पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर रखनी चाहिए.

  • एक स्थान पर 2 से 3 पौध ही लगाएं.

खरपतवार रोकथाम (Weed Prevention)

इसकी रोकथाम के लिए खुरपी या पेडीवीडर का प्रयोग किया जा सकता है. इसके अलावा खरपतवारनाशी दवाओं का प्रयोग कर सकते हैं.

धान में लगने वाले प्रमुख रोग (Major diseases of paddy)

झुलसा रोग (करपा)- इस रोग का आक्रमण पौधे से लेकर दाने बनते तक की अवस्था तक होता है. इसमें मुख्य पत्तियां, तने की गाठें, बाली पर आंख के आकार के धब्बे बन जाते हैं. इसकी रोकथाम के लिए स्वच्छ खेती करना जरूरी है. खेत में पड़े पुराने पौध अवशेष को भी नष्ट करें.  

भूरा धब्बा या पर्णचित्ती रोग- इस रोग का आक्रमण भी पौध अवस्था से दाने बनने तक होता है. बता दें कि पत्तियों, पर्णछन्द व दानों पर रोग के लक्षण दिखाई देते हैं. इसकी रोकथाम के लिए  खेत में पड़े  पुराने पौध अवशेष को नष्ट करने के  अलावा कार्बेन्डाजिम   2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से बीजोपचार करें.

खैरा रोग- पौधरोपण के 2 हफ्ते के बाद ही पुरानी पत्तियों के आधार भाग में हल्के पीले रंग के धब्बे दिखाई देते हैं. इसकी रोकथाम के लिए 20 से 25 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट प्रति हेक्टेयर बुवाई पूर्व उपयोग करें.

धान की खेती में पोषक तत्व प्रबंधन (Nutrient Management in Paddy Cultivation)

हरी खाद, गोबर या कम्पोस्ट का प्रयोग करें, ताकि फसल की अधिक उपज मिले और भूमि की उर्वरा  शक्ति बनी रहे. इसके साथ ही हरी खाद के लिए सनई या ढेंचा का प्रयोग करें, जिससे नाइट्रोजन की मात्रा कम की जा सकें.

धान की खेती के लिए जल प्रबंधन (Water Management for Paddy Cultivation)

  • धान की खेती में सिंचाई की पर्याप्त सुविधा होना बहुत ही जरूरी है. खेत में लगभग 5 से 6 सेंटीमीटर पानी रहना अति लाभकारी है.

  • धान की बालियां बनते समय, फूल निकलते समय और दाने बनते समय खेत में 5 - 7 सेंटीमीटर पानी होना चाहिए।

  • कटाई से 15 दिन पहले खेत से पानी निकाल कर सिंचाई बंद कर दें.

धान में लगने वाले प्रमुख कीट  (Major pests of paddy)

तना छेदक- पौधों की बढ़वार की अवस्था में प्रकोप होने पर बालियां नहीं निकलती है. इसकी रोकथाम के लिए फसल की कटाई जमीन की सतह से करनी चाहिए. इसके अलावा ठूठों को एकत्रित कर जला देना चाहिए.

गुलाबी तना बेधक-  इस कीट का प्रकोप धान के तना बेधक की अपेक्षा अधिक पाया गया है. इससे फसल का बचाव करने के लिए तनाबेधक कीट के बचाव हेतु बताये गए उपायों को अपनायें.

धान की गंधीबग- यह हरे-भूरे रंग का उड़ने वाला कीट होता है, जिसकी पहचान किसान भाई कीट से आने वाली दुर्गन्ध से कर सकते हैं. इसकी रोकथाम के लिए खेत के मेड़ों पर उगे घासों की सफाई करें, क्योंकि इन्हीं खरपतवारों पर ये कीट पनपते रहते हैं.  

धान की कटाई (Paddy Harvesting)

बुवाई के 3 से 5 महीने में धान की अलग-अलग किस्म पककर तैयार हो जाती हैं. तैयार फसल का रंग पीला और पत्तियों का रंग सुनहरा हो जाए, तो हंसिये से कटाई कर सकते हैं. वैसे मौजूदा समय में धान की कटाई के लिए कई तरह के कृषि यंत्र भी आते हैं. इसके बाद गट्ठा बांधकर उसे सुरक्षित खलियान में ले जाकर 10 दिन तक सुखाते हैं.

उपज (Yield)

अगर उपयुक्त तकनीक से किसान धान की खेती करते हैं, तो उन्हें फसल का अच्छा उत्पादन प्राप्त होगा.

भंडारण (Storage)

धान को धूप में अच्छी तरह सुखाएं, फिर 12 से 13 प्रतिशत नमी होने पर उसे हवा व नमी रहित स्थान में रखें. ध्यान दें कि मेलाथियान 50 EC 20 ml को 2 लीटर पानी में तैयार करके भंडारित स्थान पर छिड़क दें.

विशेष जानकारी (Special information)

यदि आप धान की खेती करना चाहते हैं और अभी तक पौध (नर्सरी) तैयार नहीं की है तो, कृषि वैज्ञानिकों की सलाह है कि आप ड्रम सीडर मशीन से धान की बुवाई करें। इससे आप का समय और लागत बचेगी और फसल भी कुछ दिन पहले तैयार होगी.

किसान भाइयों आप उपरोक्त बातों का ध्यान रखकर धान की बुवाई करें और अच्छी उपज प्राप्त करके पाएं अधिक मुनाफ़ा. खेती से संबंधित हर जानकारी के लिए ज़रूर पढ़ें कृषि जागरण के लेख .

English Summary: information about improved cultivation and late maturing varieties of paddy
Published on: 07 July 2021, 09:34 AM IST

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