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अब किसानों को फसल बीमा नहीं कराने पर भी मिलेगा मुआवजा

सरकारी योजनाओं का लाभ देश के किसानों को आसानी से मिल सके इसके लिए सरकारें अक्सर नयी पहल करती रहती है. इसी कड़ी में झारखंड सरकार ने भी एक बड़ी पहल की हैं. दरअसल झारखंड के कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह ने यह घोषणा की है कि जिन किसानों ने खरीफ में फसल बीमा नहीं कराया था, सरकार सूखा का उनको भी मुआवजा देगी. जहां वर्षा आधारित खेती होती है

सरकारी योजनाओं का लाभ देश के किसानों को आसानी से मिल सके इसके लिए सरकारें अक्सर नयी पहल करती रहती है. इसी कड़ी में झारखंड सरकार ने भी एक बड़ी पहल की हैं. दरअसल झारखंड के कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह ने यह घोषणा की है कि जिन किसानों ने खरीफ में फसल बीमा नहीं कराया था, सरकार सूखा का उनको भी मुआवजा देगी. जहां वर्षा आधारित खेती होती है, वहां के किसानों को प्रति हेक्टेयर 6800 रुपये तथा सिंचित इलाकों में 13500 रुपये बीमा कराने वाली कंपनियों के द्वारा मुआवज़े के रूप में दिया जायेगा. कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह ने यह घोषणा 'गव्य विकास विभाग' के सभागार में आयोजित राज्य स्तरीय रबी कार्यशाला में की.

कृषि मंत्री ने कहा कि उन्होनें बीमा कराने वाली कंपनियों को निर्देश दिया है कि किसानों के क्लेम के 45 दिनों के बाद राशि उनके एकाउंट में चली जाना चाहिए. ऐसा नहीं हुआ तो बीमा करने वाली कंपनियों पर कानूनी कार्यवाही की जायेगी. उन्होंने आगे कहा 'खरीफ' के बीमा का पूरा क्लेम बीमा कराने वाली कंपनियों से आजतक नहीं मिला है. यह घोर लापरवाही है. इसके साथ ही कृषि मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि किसानों को कैम्प लगाकर उन्हें पंप सेट का वितरण करें.

कृषि मंत्री रणधीर कुमार सिंह ने कहा कि राज्य में चुनौतीपूर्ण स्थिति बनी हुई है. किसान सूखा का दंश झेल रहे हैं. ऐसे में विभाग की जिम्मेदारी और बढ़ गयी है. इस चुनौती को अवसर में बदलने का समय है. इसके लिए किसानों को कुछ बीज शत प्रतिशत और कुछ 90 फीसदी अनुदान पर दिए जायेंगे. जिन किसानों को 50 फीसदी अनुदान पर बीज मिल चुका है, उनको भी 40 फीसदी और सब्सिडी की राशि खाते में भेज दी जायेगी.

तालमेल बढ़ाने की जरूरत

गौरतलब हैं कि बिरसा कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ पी कौशल ने कहा है कि 'किसानों के हित के लिए सब प्रयासरत हैं, लेकिन तालमेल की कमी आ रही है. इसके लिए विभाग और विश्वविद्यालय में तालमेल बनाने की जरूरत है. विश्वविद्यालय ने विभाग के आग्रह के बाद बीज तैयार किये थे, वह उच्च स्तरीय अधिकारियों के प्रयास के बावजूद खरीदे नहीं जा सके. इसके लिए बैठक कर प्रयास किया जाना चाहिए. तो वहीं कृषि निदेशक रमेश घोलप ने कहा है कि 'अभी किसानों के लिए अनुकूल स्थिति नहीं है. राज्य के करीब 129 जिलों में  प्रखंड सूखा हैं और इसे भारत सरकार की टीम ने भी माना है. टीम ने राज्य सरकार के कृषि विभाग की रिपोर्ट की पुष्टि भी की है.

उन्होंने आगे कहा 'एग्रो समिट के आयोजन की व्यस्तता के बीच कृषि अधिकारियों ने सूखे की रिपोर्ट तैयार की थी. अधिकारियों का यह सराहनीय प्रयास रहा. इस बार संताल से किसानों का समूह इजरायल जायेगा. जिसमें महिलाओं की संख्या पुरुष किसानों की अपेक्षा अधिक होगी.

विवेक राय, कृषि जागरण

English Summary: Now farmers will not get crop insurance but compensation Published on: 14 December 2018, 04:54 PM IST

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