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किसान ने देसी जुगाड़ से जलाया पूरे गांव का चूल्हा, हर महीने 1000 रुपए तक बचत

अगर आप हर महीने रसोई गैस सिलेंडर के दाम (LPG cylinder price) से परेशान आ गए हैं, तो आप किसान के इस देसी जुगाड़ से अपनी घर की रसोई में चूल्हे को सरलता से जला सकते हैं. यहां जानें इस किसान के देसी जुगाड़ की पूरी जानकारी...

लोकेश निरवाल
देसी जुगाड़ से फ्री में खाना पका रहें लोग
देसी जुगाड़ से फ्री में खाना पका रहें लोग

हमारे देश के युवाओं के पास कई तरह के अनोखे टैलेंट मौजूद हैं, जिसे वह दुनिया के सामने लाकर आम लोगों की मदद कर रहे हैं और अपने इस टैलेंट के बल पर वह आत्मनिर्भर भी बन रहे हैं. आज हम आपके लिए ऐसे ही व्यक्ति की कहानी लेकर आए हैं, जिसने अपने टैलेंट के दम पर पूरे गांव की तस्वीर बदल दी है. दरअसल, यह कहानी एक पंजाब के डेयरी किसान की है.

आपको बता दें कि पंजाब डेयरी किसान गगनदीप सिंह के फॉर्म में लगभग 150 गौवंश मौजूद हैं. यह न सिर्फ दूध देती हैं बल्कि वह इसके गोबर के इस्तेमाल से भी अच्छा लाभ प्राप्त कर रहे हैं. उन्होंने डेयरी फार्म के अलावा बायोगैस संयंत्र भी लगाया है. जिसमें वह गाय के गोबर को एकत्रित करके बायोगैस व जैविक खाद बनाने का कार्य करते हैं.

पूरे गांव का जल रहा चूल्हा

बायोगैस संयंत्र की मदद से आज के समय में पूरे गांव का चूल्हा जल रहा है. वहीं बाकी बचे गोबर के अवशेष से वह जैविक खाद को तैयार करते हैं, जिसका लाभ आज पूरा गांव उठा रहा है. गगनदीप सिंह के गांव में ज्यादातर घरों में आज गैस सिलेंडर नहीं आता है. इसकी जगह वह अपने घरों में बायोगैस प्लांट से निकलने वाली गैस से रसोई में इस्तेमाल करते हैं.

6 से 7 घंटे रोजाना बन सकता है खाना

बायोगैस के इस बेहतरीन प्लाट की मदद से पूरे गांव में हर दिन 6 से 7 घंटे तक खाना बनाया जाता है. बता दें कि यह गैस गांव के घरों में पाइपलाइन कनेक्शन के जरिए दी गई है. इस गैस के लिए लोगों को अपनी जेब से खर्च भी नहीं करना पड़ता है. यह गैस उनके लिए एक दम फ्री है.

जहां इस समय घरों में इस्तेमाल होने वाले गैस सिलेंडर की कीमत करीब 800 से 1000 रुपए तक है. वहीं गांव के लोग इस बायोगैस प्लांट से हर महीने 1000 रुपए तक की बचत कर रहे हैं.

ये भी पढ़ें: गोशालाओं और डेयरियों में बायोगैस प्लांट लगाने पर मिल रही 40% सब्सिडी, जानिए कैसे करना है आवेदन

ऐसे बनाया बायोगैस प्लांट

गगनदीप सिंह ने अपना यह प्लांट 140 घन मीटर की जमीन पर तैयार किया है, जहां पावर प्लांट के साथ एक डेयरी भी बनाई गई है. इस प्लांट में डेयरी के दोनों ओर बनी नालियों से जुड़ा हुआ है, जिसमें गायों का मल मूत्र पानी के साथ मिलकर प्लांट में जाता है. इसके बाद प्लांट में बनने वाले गैस को पाइप के द्वारा एकत्रित किया जाता है और नीचे बचा गोबर खाद में बदल दिया जाता है, जिसे वह के किसान अपने खेत में इस्तेमाल करते हैं. 

English Summary: The farmer lit the stove of the whole village with indigenous jugaad, saving up to 1000 rupees every month Published on: 05 January 2023, 04:51 PM IST

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